नड्डा पर फेंकी स्याही ,उनकी कार से घायल हुए एम्स स्टूडेंट
nadda syahi

एम्स भोपाल की घटना 

भोपाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की कार से प्रदर्शन कर रही भोपाल एम्स की दो छात्राएं घायल हो गईं। प्रदर्शन के दौरान वे मंत्री की कार को रोक रहीं थी और गाड़ी पांव पर चढ़ने से छात्रा अंजलि कृष्णा और लिज्हा पांडे घायल हो गईं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के दौरे में सभी छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान छात्रों ने मंत्री पर स्याही भी फेंकी लेकिन वे बच गए और स्याही कार पर गिर गई।

 

घायल छात्राओं का कहना था कि वे मंत्री को सिर्फ अपनी मांगे बताने के लिए रोक रहे थे, लेकिन उन्होंने गाड़ी नहीं रोकी। इस पर हमने उन्हें रोकने का प्रयास किया और कार पहियां हमारे पैर के ऊपर से निकल गया। पहिये में पैर दबते ही छात्राएं चिल्लाने लगी और बाकी विद्यार्थी और भी ज्यादा आक्रोशित हो गए। छात्रों का कहना था कि यहां हमारे पढ़ने के लिए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है। करीब 50 से ज्यादा छात्र विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्रित हुए थे।

 नड्डा ने शनिवार को भोपाल स्थित एम्स का दौरा किया। इस दौरान उन्हें छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा।स्टूडेंट्स एम्स में नये डायरेक्टर को अप्वाइंट करने, फैकल्टी, अन्य स्टाफ की कमी को दूर करने और इन्फ्रास्ट्रक्चर, लैब की समस्याएं दूर करने की मांग कर रहे थे।स्टूडेंट्स का कहना था कि 2013-14 में जब से उन्होंने MBBS में एडमिशन लिया है, तब से वे प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं।बता दें कि यहां के प्रभारी डायरेक्टर नितिन एम नागरकर रायपुर एम्स की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।

जब नड्डा ने नाराज स्टूडेंट्स से कहा कि पहले जो भी हुआ हो, उन्हें नहीं मालूम, लेकिन अब वे सारी परेशानियों को शॉर्ट आउट कर रहे हैं।इस पर स्टूडेंट्स ने जवाब दिया कि, यहां जो भी मंत्री आता है, वो सिर्फ प्रॉमिस करके चला जाता है। जुलाई में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी एम्स आए थे। उन्होंने जो प्रॉमिस किए थे, वे पूरे नहीं हुए। लैब, इक्विपमेंट्स की कमी के चलते वे प्रैक्टिकल नहीं कर पा रहे हैं। इस पर नड्डा ने स्टूडेंट्स को धैर्य बनाए रखने की नसीहत दी।

एम्स 13 साल से आश्वासनों के हार ही पहन रहा है। यही कारण है कि अस्पताल में वो फैसिलिटी नहीं मिल सकीं जो हॉस्पिटल को शुरुआती सालों में ही मिल जानी थी।इन 13 सालों में चार केंद्रीय मंत्री एम्स का दौरा कर चुके हैं। इन सभी ने 6 महीने में बेहतर सुविधाओं का वादा किया। लेकिन गए तो पलट कर नहीं देखा।नड्डा के आने की जानकारी लगते ही प्रबंधन ने एक दिन में ही जर्जर सड़क को दुरुस्त कर दिया।वहीं 8 घंटे में गाइनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में एक डिलीवरी वार्ड बना दिया गया।हालात ये हैं कि यहां पर आज तक न तो एक भी डिलीवरी नहीं हुई है और न ही पहले बैच के स्टूडेंट्स को किसी तरह की ट्रेनिंग दी गई। यह तब है जब एक नवंबर को पहला बैच निकलने वाला है।एम्स में अभी तक मेडिसिन, गाइनेकोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, ऑर्थोडिक्स, प्लास्टिक सर्जरी, जनरल सर्जरी, न्यूरोलोजी, न्यूरोसर्जरी, डेंटिस्ट्री, फिजियोथेरेपी विभागों की ओपीडी चल रही है। कॉर्डियोलोजी, कार्डियक सर्जरी, नेफ्रोलोजी, गेस्ट्रोसर्जरी, गेस्ट्रोमेडिसिन और रेडियोथेरेपी विभाग शुरू नहीं हो पाए हैं। अस्पताल भी 100 बिस्तरों का है। जबकि 900 बिस्तर होने चाहिए।एम्स में 13 साल के भीतर अब तक सिर्फ 11 विभाग ही शुरू हो पाए हैं। 31 विभाग अभी भी ऐसे हैं जिसके ताले तक नहीं खुले हैं। न ही एक्सपर्ट डॉक्टरों की नियुक्ति हो पाई है। 2003 में केंद्रीय मंत्री रही सुषमा स्वराज ने एम्स का भूमिपूजन किया। 2014 में डॉ. हर्षवर्धन यहां पर आए। जुलाई 2016 में केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और अब केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने इसका दौरा किया है।

Dakhal News 17 September 2016

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