अमेरिका सहित 62 देश ने दिखाई साँची यूनिवर्सिटी में रुचि
दर्शन-शास्त्र पर विश्व का यह पहला विश्वविद्यालय दर्शन-शास्त्र विशेषकर बौद्ध और भारतीय दर्शन पर केन्द्रित विश्व के पहले साँची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में इसी साल अक्टूबर से अध्यापन शुरू हो जायेगा। प्रारंभ में 8 सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम शुरू किये जा रहे है। इनमें प्राकृत एवं जैन अध्ययन, संस्कृत भाषा अध्ययन, बौद्ध धर्म, भारत में योग परम्परा, धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन, भारतीय दर्शन, कश्मीरी शैववाद थ्योरी एण्ड प्रेक्टिस तथा हिन्दू एवं बौद्धिस्ट तंत्र शामिल हैं।इन पाठ्यक्रमों में पढ़ाने वाले प्रोफेसर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शिक्षाविद हैं। इनमें से कोई भी कुलपति के स्तर से कम नहीं है। इन आवासीय पाठ्यक्रमों को पढ़ाने वाले प्रोफेसरों में अमेरिका, जर्मनी और तिब्बत सहित भारत के प्रोफेसर शामिल हैं। दो माह के इन पाठ्यक्रमों में प्रत्येक में 25 से 30 विद्यार्थी होंगे। अभी विश्वविद्यालय में 5 स्कूल हैं और 3 स्कूल शुरू कर दिये जायेंगे। सुश्री शशिप्रिया कुमार को विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया है, जो पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग की डीन थीं। विश्वविद्यालय के चांसलर सेन्डोंग रिन्पुचे हैं, जो तिब्बत के रहने वाले हैं। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रह रहे हैं। वह निर्वासित तिब्बती सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे। विश्वविद्यालय के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर का मेन्टर ग्रुप गठित किया गया है, जिनमें विश्व भर के लब्धप्रतिष्ठित विद्वान शामिल हैं।प्रारंभ में विश्वविद्यालय में 5 स्कूल शुरू किये गये हैं। इनमें बौद्ध दर्शन स्कूल, सनातन धर्म एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध धर्म अध्ययन, तुलनात्मक धर्म और भाषा, साहित्य एवं कला स्कूल शामिल हैं। शीघ्र ही भाषा, साहित्य और कला स्कूल को दो भाग में विभाजित कर दिया जायेगा और 3 नये स्कूल खोले जायेंगे। इनमें सभ्यताओं का अध्ययन, पश्चिमी दर्शन और फ्यूचरॉलाजी स्कूल शामिल हैं।अगले सत्र से विश्वविद्यालय में 3 विदेशी भाषा के अध्यापन का कार्य शुरू किया जायेगा। इनमें चीनी, तिब्बती और सिंहली (श्रीलंका) शामिल हैं। विश्वविद्यालय में वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली केन्द्र भी स्थापित होगा। विश्वविद्यालय की वेबसाइट को अभी तक 62 देश हिट कर चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या अमेरिका की है।उल्लेखनीय है कि इस विश्वविद्यालय को मध्यप्रदेश शासन ने 100 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई है और 353 पद स्वीकृत किये हैं। विश्वविद्यालय भवन की लागत लगभग 400 करोड़ रुपये है। यह भवन भोपाल के पास सलामतपुर के निकट ढकना-चिकना गाँव में स्थापित हो रहा है। भवन की आधारशिला श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे वाय. थिनले ने 20 सितम्बर, 2012 को रखी थी।