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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत सहित जी 4 के सदस्य देश वीटो पावर छोड़ने के लिए तैयार हो गए हैं। पांच स्थायी सदस्यों वाली दुनिया की इस सर्वाधिक शक्तिशाली संस्था के विस्तार में वीटो पावर बड़ी बाधा बनी हुई थी।
सदस्य देश -अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन वीटो पावर का अधिकार बढ़ाए जाने का पक्षधर नहीं है। वीटो वह पावर है जिसका इस्तेमाल करके कोई भी स्थायी सदस्य देश सुरक्षा परिषद में रखे गए किसी भी प्रस्ताव का क्रियान्वयन रोक सकता है। सुरक्षा परिषद के विस्तार की चर्चा कई दशकों से चल रही है।
भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान इस शक्तिशाली संस्था के स्थायी सदस्य बनने के प्रबल दावेदार हैं। ये देश सुरक्षा परिषद में सुधार और विस्तार की पैरोकारी कर रहे हैं। साथ ही, एक-दूसरे की दावेदारी का भी समर्थन कर रहे हैं। इनके संयुक्त प्रतिनिधि के तौर पर भारत के राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने वीटो को लेकर दावा फिलहाल छोड़ने के फैसले की जानकारी दी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि आगे बढ़ने को कोई दूसरा तरीका नहीं है। हम संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए नए विचारों का स्वागत करते हैं।
जी4 देशों ने एक साथ अपनी आवाज बुलंद की है। माना जा रहा है कि इससे स्थायी देशों पर असर पड़ेगा और उन्हें अपने रुख नरम करना होगा।
खास बात यह भी है कि जी4 देशों को अपने ही पड़ोसियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मसलन- पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ रहा है, वहीं चीन, जापाना का विरोध करता है, जर्मनी को इटली का विरोध करना झेलना पड़ा है।
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