मप्र विधानसभा के विशेष सत्र में अतिथि विद्वानों को लेकर भाजपा ने किया बहिर्गमन
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मप्र विधानसभा के विशेष सत्र में गुंजा अतिथि विद्वानों का दर्द, भाजपा ने किया सदन से वहिर्गमन 
 
भोपाल, 17 जनवरी (हि.स.) ।मध्य प्रदेश विधानसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण को आगामी 10 साल के लिए बढ़ाने वाले संविधान (126वां) संशोधन विधेयक का अनुमोदन करने के लिए बुलाई गई दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन सदन में शुक्रवार को अतिथि विद्वानों का मामला गूंज उठा। जिसके चलते विपक्ष ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए सदन के वहिगर्मन तक कर दिया। 
 
राज्य विधानसभा में एससी-एसटी आरक्षण को लेकर विधेयक के अनुमोदन पर कोई चर्चा आरंभ होती, उससे पहले  नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव एवं भाजपा के अन्‍य सदस्‍यों ने अथिति विद्वानों का मामला विधानसभा में उठाया और कहा कि कांग्रेस अपने वादे को निभाए। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जो वादे अतिथि शिक्षक-अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर किया था उसने उसका पालन अब तक नहीं किया और  अलग से इस मामले में जांच समिति का गठन कर दिया, जिसकि कोई चर्चा पहले नहीं थी । वास्‍तव में ऐसा करना कांग्रेस की वादा खिलाफी को दर्शाता है । 
 
उन्‍होंने कहा कि यह दुखद है कि कांग्रेस अपने वचन पत्र का मान नहीं रख रही है। प्रदेश में 8000 सहायक प्राध्यापकों के पद खाली हैं, ऐसे में जो अतिथि विद्वान पिछले 1 वर्ष से आंदोलन कर रहे हैं, उन सभी को सरकार द्वारा समायोजित किया जाता चाहिए था ना कि वह जांच बैठाने का कार्य करती । हम इस सदन के माध्यम से यह मांग रखते हैं सभी अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाए । 
 
नेता प्रतिपक्ष के साथी साथ ही विधानसभा में आज अन्य भाजपा विधायकों ने भी कांग्रेस के ऊपर वादा खिलाफी का आरोप लगाया  और कहा कि कांग्रेस जिस वचन पत्र में किए वादों के साथ सत्‍ता में आई है, उसे वह पूरे करने चाहिए। अतिथि विद्वानों के नियमित करने का वादा कांग्रेस का है लेकिन एक वर्ष बीत चुका है, सरकार ने किसी एक अतिथि विद्वान को भी नियमित नहीं किया जो सीधे तौर पर उसकी वादा खिलाफी को दर्शाता है।  
 
इसके बाद जब उच्‍चशिक्षा मंत्री जीतू पटवारी की तरफ से जो जवाब दिया गया उससे भाजपा के विधायक संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सदन का वहिर्गमन कर दिया।  मंत्री जीतू पटवारी ने नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव से कहा कि आप सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं, आपके सुझाव हमारे लिए मान्य हैं । आप हमें बताइए हम उनके ऊपर विचार करेंगे जबकि भाजपा के विधायकों और नेता प्रतिपक्ष का साफ कहना था कि आपने जो चुनावी वादा किया अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का, उसे आप पूरा कीजिए,  इधर-उधर की बात मत कीजिए । 
 
उल्‍लेखनीय है कि अतिथि विद्वानों के पूरे प्रदेश में अब तक करीब 1300 से ज्यादा अतिथि विद्वानों को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है।  साथ ही उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वानों के लिए च्वाइस फिलिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है ।  अतिथि विद्वानों ने उच्च शिक्षा विभाग के च्वाइस फिलिंग के आदेश की प्रतियों की होली जलाकर सरकार के खिलाफ विरोध भी जताया है । साथ ही अतिथि‍  विद्वान सरकार के खिलाफ लगातार अपना आन्‍दोलन चला रहे हैं। 
 
Dakhal News 17 January 2020

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