विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन जरूरी
 विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन जरूरी
भोपाल में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। पर्यावरण सुरक्षित रहे और विकास के काम भी प्रभावित नहीं हो। इस तरह का व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। मुख्यमंत्री चौहान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री जयंती नटराजन भी उपस्थित थीं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता भारतीय संस्कृति के मूल में हैं। हमारे यहां सदियों से पशु, पक्षी, पेड़ और नदियों की पूजा की परंपरा रही है। भारतीय स्वभाव से प्रकृति प्रेमी है। आज प्रकृति और पर्यावरण से खिलवाड़ के कारण सृष्टि का चक्र बदल गया है। ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या का सामना विश्व को करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 33 प्रतिशत वन क्षेत्र है, इसे बनाये रखने के लिये हम प्रतिबद्ध है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन भी जरूरी है क्योंकि हमे विकास के लिये सिंचाई परियोजनाएं, अच्छी सड़कें और विद्युत उत्पादन करना है। इस दिशा में एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश में राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविदो की कार्यशाला आयोजित की जाये। प्रदेश सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को हर संभव सहयोग करेगी। केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती नटराजन ने कहा कि हर कीमत पर विकास को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिये। बल्कि पर्यावरण हितों का ध्यान रखा जाना चाहिये। सही अर्थों में विकास पर्यावरण मित्र ही हो सकता है। भोपाल में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की बैंच स्थापित किया जाना महत्वपूर्ण कदम है। हमारी प्रतिबद्धता आम लोगों तक पर्यावरणीय न्याय पहुंचाना है। प्रदूषण रहित स्वच्छ वातावरण आम आदमी का अधिकार है। देश को विकास की जरूरत है पर प्राकृतिक संसाधनों का सावधानी से उपयोग भी आवश्यक है। हम बड़ी आर्थिक शक्ति बनेगे परन्तु हम पर्यावरण मित्र स्थायी विकास करेंगे। इस ग्रीन ट्रिब्यूनल में कोई भी आम आदमी न्याय के लिये आ सकता है। यहां पर हर प्रकरण में पर्यावरण पर होने वाले दीर्घकालीन प्रभावों को ध्यान में रखकर निर्णय लिये जायेंगे। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री के.के.लाहोटी ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की इस बैंच से मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लोगों को लाभ होगा। उच्च न्यायालय में लंबित पर्यावरण संबंधी मामले अब इस बैंच को स्थानांतरित कर दिये जायेंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमेन न्यायमूर्ति श्री स्वतंत्र कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि पर्यावरण न्याय के क्षेत्र में यह एक नई शुरूआत है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट वर्ष 2010 में बना है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की बैंच पुणे और कलकत्ता में भी शुरू की जायेगी। इस बैंच के माध्यम से आम आदमी को न्याय मिले तभी इसका उद्देश्य पूरा होगा।[दखल]
Dakhal News 22 April 2016

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