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उज्जैन। उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में दो साल बाद मंगलवार को रंगपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही पंडे, पुजारी और श्रद्धालु रंगों से सराबोर दिखे। परंपरा के अनुसार, सुबह सबसे पहले पुजारियों ने भस्मारती में बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से बना रंग चढ़ाया गया। आरती के दौरान रंग को श्रद्धालुओं पर फेंका गया। केसरिया रंग को गर्भगृह से नंदी हॉल तक उड़ाया गया।
रंगपंचमी पर बाबा महाकाल का भांग, चंदन और सूखे मेवे से श्रृंगार किया गया। पंचामृत अभिषेक पूजन के बाद भस्म अर्पित की गई। त्रिनेत्र रूपी, मस्तक पर रजत त्रिपुण्ड और सिर पर शेषनाग रजत मुकुट धारण किया। रुद्राक्ष और फूलों की माला अर्पित की गई। इसके बाद महाकाल मंदिर में गर्भगृह से नंदी हॉल तक केसरिया रंग उड़ाया गया। रंगपंचमी के लिए सोमवार को ही पुजारियों ने तीन क्विंटल टेसू के फूलों से करीब 200 लीटर प्राकृतिक रंग बना लिया था।
महाकाल के आंगन में होली उत्सव के बाद शहरवासियों ने रंग पर्व की शुरुआत की। शाम को 6 बजे महाकाल मंदिर प्रांगण से, सिंहपुरी, कार्तिक चौक तथा भागसीपुरा से पारंपरिक गेर निकाली जाएगी। श्रद्धालु बैंड बाजे व ढोल ढमाकों के साथ शौर्य व विजय के प्रीतक ध्वज निशान लेकर निकलेंगे। इसमें 11 ध्वज, दो बैंड, झांकियां चलेंगी।
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