Dakhal News
21 January 2025भारत को आतंक के खिलाफ लड़ाई में अपने पड़ोसी देशों का साथ मिलने जा रहा है। छह पड़ोसी देशों ने भारत के साथ सैन्य अभ्यास करने के लिए हामी भरी है। पहली बार भारत की सेना श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, थाईलैंड और म्यांमार की सेनाओं के साथ युद्धाभ्यास करेगी। यह सैन्य अभ्यास पुणे में आयोजित किया गया है। इसका मकसद काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन में एक दूसरे का सहयोग करने के साथ ही मिलिट्री फोरम बनाना है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी विदेश यात्राओं में इस बात पर जोर देते रहे हैं कि भारत और पड़ोसी देशों को मिलकर आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन में सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि आतंकवादी किसी एक देश को अपना बेस बनाकर पड़ोसी देश में आतंक फैलाते हैं। वहां वारदात अंजाम देकर फिर उस देश में वापस भाग जाते हैं जहां उनका बेस होता है। इसलिए काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन की सफलता इस पर निर्भर करती है कि अलग अलग देश आतंकियों पर लगाम लगाने के लिए एक दूसरे का सहयोग करते हुए एक फोरम के तहत मिलकर काम करें। इसलिए सात देशों की यह पहल अहम है।
वे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) देशों के बीच सैन्य अभ्यास के लिए पहली प्लानिंग कांफ्रेस हो गई है। जिसमें तय किया गया है कि भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, थाईलैंड और म्यांमार की सेनाएं मिलकर 10 सितंबर से 16 सितंबर तक संयुक्त सैन्य अभ्यास करेंगें। इस पहले बिम्सटेक सैन्य अभ्यास की मेजबानी भारत करेगा। सभी सात देशों की सेना से पांच-पांच अधिकारी और 25-25 दूसरे रैंक के फौजी इसमें शिरकत करेंगे।
15 और 16 सितंबर को इन सभी सात देशों के सेना प्रमुखों की कांफ्रेस भी होगी। जिसमें सभी मिलकर इस मल्टी नेशन एक्सरसाइज का रिव्यू करेंगे। इस मीटिंग में इस विकल्प पर भी विचार होगा कि क्या एक क्षेत्रीय सुरक्षा फोरम बनाया जा सकता है ताकि मिलकर आतंकवाद से और ट्रांस नेशनल क्राइम से मुकाबला किया जा सके। आपको बता दें कि 2012 से भारत ने दूसरे देशों के साथ सैन्य अभ्यास करने की संख्या बढ़ा दी है। भारत ने 2012 में आठ देश, 2013 और 2014 में छह, 2015 में नौ, 2016 में 14, 2017 में 15 और 2018 में अबतक सात सैन्य अभ्यास किए हैं।
गौरतलब है कि म्यांमार से आए रोहिंग्या को लेकर भारत आंतरिक सुरक्षा पर खतरा महसूस करता रहा है। अगर म्यांमार सहित बाकी छह देशों के साथ मिलकर भारत एक क्षेत्रीय सुरक्षा फोरम बनाने में कामयाब रहा तो इस तरह की दिक्कतों से निजात मिल सकती है। साथ ही आतंकी इन देशों के जरिये भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हैं तो क्षेत्रीय सुरक्षा फोरम उन पर लगाम लगाने में सफल होगा।
Dakhal News
22 June 2018
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By: Medha Innovation & Development
|