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लकड़ियों का शेड बनाकर अंतिम संस्कार
आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और 2047 तक देश को डेवलप्ड कंट्री बनाने की बात चल रही है लेकिन आज भी मध्यप्रदेश के बैरसिया के एक गाँव में मरने के बाद दो गज जमीन तक नहीं मिल रही हालात ऐसे हैं कि लोगों अंतिम संस्कार के लिए शेड बनानी पड़ती है तब जा के कहीं अंतिम संस्कार होता है ये वीडियो बैरसिया के ग्राम पोलासगंज कोटरा चोपड़ा पंचायत का है यहां आजादी के 75 साल बाद भी सुविधाओं का टोटा है प्रदेश के विकास की बात तब झूठी लगने लगती है जब मरने के बाद भी अंतिम संस्कार की सुविधा न मिले कोटरा चोपड़ा पंचायत के समाजसेवी नन्नू लाल कुशवाहा को मरने के बाद भी 2 गज जमीन नसीब नहीं हुई ग्रामीणों ने जैसे तैसे कर लकड़ियों की बल्ली का शेड बनाकर अंतिम संस्कार किया तो अब सवाल यह कि क्या प्रदेश के विकास में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं है या फिर विकास की बातें सिर्फ कागजों तक सीमित है हम बात आजादी के अमृत महोत्सव की करते हैं देश को विकसित देश बनाने की बात करते हैं लेकिन ये सब बातें तब बेईमानी लगती हैं जब हम मूलभूत सुविधाओं को भी पूरा नहीं कर पाते बहरहाल प्रदेश सरकार चाहे तो इन सुविधाओं पर ध्यान दे सकती है ताकि जनता को कम से कम मूलभूत सुविधाएं मिल सके।
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