चार साल पहले आष्टा जनपद रहे सीईओ के फिर हुए पदस्थापना के आदेश से जनप्रतिनिधि नाराज
सीहोर। चार साल पहले आष्टा जनपद सीईओ के रहते ग्राम पंचायतों में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। जांच रिपोर्ट में पंचायतों पर आरोप सिद्ध होने के बाद कुछ कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई भी हुई थी, लेकिन जिला पंचायत सदस्य ने इस मामले में सरपंच, सचिवों व जिम्मेदारों को दोषी ठहराते हुए कार्रवाई की मांग की थी। बावजूद इसके 1 फरवरी 2020 को एक बार फिर से उन्हीं सीईओ को आष्टा जनपद सीईओ की कमान सौंपने आदेश जारी किए गए है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 से 2016 तक संजय अग्रवाल आष्टा जनपद में सीईओ रहे हैं। जिनके 1 फरवरी को पुन: पदस्थापना के आदेश जारी होने से स्थानीय जनप्रतिनिधयिों में हलचल तेज हो गई है। क्योंकि पूर्व कार्यकाल में हुए ग्राम पंचायतों के घोटाले को लेकर उन पर कई आरोप लगे थे। इसको लेकर जिला पंचायत सदस्य आम्बाराम मालवीय ने पंचायतों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की थी। जिसमें कहा गया था कि आष्टा जनपद सीईओ संजय अग्रवाल के रहते मनरेगा के कार्य पशु शेड, मेढ़बंधान आदि में 55 लाख रुपए का फर्जी भुगतान किया था, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। कुमडावदा तालाब के भंडार भूमि की नीलामी न कर सीधे लाखों रुपए का गबन किया गया। इसको लेकर दोषियों पर एफआईआर व शासन को हुई क्षति भरपाई करने की कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन सीईओ संजय अग्रवाल की पुन: पदस्थापना से एक बार फिर प्रदेश की कमलनाथ सरकार प्रश्न चिंह तो लग ही रहे हैं। साथ ही जनप्रतिनिधि भी इस आदेश से भौचक्के नजर आ रहे हैं।
यह है मामला, सही पाई गई थी शिकायत
शिकायतकर्ता भैरोलाल व हमीरसिंह द्वारा ग्राम पंचायत मुगली जनपद पंचायत आष्टा द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, जिसकी तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ डॉ केदार सिंह ने 4 सदस्यीय दल गठित कर जांच कराई थी। जॉच रिपोर्ट ग्राम पंचायत मुगली में व 2013-14 में 45 में से चार ही पशु शेड मौके पर मिले थे, जिसमें लगभग 18.22 लाख राशि फर्जी तरीके से आहरित की गई। वहीं 2012-13 से 2013-14 में 75 बकरी शेड 9 ही मिले थे, जिसमें करीब 29.33 लाख रुपए आहरण किए गए थे। जबकि इसी समय 31 मेढ़ बंधान कार्य स्वीकृत किए गए जिसमें से मौके पर कोई बंधान नहीं पाया गया, जिस पर कुल व्यय राशि 3.72110 का दुरूपयोग किया गया था। इसमें फर्जी तरीके से मूल्यांकन उपयंत्री पुरूषोत्तम अग्रवाल तथा तत्कालीन सहायक यंत्री आरबी चौधरी द्वारा लगभग 52 रुपए से अधिक राशि के फर्जी मूल्यांकन तथा सत्यापन किया गया। जांच रिपार्ट में बिना कार्य कराए फर्जी राशि आहरण की पुष्टि हुई थी। जिसमें चार कर्मचारियों को निलंबित किया गया था, लेकिन अभी तक उनसे वसूली नहीं की गई है।
शिकायत की थी
ग्रामीणों के साथ मिलकर मैंने मामले की शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी। इस मामले को जिला पंचायत की सामान्य सभा में भी कई बार उठाया गया था। मेरा प्रयास है कि जिन हितग्राहियों के नाम पर गबन किया गया है, उसकी वसूली कर हितग्राहियों को लाभ दिलाया जाए।
आम्बाराम मालवीय, सदस्य जिला पंचायत