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आतंकियों की पनाहगाह कहे जाने वाले पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को 26 सूत्री समग्र कार्रवाई योजना सौंपी है। इस्लामाबाद को डर है कि एफएटीएफ उसे काली सूची में डाल देगा। पाक की योजना में मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के जमात उद-दावा और उससे जुड़े संगठनों सहित अन्य आतंकी संगठनों के चंदे पर रोक लगाने के कदम शामिल हैं।
पेरिस में मंगलवार को एफएटीएफ का पूर्ण सत्र शुरू हुआ है। इस सत्र में 15 माह के विस्तार वाली पाकिस्तान की 26 सूत्री कार्रवाई योजना पर विचार किया जाएगा। पाकिस्तान की स्थिति पर शुक्रवार को औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है।
पाकिस्तान अभी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल है। उसे एफएटीएफ द्वारा मनी लांड्रिंग विरोधी और आतंकी फंडिंग नियमों का पालन नहीं करने वाले देशों की सूची में शामिल किए जाने का डर सता रहा है। अधिकारियों को भय है कि इस सूची में शामिल होने से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही दबाव में है।
एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है। मनी लांड्रिंग, आतंकी फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की एकजुटता से संबंधित अन्य खतरों से मुकाबले के लिए 1989 में इसकी स्थापना की गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान को प्लान में दिए गए अपने पहले लक्ष्य को अगले साल जनवरी तक पूरा करना है। सभी 26 कार्रवाई सितंबर 2019 तक पूरी करनी है। फरवरी 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में रखने को मंजूरी दी थी।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आइसीआरजी) के तहत निगरानी के लिए रखे जाने को ग्रे लिस्ट के रूप में जाना जाता है। यदि एफएटीएफ पाकिस्तान की 26 सूत्री कार्रवाई योजना को मंजूर करता है तो वह औपचारिक रूप से ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा। ठुकराए जाने की स्थिति में पाकिस्तान को एफएटीएफ के पब्लिक स्टेटमेंट में रखा जाएगा जिसे काली सूची कहा जाता है।
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