पानी से पहले पार बांधने का समय
राघवेंद्र सिंह bhopal

 

 

राघवेंद्र सिंह

मध्यप्रदेश में सिंहस्थ की धूम है। गर्मी का हाल यह है कि आसमान से अंगारे बरस रहे हैैं। सूखे से पीडि़त प्रदेश में सिंहस्थ की तैयारी में पूरी सरकार बेटी के पिता की तरह भक्तों के स्वागत में दिन रात एक पैर से खड़ी हुई है। ऐसे में हफ्ते पंद्रह दिन बाद आने वाली बारिश की बात करना हो सकता है अप्रसांगिक लगे मगर सिंहस्थ के संपन्न होने तक या उसके कुछ दिनोंं बाद मानसून पूर्व बारिश से प्रदेश के हलाकान होने के संकेत मिल रहे हैैं। ऐसे में पानी से पहले पार बांधने की तैयारी हो जाये तो सूखा पडऩे के समय जैसे टैैंकरों से पानी लूट लिया गया था बारिश में लोगों के बहने की या बरबाद होने की खबरें कम ही आयेंगी।
अभी तो मोक्ष दायिनी क्षिप्रा में सब डुबकी लगा पाप धोने, महाकाल के दर्शन कर पुण्य कमाने की भागमभाग में लगे हुए हैैं। महाकाल का तो पूरा ब्राह्मïण है इसलिये कालिदास की नगरी उज्जैन में साधु, संत महामंडलेश्वर और शंकराचार्यों के दर्शन कर जमाने भर से आ रहे भक्त ज्ञान ध्यान करने में लगे हैैं।
कहा जाता है कि सिर में दर्द हो रहा हो तो पैर में चोट मार दो तो सिर की पीड़ा महसूस नहीं होती। सूखे से पीडि़त प्रदेश में सिंहस्थ का उत्सव पूरे चरम पर है। ऐसे में लोग इस बात ध्यान नहीं दे रहे हैैं कि शिवपुरी में मंत्राणी के घर जा रहा पानी का टैैंकर लुट गया था। ऐसे ही सामान्य से ज्यादा बारिश होने के संकेत मौसम विज्ञानी और ज्योतिष विज्ञान जब दे रहे हों तो बारिश आने के पहले तैयारी की पार बांधने में ही समझदारी है। पहले होता भी था कि प्रशासन से एक एडवायजरी जारी होती थी जिलों के लिये और वहां से प्रशासन ब्लाक स्तर पर तैयारी करने के निर्देश देते थे। बाढ़ पीडि़त संभावित इलाकों में नाव, स्टीमर, गोताखोर के साथ खाने पीने की सामग्र्री और इलाज के लिये दवाओं का इंतजाम भी पहले से किया जाता था। बारिश पूर्व जल रोको अभियान और अब भाजपा शासन में जलाभिषेक अभियान चलाए जाते रहे हैैं लेकिन इस बार किसी अभियान का कोई पता नहीं है।  अब बारिश हुई तो जाहिर है कि इमरजेंसी में तैयारियां की जायेंगी और उसके लिये प्रशासनिक तैयारी के साथ वित्तीय अधिकार भी विशेष रूप से लिये जायेंगे। यहीं से शुरूआत होगी सरकारी तंत्र में बाढ़ उत्सव की। सबको याद होगा कि मुख्यमंत्री ने सूखे की स्थिति का जायजा लेने के लिये जब अधिकारियों को गांव में  जाने और रुकने के निर्देश दिये थे तब जिस अंदाज में अधिकारियों ने दौरे किये उसे सूखा टूरिज्म का नाम दिया गया था। इससे अंदाजा लग रहा था कि अधिकारी संकट को लेकर कितने संजीदा हैैं।
भोपाल सहित प्रदेश के शहरों की हालत यह है कि नालियां कचरों से ठसाठस भरी हैैं। नालों की सफाई नहीं हुई है। जिलों में अगर तालाब हैैं तो उनका गहरीकरण नहीं हुआ है। ऐसे में पहली बारिश के साथ ही समस्याएं नालों  और नालियों से निकल कर सड़कों पर आयेंगी और लोगों के घरों में घुसेंगी। इससे परेशानियां तो आयेंगी और बीमारियां बोनस में मिलेंगी। रीवा, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में बारिश पूर्व की तैयारी नहीं होने की खबरें हैैं।
किसानों के मामले में अलबत्ता खाद की व्यवस्था पुख्ता बताई जा रही है मगर प्रमाणिक बीज के मामले में हालत चिंताजनक है और किसानों को घटिया और नकली बीज के लिये अभी से तैयार रहना चाहिये। एक परियोजना के तहत कृषि विभाग में सब्सिडी के बड़े खेल के चक्कर में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति के लिये 30-30 लाख तक की बोली लगने की खबरें हैैं। जांच कर इसकी हकीकत पता की जा सकती है। फिल वक्त तो किसी को फुरसत नहीं क्योंकि सब सिंहस्थ में व्यस्त हैैं।(नया इण्डिया से साभार)

 
Dakhal News 15 May 2016

Comments

Shyam Sunder Vishwakarma
Definately the briefing submitted on channel is like the soul of Humen Body. Congratulations Bhai Raghvendra ji.
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