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स्वास्थ्य विभाग के अफसर रहे अनजान
डिंडौरी के के उपस्वास्थ्य केन्द्रों से यूनिक आईडी के जरिए प्रसूति सहायता योजना में हुए फर्जीवाड़े का 2022 में खुलासा होने के बावजूद अब तक फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपियों का खुलासा नहीं हो पाया है स्वास्थ्य अधिकारी ने जांच के लिए कमेटी का गठन किया था लेकिन कमेटी की लापरवाही से फर्जीवाड़े के मास्टर माइंड जांच टीम की चंगुल से कोसों दूर हैं डिंडोरी जिले में प्रसूती सहायता योजना के नाम पर तीन वर्षो से बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा था फर्जीवाड़े के बारे में साल 2022 में मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया था मामले के उजागर होने के बाद आनन फानन में मेडिकल ऑफिसर ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था लेकिन दस महीने बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से फर्जीवाड़े के मास्टर मांइड का अबतक पता नही चल पाया आपको बता दें कि प्रसूति सहायता योजना में लाभार्थी को 16 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती है और गर्भधारण के बाद आंगनवाड़ी व स्वास्थ्य केंद्र में पंजीयन कराने पर 4 हजार रूपए और प्रसव के बाद महिला को 12 हजार रुपए दिए जाते हैं लेकिन कई उपस्वास्थ्य केंद्रों में यूनिक आईडी के जरिए फर्जी महिलाओं का प्रसव दिखा दिया गया और उनके खातों में सोलह -सोलह हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए गए लेकिन जांच के दौरान उपस्वास्थ्य केंद्रों में हेल्थ वर्करों ने लिखित रूप से जानकारी दी कि फर्जीबाड़े में जिन महिलाओं के नाम सामने आये हैं उनका विभाग से पंजीयन ही नही किया गया वहीं इस मामले पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि अबतक फर्जीवाड़े में पच्चीस लोगों की जानकारी सामने आई है लेकिन आंकड़े और भी बढ़ने की उम्मीद है इस मामले पर बसपा नेता असगर सिद्दीकी ने स्वास्थ्य विभाग पर फर्जीवाड़े में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
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