Dakhal News
21 January 2025भोपाल के गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र केरवा को बड़ी सफलता हासिल हुई है। केन्द्र में सफेद पीठ वाले गिद्ध के चूजे का जन्म हुआ है। विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके गिद्ध संरक्षण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों में यह बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। बच्चा 15 दिन का हो चुका है और एक अन्य अण्डा लम्बी चोंच वाले गिद्ध के जोड़े द्वारा सेहा जा रहा है। इस बच्चे का जन्म अगले 15 दिन में होने की संभावना है। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल ने केन्द्र के प्रयासों की सराहना करते हुए बधाई दी है।
अप्रैल-2014 में गिद्धों को हरियाणा के पिंजोर से और प्रदेश के तामिया से केरवा स्थित केन्द्र में लाया गया था। वर्ष 2016-17 में सफेद पीठ वाला गिद्ध एवं लम्बी चोंच वाले गिद्ध का एक-एक जोड़ा बना है। खुशी की बात है कि अण्डे का सेहना और बच्चे का जन्म केन्द्र में गिद्धों द्वारा बनाये गये घोंसलों में ही हुआ है। केन्द्र के वैज्ञानिक और कर्मचारी बच्चे की सतत निगरानी कर रहे हैं। जब तक बच्चा उड़ने लायक नहीं हो जाता, हरसंभव सावधानी बरती जा रही है। गिद्ध के बच्चे 4 माह बाद घोंसला छोड़ कर आत्म-निर्भर हो जाते हैं।
गिद्ध लम्बी आयु वाले परंतु धीमी गति से प्रजनन करने वाला पक्षी है। यह वर्ष में केवल एक ही अण्डा देता है। प्रकृति में इनकी प्रजनन सफलता मात्र 30 से 40 प्रतिशत है।
गाँव से वन विहार में रेस्क्यू कर लाया गया विकलांग गिद्ध बच्चा
गिद्ध विशेषज्ञ श्री रोहन श्रंगारपुरे के साथ गिद्ध संवर्धन एवं प्रजनन केन्द्र केरवा के रेस्क्यू दल ने सूखी सेवनिया भोपाल के पास ग्राम गिद्धगढ़ से एक सफेद पीठ वाले अस्वस्थ गिद्ध के बच्चे को रेस्क्यू किया है। केन्द्र को इसकी सूचना ग्रामीणों ने दी थी। रेस्क्यू कर गिद्ध के बच्चे को वन विहार के क्वेरेंटाइन में रखा गया है।
संचालक वन विहार राष्ट्रीय उद्यान श्रीमती समिता राजौरा ने बताया कि गिद्ध बच्चा मेटाबॉलिक बोन डिजीज से ग्रसित और पैदायशी विकलांग है। इसके स्वास्थ्य में सुधार की बहुत ही क्षीण संभावना है। वन्य-प्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता द्वारा बच्चे की निगरानी की जा रही है और उसे बचाने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं।
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17 March 2017
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