आटाचक्की के मसले पर मानवीय संवेदनाओं भरा फैसला
शैफाली गुप्ता मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने मानवीय संवेदना से जुड़े एक प्रकरण में सख्त रवैया अख्तियार करते हुए लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) व प्रथम अपीलीय अधिकारी (एओ) को कड़ी फटकार लगाई है। सूचना आयुक्त आत्मदीप ने इस मामले में जानकारी न देने के पीआईओ व एओ के आदेश खारिज कर उनके विरुद्ध कड़ी टिप्पणी की है। आयुक्त ने पीआईओ को 7 दिन में अपीलार्थी को निशुल्क जानकारी देने का आदेष दिया है। पीआईओ को चेतावनी दी गई है कि आदेष का समय-सीमा में पालन न करने पर उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं सूचना आयुक्त ने तत्कालीन पीआईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है कि सूचना के आवेदन को अवैधानिक आधार पर नामंजूर किए जाने के कारण क्यों न उन पर जुर्माना लगाया जाए तथा अनुशासनिक/विभागीय कार्रवाई की जाए।ग्वालियर के पूर्व सैनिक योगेंद्र प्रताप सिंह ने आयोग में प्रस्तुत अपील में कहा कि हाईकोर्ट व लोक अदालत के निर्णय की अवमानना करते हुए उनके पड़ोस में 5 हार्सपॉवर से अधिक क्षमता की मोटर से आटा चक्की व स्केलर चलाई जा रही है। इससे उनके घर में कंपन होने, आटाचक्की की डस्ट उडक़र आने, गेहूं की सफाई से प्रदूषित धूल-कण उडऩे और ध्वनि प्रदूषण होने से उनके परिवार का जीना दूभर हो गया है। रहना-सोना दुश्वार हो जाने से, शांति से स्वच्छ वातावरण में रहने के उनके जीवन के मूलभूत अधिकार, मानवाधिकार, व्यक्तिगत जीवन व स्वतंत्रता का हनन हो रहा है। उनका परिवार 8 वर्षों से इस वेदना से ग्रसित है। उनकी शिकायत पर कलेक्टर के निर्देशानुसार बिजली कंपनी के सहायक यंत्री/प्रबंधक ने पड़ोसी प्रदीप राठौर की आटाचक्की की विद्युत मोटर क्षमता का निरीक्षण कर पंचनामा बनाया, जिसमें क्षमता 10 एचपी की मापी गई। अपीलार्थी ने इसी पंचनामे की सत्यप्रति चाही थी, किन्तु तत्कालीन पीआईओ आरपी सिंह जादौन ने उनका आवेदन यह कहकर नामंजूर कर दिया कि चाही गई जानकारी लोकहित में न होकर अन्य उपभोक्ताओं के साथ निजी व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा से संबंधित है। उक्त जानकारी व्यक्तिगत है, जिसे देने से व्यक्ति की निजता भंग होगी। व्यक्तिगत विद्वेष होने तथा लोकहित में नहीं होने से धारा 8 के तहत ऐसी जानकारी देना संभव नहीं है। यह आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग है। अपीलार्थी की प्रथम अपील भी अपीलीय अधिकारी आरएच वर्मा (उप महाप्रबंधक, बिजली कंपनी) ने इसी आधार पर खारिज कर दी। आयोग में द्वितीय अपील की सुनवाई कर शुक्रवार को पारित आदेश में आयुक्त आत्मदीप ने टिप्पणी की कि अपीलार्थी सेवानिवृत्त सैनिक है। घर के बगल में निर्धारित से अधिक क्षमता की मोटर से चक्की चलने से उत्पन्न दिन-रात की परेशानी से अपीलार्थी का परिवार इतना व्यथित है कि वह पुलिस, कलेक्टर, जिला न्यायालय, लोक अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक फरियाद कर चुका है। यह अत्यंत दुखद है कि अपने पक्ष में आदेश/निर्णय पारित होने के बाद भी अपीलार्थी के परिवार को रोजमर्रा की तकलीफ से निजात नहीं मिल सकी है। मानवीय संवेदना से जुड़े ऐसे प्रकरण में सहानुभूतिपूर्वक निराकरण की कार्यवाही की जाना चाहिए जो नहीं की गई है। आयोग की दृष्टि में यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। इसके निराकरण के लिए आयोग ने मामले में वांछित कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति कलेक्टर ग्वालियर को भी भेजने के निर्देश दिए हैं। प्राथमिकता से की सुनवाईआयुक्त आत्मदीप ने प्रकरण में मानवीय पक्ष की गंभीरता को देखते हुए 2014 में दायर इस अपील की प्राथमिकता से सुनवाई की, जबकि आयोग में वर्ष 2009 से 2013 तक की लंबित अपीलों की सुनवाई चल रही है। इस प्रकार इस प्रकरण के साथ 2014 की अपीलों पर भी सुनवाई शुरू हो गई।खारिज किए आदेशआयुक्त आत्मदीप ने उक्त टिप्पणी के आलोक में पीआईओ और एओ के निर्णय को निष्पक्ष, विधिसम्मत एवं न्यायोचित नहीं पाते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही अपीलार्थी के तर्क को विधिमान्य व न्यायसंगत मानते हुए अपील मंजूर कर ली। प्रकरण में एओ, पीआईओ एवं तत्कालीन पीआईओ को 2 दिसंबर की सुनवाई में अनविार्य रूप से उपस्थित होकर जवाब पेश करने का आदेश दिया गया है। एओ को किया आगाहसूचना आयोग ने एओ को भी आगाह किया है कि वे जानकारी न देने से संबंधित धारा 8 के उपयोग में सावधानी बरतें, जनहित के प्रकरण में संवेदनशील रवैया अख्तियार करें तथा सूचना के अधिकार के प्रति सद्भावी रुख अपनाएं। साथ ही प्रथम अपील के निराकरण के लिए सुनवाई कर विधिवत आदेश पारित करने के प्रावधान का पालन सुनिश्चित करें।