सिंहस्थ बनेगा ग्लोबल इवेंट
सिंहस्थ बनेगा ग्लोबल इवेंट
सुरेश तिवारीमध्यप्रदेश के उज्जैन में शिप्रा का पावन तट वर्ष 2016 में वैश्विक परिदृश्य पर अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान बनाने के लिए तैयार हो रहा है। 'सिंहस्थ 2016' इक्कीसवीं सदी में विश्व के सबसे बड़े सफल आयोजन के प्रबंधन का उदाहरण साबित होगा। 'शिव' की नगरी का यह आयोजन 'शिव' का मिशन बन गया है। हम यहां बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की। महाकाल के प्रति अपनी आस्था से संकल्पित चौहान इस विराट आयोजन की सफलता को भगवान का आदेश और आशीर्वाद मान रहे हैं। सिंहस्थ को वे ग्लोबल इवेंट के रूप में लोगों के मन में उतारना चाहते हैं। वे तमाम कार्यों की स्वयं मॉनिटरिंग करने के साथ ही समय-समय पर स्थल निरीक्षण भी कर रहे हैं। अनुमान है कि पांच करोड़ से अधिक लोग इस आयोजन में शामिल होंगे। यह दुनिया का सबसे बड़ा और सुनियोजित मेला होगा।दुनिया के किसी भी देश में इतने ज्यादा लोगों का आगमन किसी मेले में नहीं होता। इसके बावजूद यह मेला अपनी पवित्रता, गरिमा और धार्मिक आस्थाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सिंहस्थ उज्जैन का महान धार्मिक पर्व है। बारह वर्षों के अंतराल से यह पर्व तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता है। पवित्र शिप्रा नदी में पुण्य स्नान चैत्र पूर्णिमा (22 अप्रैल 2016) से प्रारम्भ होकर अंतिम स्नान वैशाख पूर्णिमा (21 मई 2016) तक विभिन्न तिथियों में संपन्न होगा। पांच हजार 118 साल बाद सिंहस्थ 2016 के दौरान सिद्ध अमृत योग बन रहा है, जो कि इस विशिष्ट अवसर को और भी खास बनाएगा। सन् 2004 के आयोजन के बाद यह आयोजन उससे भी अधिक जोश, उत्साह और व्यवस्थाओं के लिए जाना जाएगा। मुख्य अंतर यह होगा कि इस बार करोड़ों लोग जिस शिप्रा में नहाएंगे, वह शिप्रा सतत प्रवाहित नजर आएगी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सिंहस्थ 2016 के लिए राज्य सरकार ने खजाने के द्वार खोल दिए हैं। सिंहस्थ 2004 में जहां मात्र 262 करोड़ रुपए व्यय किए गए थे, वहीं इस सिंहस्थ में करीब दस गुना अधिक राशि व्यय की जा रही है। सतत प्रवाहित शिप्रा, आठ किलोमीटर लम्बे घाटसिंहस्थ् ा 2004 में उज्जैन आने वाले दर्शनार्थियों को जिन घाटों पर स्नान करने का अवसर मिला था, सिंहस्थ 2016 में उनके लिए और भी नए और बड़े घाट तैयार किए गए हैं। इन घाटों में से कई घाट पूरी तरह सज-संवर कर तैयार हैं। शिप्रा नदी पर बने ये घाट विहंगम हैं और इनकी छटा देखते ही बनती है। इन घाटों की तुलना अगर किसी से हो सकती है, तो हरिद्वार की हर की पौड़ी के घाटों से। कहीं-कहीं तो इन घाट की लंबाई पांच किलोमीटर तक है। इसके अलावा 17 घाट और पांच स्टॉप डेम की मरम्मत भी की गई है। करीब डेढ़ किलोमीटर के नए घाट और बनवाए गए हैं। श्रद्धालु यहां आठ किलोमीटर लंबे घाट पर कहीं भी स्नान कर सकेंगे। करोड़ों लोगों के स्नान के बाद शिप्रा नदी का जल शुद्ध और निर्मल बना रहे, इसके लिए जलशोधन प्लांट लगाया जा रहा है। यह प्लांट नर्मदा-शिप्रा लिंक से मिलने वाले पानी को साफ करके पीने लायक बनाएगा। 6 मिलियन गेलन क्षमता वाले चार प्लांट पहले से ही काम कर रहे हैं। अब जो नया प्लांट बनाया जा रहा है, उसकी क्षमता 27 मिलियन लीटर पीने का पानी उपलब्ध कराने की रहेगी यानी गर्मी के बावजूद पानी की कोई कमी कभी भी नहीं होगी। सारी फैक्टरियों के वेस्ट वाटर को शिप्रा में मिलने से रोक कर उसके जल का आॅक्सीडेशन किया गया है। विश्वस्तरीय सुविधाएं- देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। करोड़ों तीर्थ यात्रियों के लिए चौबीसों घंटे बिजली और जलप्रदाय की व्यवस्था रहेगी। सुरक्षा के तगड़े इंतजाम होंगे। चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों की निगाहें तो होंगी ही, हजारों सुरक्षाकर्मी चौबीस घंटे तैनात रहेंगे। वर्तमान अस्पतालों के आधुनिकीकरण के साथ ही सिंहस्थ मद में करीब 75 करोड़ रुपए के खर्च से सात मंजिल का एक अस्पताल बनाया जा रहा है, जिसमें 450 बेड होंगे। इसकी क्षमता 1800 आउटडोर पेशेंट के इलाज की रहेगी। अस्पताल में पांच आॅपरेशन थिएटर, रिकवरी रूम, आईसीयू, हाईरिस्क वार्ड के साथ ही साथ सामान्य प्रसव वार्ड भी बनाया जा रहा है। पर्यटक श्रद्धालुओं को दो लाख रुपए का सुरक्षा बीमा प्रदान किया जाएगा। इसमें सिक्युरिटी आफिसर और नोटीफाइड मेला प्रांगण में रहने वाले नागरिक भी शामिल रहेंगे। आवागमन के लिए नए चौड़े राजमार्ग और सड़कें, चार नए μलायओवर और चार रिवर ब्रिज तैयार किए जा रहे हैं। स्थायी प्रकृति के इन निर्माण कार्यों का उपयोग सिंहस्थ के बाद भी नागरिकों के लिए होता रहेगा। 62 किलोमीटर लंबे पंचकोशी मार्ग को विकसित किया जा रहा है। अग्निशमन की व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हैं तथा उन्हें और भी पुख्ता किया जा रहा है। मेट्रो स्वरूप में उज्जैन का विकास- प्रदेश की धार्मिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक राजधानी उज्जैन को मेट्रो सिटी के तर्ज पर संवारने का काम लगभग पूरा होने वाला है। 50 से ज्यादा चौराहों पर एलईडी लाइट वाले हाईमास्क लगाए गए हैं। उज्जैन पश्चिम में करीब 95 करोड़ की लागत से 15 किलोमीटर लंबा नया बायपास सिंहस्थ से पहले तैयार हो जाएगा। महाकाल ओवरब्रिज की चौथी भुजा बन जाने से इंदौर, भोपाल, आगर आदि जगह से आने वाले यात्रियों को महाकालेश्वर मंदिर पहुंचने में सुविधा होगी। लगभग सौ नई सड़कें बनाई जा चुकी हैं, जिनमें से चार फोरलेन हैं। इंजीनिरिंग कॉलेज रोड, एमआर-10 और एमआर-5 को फोरलेन में बदला जा चुका है। यह सारे मार्ग इनर रिंग रोड से जोड़ दिए गए हैं। 11 पुलों की मरम्मत कर दी गई है। नए पुलों पर दर्शकों की सुविधानुसार रैलिंग लगा दी गई है। सिंहस्थ के दौरान 12 अस्थायी पेट्रोल पंप खोलकर करीब डेढ़ लाख लीटर पेट्रोल और पौने दो लाख लीटर डीजल की अतिरिक्त रूप से आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। अखाड़ों और डेरों में अस्थायी गैस कनेक्शन दिए जाएंगे और 12 हजार से अधिक अतिरिक्त गैस टंकियां हर दिन उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके साथ ही उचित मूल्य की दुकानें, फल-सब्जी और राशन की दुकानें खोलने के साथ ही दूध की दुकानों के अतिरिक्त स्टॉल लगाए जाएंगे। जलाऊ लकड़ी के डिपो भी खोले जा रहे हैं। यहां तक कि गोबर के उपलों (कंडों) के विक्रय की व्यवस्था भी रहेगी। बसेगा अलग नगर- मध्यप्रदेश का पर्यटन विकास निगम सिंहस्थ के मौके पर सांवराखेड़ी इलाके में स्विस कॉटेज का एक अलग ही नगर बसाएगा। यहां पांच सितारा सुविधाओं से लैस 332 स्विस कॉटेज होंगे। इनमें वीवीआईपी के साथ ही आम श्रद्धालु भी ठहर सकेंगे। निगम दो नए होटल भी बना रहा है। एक पृथक घाट का निर्माण और बोटिंग की व्यवस्था भी की जा रही है। पर्याप्त संख्या में नेटवर्क टॉवर- मोबाइल नेटवर्क कम्पनियों को पर्याप्त संख्या में नेटवर्क टॉवर लगाने के निर्देश दिए हैं ताकि कॉल ड्राप या कंजक्शन की समस्या न आए। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र जीपीएस तकनीकी के द्वारा आनलाइन किया जाएगा। पड़ाव स्थल और मार्गों पर मोबाइल कंपनियां बैटरी चार्ज स्टेशन भी खोलेंगी। श्रद्धालुओं का स्वागत हाइटेक तरीके से- सिंहस्थ मेला क्षेत्र में आते ही श्रद्धालुओं के मोबाइल पर वेलकम मैसेज मिलेगा। सिंहस्थ का एक विशेष मोबाइल एप भी तैयार कराया जा रहा है। बैंकिंग सुविधा- सिंहस्थ क्षेत्र में 50 से अधिक चलित एटीएम सुविधा मुहैया कराने की योजना है। ये एटीएम निरंतर मेला क्षेत्र में निरंतर घूमते रहेंगे। स्पेशल सिंहस्थ प्रीपेड कार्ड के साथ ही कई अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं। विशेष बैंक काउंटरों पर किसी भी देश की मुद्रा को रुपए में परिवर्तित करवाया जा सकेगा। प्रदेश शासन ने सिंहस्थ की जानकारी दुनियाभर के श्रद्धालुओं तक पहुंचाने के लिए http://www.simhasthujjain.in/ वेबसाइट भी बनाई है। इस वेबसाइट पर सिंहस्थ से संबंधित तमाम जानकारियों के साथ ही फोटो और वीडियो भी देखे जा सकते हैं।
Dakhal News 22 April 2016

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