सर्जिकल स्ट्राइक / ट्रकों में भर के ले गए आतंकियों के शव
सर्जिकल स्ट्राइक / ट्रकों में भर के ले गए आतंकियों के शव

भारतीय फ़ौज के हमले से डर के भाग गए थे पाकिस्तानी आतंकी 

भारतीय सेना द्वारा पीओके में किए गए सर्जिकल स्‍ट्राइक को लेकर सवाल उठा रहे पाकिस्‍तान को करारा जवाब मिला है। सर्जिकल स्‍ट्राइक के चश्‍मदीदों ने बताया है कि हमले के दौरान धमाकों और फायरिंग की आवाज सुनाई दी थी। कुछ आतंकी तो हमले से डरकर जंगलों में भाग गए।

एलओसी के पार रहने वाले कुछ प्रत्‍यक्षदर्शियों ने हमले को लेकर दी जानकारी में कहा है कि हमले के बाद अगले ही दिन मारे गए आतंकियों के शवों को ट्रकों में भरकर ले जाया गया और गुप्‍त तरीके से दफना दिया गया। वहीं उन्‍होंने अथमवाल के अस्‍पताल में भी लश्‍कर के कुछ आतंकियों के शव देखने का दावा किया है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्‍सप्रेस ने पीओके के चश्‍मदीदों के हवाले से अपनी खबर में दावा किया है कि भारत की सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद मारे गए आतंकियों के शवों को ट्रकों में भरकर ले जाया गया और गुप्‍त तरीके से दफना दिया गया।

प्रत्‍यक्षदर्शियों ने यह भी दावा किया है कि स्‍ट्राइक के दौरान बेतहाशा फायरिंग हुई जिसमें सीमापार करने से पहले जिहादी जिस इमारत में रूके थे वो नष्‍ट हो गई। अखबार का कहना है कि प्रत्‍यक्षदर्शियों के इन बयानों के बाद यह साबित हो जाता है कि भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम दिया था जिसे पाकिस्‍तान लगातार नकार रहा है।

लोगों ने जो जानकारी दी उसमें उन्‍होंने पहली बार उन जगहों के बारे में भी बताया है जिन्‍हें सेना ने निशाना बनाया था, यह जानकारी ना तो भारत और ना ही पाक सरकार ने अब तक सार्वजनिक की है। हालांकि प्रत्‍यक्षदर्शियों के बयानों और खुद के द्वारा एकत्रित जानकारी के आधार पर अखबार का दावा है कि इस सर्जिकल स्‍ट्राइक में मरने वाले आतंकियों की संख्‍या 38-50 के बीच ना होकर इससे कम है।

खबर के अनुसार प्रत्‍यक्ष‍दर्शियों से जब बात की गई तो उन्‍होंने कहा कि उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए उनकी पहचान छिपाकर रखी जाए। सबसे विस्‍तृत जानकारी उन प्रत्‍यक्षदर्शियों दी जो एलओसी से महज 4 किमी दूर स्थित एक छोटे गांव दुधनियाल गए थे। यह जगह भारत की कुपवारा में स्थित अग्रीम चौकी गुलाब से सबसे करीब है।

प्रत्‍यक्ष‍दर्शियों ने कहा कि उन्‍होंने एक जली हुई इमारत देखी जो गांव के मुख्‍य बाजार में अल-हावी पुल के पास बनी थी। यहां एक सैन्‍य पोस्‍ट है और लश्‍कर-ए-तैयबा द्वारा उपयोग किया जाने वाला कम्‍पाउंड है। अल-हावी पुल वो अखरी जगह है जहां आतंकियों को घुसपैठ से पहले साजो सामान दिया जाता है और फिर ये कुपवाड़ा की तरफ बढ़ते हैं।

स्‍थानीय लोगों ने एक प्रत्‍यक्षदर्शी को बताया कि देर रात पुल के पार बड़े धमाके की आवाज आई साथ ही फायरिंग भी सुनाई दी। धमाके और फायरिंग की आवाज सुनकर वो लोग घर से बाहर तो नहीं निकले इसलिए देख नहीं पाए की वो भारतीय सेना थी लेकिन अगले दिन वहां एकत्रित हुए लश्‍कर के लोगों से सूचना मिली की हमला हुआ है। अगले दिन सुबह पांच से छ शवों को ट्रक में लादकर लश्‍कर के पास के कैंप चलहाना जो टीटवाल से नीलम नदी के पास स्थित है वहां ले जाया गया। यह जगह भारतीय सीमा के करीब है।एक अन्‍य चश्‍मदीद ने बताया कि शुक्रवार को चलहाना में स्थित लश्‍कर की मस्जिद में हुई नमाज के बाद मौलवी को यह कहते सुना गया कि उनके लोगों की मौत का बदला लिया जाएगा। मौलवी ने एक संदेश में कहा पाक सेना सीमा की सुरक्षा करने में असफल रही और अब वो जल्‍द ही भारत को ऐसा जवाब देंगे जिसे वो कभी नहीं भूल पाएगा।

अखबार के अनुसार हमले के पहले जारी अलर्ट्स में लॉन्‍च पैड्स पर कम ही आतंकियों के होने की खबर थी। इंटेलीजेंस के करीब एक अधिकारी के अनुसार उनके लिए यह रोज का काम था और उनमें से कईं घुसपैठ के दौरान मारे गए होंगे लेकिन भारत के स्‍ट्राइक ने उन्‍हें पीछे धकेल दिया।

चश्‍मदीदों के अनुसार काजी नाग स्‍ट्रीम के पास स्थित एक छोटा गांव लीपा भी सेना के निशाने पर था। हालांकि चश्‍मदीदों को वहां जाने नहीं दिया गया लेकिन उसी गांव के एक व्‍यक्ति से बात करने पर उसे पता चला कि गांव में लश्‍कर की एक तीन मंजिला इमारत ध्‍वस्‍त कर दी गई थी।यह इमारत खैराती बाग नामक गांव के पास बनी थी। 2003 तक खैराती गांव लश्‍कर का बेस था लेकिन संघर्ष विराम के बाद धीरे-धीरे यहां गतिविध‍ियां कम हो गईं। प्रत्‍यक्षदर्शियों ने स्‍थानीय लोगों के हवाले से बताया कि जैसे ही फायरिंग शुरू हुई लश्‍कर के कुछ आतंकी तो मारे गए और कुछ पास ही बने जंगल की तरफ भाग गए।

उन्‍होंने  बताया कि जमात-उद-दावा के चैरिटेलबल विंग ने खैराती बाग में बड़ा आई सर्जरी कैंप अगस्‍त में लगाया था। अथमुकाम में नीलम नदी के पास रहने वाले एक व्‍यक्ति ने कहा कि उन्‍होंने फायरिंग और धमाकों की आवाज सुनी। अथमुकाम एक बड़ी मिलट्री हब है।बिचावल और बंगा नाम के दो गांव जो सलखाना से महज 2 किमी दूर हैं पूरी तरह खाली है। यह जगह घुसपैठ के लिए आतंकियों के लिए आखरी पोस्‍ट है। इस गांव को लोगों ने सालों पहले ही खाली कर दिया था। चश्‍मदीद ने यह भी बताया कि उसने अथमुकाम के अस्‍पताल में भी कुछ लश्‍कर आतंकियों के शव देखे थे।

Dakhal News 5 October 2016

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