महान प्रेरणास्रोत अटल बिहारी वाजपेयी
महान प्रेरणास्रोत अटल बिहारी वाजपेयी
राष्ट्रीय क्षितिज पर सुशासन के पक्षधर, विकास पुरुष और स्वच्छ छवि के साथ अजातशत्रु कहे जाने वाले कवि एवं पत्रकार, सरस्वती पुत्र अटल बिहारी वाजपेयी एक व्यक्ति का नाम नहीं, वरन राष्ट्रीय विचारधारा का नाम है। अटलजी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में ग्वालियर में हुआ था। अटलजी की शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर में हुई। 1939 में जब वे ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज में अध्ययन कर रहे थे तभी से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाने लगे थे। 1942 में लखनऊ शिविर में अटलजी ने जिस ओजस्वी शैली में अपनी कविता- हिंदू तन मन हिंदू जीवन का पाठ किया था उसने जनमानस पर अमिट छाप छोड़ी थी और उसकी चर्चा आज तक होती है। भाषण के बीच-बीच में व्यंग्य-विनोद की फुलझड़ियां श्रोताओं के मन में न केवल गुदगुदी पैदाकर उन्हें ठहाकों के साथ हंसने पर मजबूर करती थीं, बल्कि उनके अंतर्मन को हिला देती थीं। उनका विनोदी स्वभाव विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें हमेशा अदम्य साहस बनाए रखता था। अटलजी ने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वे नैतिकता का पर्याय होने के साथ-साथ कवि और साहित्यकार, तत्पश्चात राजनैतिज्ञ हैं। नैतिकता को सर्वोपरि मानने वाले अटलजी कहते हैं कि-छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।मन हार कर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन ही जीता जाता है।।अटल जी का सक्रिय राजनीति में पदार्पण 1955 में हुआ। 1994 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद एवं 1998 में सबसे ईमानदार व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया गया। 1992 में पद्मविभूषण से अलंकृत अटल जी को उसी साल हिंदी गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया गया। अटल जी ही देश के ऐसे पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया और अपनी कविता के माध्यम से अटल जी कहते हैं-गूंजी हिंदी विश्व में, स्वप्न हुआ साकारराष्ट्रसंघ के मंच से, हिंदी का जयकार।हिंदी का जयकार, हिंद हिन्दी में बोला,देख स्वभाषा प्रेम, विश्व अचरज से डोला।।अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक हैं। वे 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और उसे पूरी निष्ठा से निभाया। 1957 में अटलजी यूपी के बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। वे मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने पूरे विश्व में भारत की छवि निखारने में अहम भूमिका निभाई। 16 मई 1996 को प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी ने देश की बागडोर संभाली हालांकि 161 सीट प्राप्त कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं था। 28 मई 1996 को अटलजी ने विश्वासमत पर चर्चा के बाद संख्याबल न होने के कारण प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 1998 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने अटल जी को प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लेकर लड़ा और पार्टी 177 सीटें लेकर सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई। अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। अटलजी ने महान वैज्ञानिक भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में 11 मई और 13 मई 1998 को एकाएक पोखरण में परमाणु परीक्षण कराए। प्रधानमंत्री अटल जी ने साफ शब्दों में कहा कि भारत अपने देश की संप्रभुता और सुरक्षा के प्रश्न पर किसी के भी दबाब में नहीं आएगा। स्वाधीनता दिवस पर अपने भाषण में उन्होंने कहा कि विस्फोट हमने आत्मसुरक्षा में किए हैं किसी पर आक्रमण के लिए नहीं। अटल सरकार ने 2010 तक कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं।अटल जी ने 20 फरवरी 1990 को लाहौर तक बस यात्रा की। पूरी दुनिया ने इस सद्भाव यात्रा का जमकर स्वागत किया। कारगिल में भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को जो सबक सिखाया तथा विजय अभियान की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया वह भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय बन चुका है। पाक को पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की सक्रियता के कारण कूटनीतिक पराजय का सामना करना पड़ा। अटलजी अपने आदर्शों और मूल्यों के प्रति सर्वदा अटल रहते हैं। सर्वदा संघर्ष को तैयार किंतु समझौते के द्वार खुले रखने वाले अटलजी राजनीति के शिखर पुरुष हैं। वे बहुआयामी अनूठे व्यक्तित्व के धनी हैं। उन्होंने सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि धर्म माना है। श्री वाजपेयी इन दिनों अस्वस्थ हैं और वृद्धावस्था के रोगों से ग्रस्त हैं। इसके बावजूद वे देश के राजनीतिज्ञों, बुद्धिजीवियों और जनता के लिए महान प्रेरणास्रोत हैं।अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक हैं। वे 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और उसे पूरी निष्ठा से निभाया। 1957 में अटलजी यूपी के बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। वे मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने पूरे विश्व में भारत की छवि निखारने में अहम भूमिका निभाई। 16 मई 1996 को प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी ने देश की बागडोर संभाली हालांकि 161 सीट प्राप्त कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं था। 28 मई 1996 को अटलजी ने विश्वासमत पर चर्चा के बाद संख्याबल न होने के कारण प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 1998 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने अटल जी को प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लेकर लड़ा और पार्टी 177 सीटें लेकर सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई। अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। अटलजी ने महान वैज्ञानिक भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में 11 मई और 13 मई 1998 को एकाएक पोखरण में परमाणु परीक्षण कराए। प्रधानमंत्री अटल जी ने साफ शब्दों में कहा कि भारत अपने देश की संप्रभुता और सुरक्षा के प्रश्न पर किसी के भी दबाब में नहीं आएगा। स्वाधीनता दिवस पर अपने भाषण में उन्होंने कहा कि विस्फोट हमने आत्मसुरक्षा में किए हैं किसी पर आक्रमण के लिए नहीं। अटल सरकार ने 2010 तक कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं।अटल जी ने 20 फरवरी 1990 को लाहौर तक बस यात्रा की। पूरी दुनिया ने इस सद्भाव यात्रा का जमकर स्वागत किया। कारगिल में भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को जो सबक सिखाया तथा विजय अभियान की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया वह भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय बन चुका है। पाक को पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की सक्रियता के कारण कूटनीतिक पराजय का सामना करना पड़ा। अटलजी अपने आदर्शों और मूल्यों के प्रति सर्वदा अटल रहते हैं। सर्वदा संघर्ष को तैयार किंतु समझौते के द्वार खुले रखने वाले अटलजी राजनीति के शिखर पुरुष हैं। वे बहुआयामी अनूठे व्यक्तित्व के धनी हैं। उन्होंने सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि धर्म माना है। श्री वाजपेयी इन दिनों अस्वस्थ हैं और वृद्धावस्था के रोगों से ग्रस्त हैं। इसके बावजूद वे देश के राजनीतिज्ञों, बुद्धिजीवियों और जनता के लिए महान प्रेरणास्रोत हैं।
Dakhal News 22 April 2016

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