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बैतूल। नेशनल हाईवे 69 पर सुखतवा नदी के पुल टूटने के बाद एनएचएआई द्वारा सोमवार शाम तक टूटे हुए पुल के साईड से कच्चा वैकल्पि मार्ग बना दिया गया है। सोमवार शाम से शुरू हुई इस अस्थाई सड़क से फिलहाल दो पहिया और चौपहिया वाहन ही निकाले जा रहे हैं। वहीं बड़े वाहनों को बैतूल से नर्मदापुरम पहुंचने 94 किलोमीटर अतिरिक्त सफर कर बैतूल से चिचोली, ढेकना, टिमरनी, सिवनीमालवा होते हुए नर्मदापुरम जाना पड़ रहा है। उक्त हादसे में प्रथम दृष्टया एनएचएआई की लापरवाही नजर आ रही है। नया पुल बनाने सेना ने कमान संभाल ली है। इंजीनियरिंग कोर बैरागढ़ भोपाल से सेना की 10 टीम टूटे हुए पुल पर पहुंची और निरीक्षण किया। ब्रिटिश काल में बने इस पुल के टूटने से बैतूल से नर्मदापुरम और भोपाल की दूरी 94 किलोमीटर अधिक हो गई है।
सेना की इंजीनियरिंग टीम ने किया निरीक्षण
बता दें कि 138 पहिए वाले ट्राला में रखी 130 टन वजन वाली मशीन के गुजरने के दौरान सुखतवा नदी पर बना 158 साल पुराना पुल टूट गया था जिससे भोपाल-नागपुर के बीच सीधा सड़क संपर्क टूट गया था। फोरलेन सड़क बना रही कंपनी द्वारा इस स्थान पर नया पुल बनाया जा रहा है लेकिन पुल निर्माण में लंबा समय लगेगा जिसके चलते अब यहां सेना की इंजीनियरिंग टीम द्वारा पुल निर्माण किया जा रहा है। सोमवार को पुल का मुआयना करने इंजीनियरिंग कोर बैरागढ़ भोपाल से सेना की 10 टीम दुर्घटनाग्रस्त पुल पर पहुंची और पुल का निरीक्षण किया।
शुरू हुआ अस्थाई मार्ग
नर्मदापुरम जिला प्रशासन और एनएचएआई द्वारा पुल के किनारे से अस्थाई सड़क बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया। लगभग दर्जन भर पोकलेन और जेसीबी की मदद से पुल के नीचे से ही मुरम से कच्चा मार्ग बनाया गया है। इस कच्चे मार्ग से चौपहिया और दोपहिया वाहनों का आवागमन शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही बड़े वाहनों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है।
94 किलोमीटर फेरा लगाकर जाना होगा नर्मदापुरम
सुखतवा पुल टूटने के बाद नर्मदापुरम जिला प्रशासन द्वारा भारी वाहनों को बैतूल जाने के लिए जो मार्ग प्रस्तावित किया है उससे नर्मदापुरम से बैतूल की दूरी 94 किलोमीटर बढ़ गई है। प्रशासन द्वारा नर्मदापुरम से सिवनी मालवा, टिमरनी, ढेकना, चिचोली होते हुए बड़े वाहनों को बैतूल भेजा जा रहा है। नए मार्ग से बैतूल से नर्मदापुरम की दूरी 200 किलोमीटर है जो पुराने मार्ग से 94 किलोमीटर अधिक है।
सोमवार लगा रहा जाम, दो टुकड़ों में चली यात्री बसें
सुखतवा पुल टूटने के कारण सोमवार को लगेज वाहन चिचोली, टिमरनी, सिवनी मालवा होते हुए नर्मदापुरम और भोपाल की ओर गए जिससे इस मार्ग पर दिन भर जाम की स्थिति रही। बैतूल से नर्मदापुरम और भोपाल की ओर जाने वाली यात्री बसें दो टुकड़ों से चलाई गई। बैतूल से सुखतवा पुलिया तक यात्री बसें चली। यात्रियों द्वारा पैदल ही पुल पार कर दूसरी ओर से इटारसी भोपाल के लिए बस ली। वहीं इटारसी, भोपाल से आने वाली बसों की सवारी सुखतवा पुल से इस साइड की बसों से बैतूल की ओर लाई गई।
घटना की जांच कर रही पुलिस
हैदराबाद से एटीपीसी इटारसी के लिए 138 पहिए के ट्राले पर सवार होकर ले जाई जा रही पॉवर ग्रिड जैसे ही सुखतवा पुल पर पहुंची। अचानक पॉवर ग्रिड सहित ट्राला पुल के टूटने से ग्रिड सहित नदी में गिर गया। इस मामले में केसला टीआई गौरवसिंह बुंदेला का कहना है कि घटना के दौरान ड्राइवर सहित 6 लोग ट्राला पर मौजूद थे जिसमें ड्राइवर को हल्की चोटें आई हैं, उसका उपचार कराया गया है। पुलिस घटना की जांच कर रही है। जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
एनएचएएआई की लापरवाही आई सामने
नेशनल हाईवे अर्थाटी ऑफ इंडिया की लापरवाही इस घटना से सामने आई है। जानकार बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत के जमाने में बने किसी भी पुल पर एनएचएआई ने सांकेतिक बोर्ड या सूचना पटल नहीं लगाए हैं कि यह पुल कितना भार सहन कर सकते हैं? यही वजह है कि इन पुलों पर से मनमाना वजन ट्रालों में लोड कर परिवहन किया जाता है? ऐसा ही सुखतवा पुल पर भी हुआ। 138 पहिए का ट्राला और करीब 130 टन का पॉवर ग्रिड मशीन का वजन पुल सहन नहीं कर पाया और भरभराकर ढह गया। गनीमत रही कि इस दुर्घटना में कोई भी जनहानि नहीं हुई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो एनएचएआई को ऐसे पुराने पुलों पर यह सूचना पटल लगाना चाहिए कि इन पर से कितने वजन के वाहन सामान लेकर गुजर सकते हैं। इस मामले में भी एनएचएआई की लापरवाही स्पष्ट उजागर हुई है।
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