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अमेरिका की ओर से आ रहे सैन्य कार्रवाई के संकेतों के बीच उत्तर कोरिया अपनी सुरक्षा के बंदोबस्त पुख्ता कर रहा है। इसके चलते उसने रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर से मिसाइलें निकालकर उन्हें राजधानी प्योंगयांग में तैनात किया है।
दक्षिण कोरियाई मीडिया के अनुसार, उत्तर कोरिया अपनी ताकत प्रदर्शित करने के लिए फिर से कोई नई कोशिश कर सकता है। मिसाइलों का स्थान परिवर्तन किए जाने की जानकारी अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खुफिया अधिकारियों को अपने सूत्रों से मिली है। जिन मिसाइलों को तैनात किया गया है वे लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-12 या ह्वासोंग-14 हो सकती हैं। ये मिसाइलें सनुम-डोंग स्थित रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर में तैयार की जाती हैं।
दक्षिण कोरिया के अधिकारियों को आशंका है कि सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की वर्षगांठ के मौके पर उत्तर कोरिया 10 अक्टूबर को कोई बड़ा परीक्षण या घोषणा कर सकता है। युद्ध के कगार पर पहुंचे कोरियाई प्रायद्वीप में एक बार फिर से अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सेनाओं ने संयुक्त युद्धाभ्यास किया है। अमेरिका की प्रशांत क्षेत्रीय कमान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि युद्धाभ्यास में पहली बार कम दूरी की वायुसेना की हमले और बचाव की प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया।
अमेरिकी विदेश मंत्री पहुंचे चीन इस बीच, उत्तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंधों को और कड़ाई से लागू कराने के लिए चीन पर दबाव बनाने को अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन बीजिंग पहुंच गए हैं। वह कोशिश करेंगे कि चीन कम अवधि में ही प्रभावी होने वाले कदम उठाए जिससे उत्तर कोरिया पर हथियारों के विकास कार्यक्रम से पीछे हटने का दबाव बढ़े। गुरुवार को ही चीन ने उत्तर कोरिया की कंपनियों से जनवरी 2018 तक अपने देश से काम समेटने के लिए कहा है।
उत्तर कोरिया से विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 3 नवंबर से अपना एशिया दौरा शुरू करेंगे। राष्ट्रपति के तौर पर उनका यह पहला एशिया दौरा है। इस दौरान वह जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, वियतनाम और फिलीपींस की यात्रा करेंगे। 11 दिन के एशिया दौरे में ट्रंप कई द्विपक्षीय व बहुपक्षीय चर्चाओं में हिस्सा लेंगे जहां उनका जोर उत्तर कोरिया पर दबाव बनाने पर होगा।
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