मध्यप्रदेश में एक बार फिर स्थानीय बेरोजगारों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने के लिए बाहरी उम्मीदवारों की आयु सीमा घटाकर उन्हें रोकने की तैयारी शुरू हो गई है। अभी बाहरी आवेदक 35 वर्ष तक नौकरी पाने के लिए पात्र हैं। इसे घटाने के लिए सरकार दूसरे राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन करा रही है। इसके बाद ही मुख्यमंत्री की सहमति से कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाएगा।
पुलिस भर्ती में अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को मौका देने के खिलाफ मुरैना और अशोकनगर में प्रदर्शन हो चुके हैं। गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने पुलिस महानिदेशक सुरेंद्र सिंह को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी है। वहीं, मुख्यमंत्री से कुछ बेरोजगारों ने मिलकर आयु सीमा घटाने की मांग करने ज्ञापन सौंपा है।
मुख्यमंत्री ने इसे विचार के लिए मुख्य सचिव को दिया था, जिस पर सामान्य प्रशासन विभाग अध्ययन कर रहा है। प्रदेश में जनवरी 2016 से बाहरियों के लिए सरकारी नौकरी में आवेदन की पात्रता आयु 40 से घटाकर 35 साल की जा चुकी है। इसके बाद भी बाहरियों को रोकने के लिए आयु सीमा घटाने की मांग उठ रही है। इसके मद्देनजर सरकार अन्य राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन करा रही है।
सूत्रों का कहना है कि होमगार्ड की भर्ती में दिल्ली सरकार ने दिल्ली का मूल निवासी होना अनिवार्य कर दिया है। इसी तरह असम, उत्तराखंड और झारखंड में विभिन्न वर्गों में भर्ती के लिए आयु सीमा 25 से 28 वर्ष रखी है। वहां परीक्षा में शामिल होने के बाद 35 साल तक यहां प्रयास करते रहते हैं। इससे प्रदेश के मूल निवासियों के मौके कम हो जाते हैं। इसे रोकने के लिए आयु सीमा घटाने के साथ 10वीं-12वीं प्रदेश के किसी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से पास होने की शर्त रखी जा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने वालों को ही नौकरी के लिए आवेदन करने की पात्रता दी जाए। इससे न सिर्फ रोजगार कार्यालयों में पंजीयन कराने वाले ही परीक्षाओं में हिस्सा ले सकेंगे, बल्कि सरकार को ये भी पता रहेगा कि कितने लोग किस परीक्षा के लिए पात्र होंगे।