मध्यप्रदेश का जैविक कृषि उत्पादन 5 लाख मीट्रिक टन हुआ
मध्यप्रदेश का जैविक कृषि उत्पादन 5 लाख मीट्रिक टन हुआ
देश के कुल जैविक उत्पादन में प्रदेश का 40 प्रतिशत योगदान मध्यप्रदेश में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप यहाँ इसका उत्पादन 5 लाख मीट्रिक टन हो गया है। यह भारत में होने वाले कुल जैविक कृषि उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत है। 60 लाख रोजगार अवसर संभावितप्रदेश में जैविक खेती के माध्यम से मुख्य रूप से कपास, गेहूँ, अनाज, फल और सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। एसोचेम द्वारा वर्ष 2012 में किये गये एक अध्ययन के अनुसार मध्यप्रदेश में जैविक खेती के माध्यम से 23 हजार करोड़ की सम्पदा निर्मित करने की क्षमता है। इससे 60 लाख रोजगार अवसर निर्मित हो सकते हैं। मध्यप्रदेश की 45 प्रतिशत कृषि भूमि जैविक खेती के लिये उपयुक्त है।कृषि एवं प्र-संस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक मध्यप्रदेश में प्रयुक्त होने वाले एनपीके खाद में अजैविक खाद का उपयोग सिर्फ 88 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होता है, जो भारत के औसत 144 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से काफी कम है। प्रदेश में 29 लाख हेक्टेयर भूमि जैविक खेती के लिये उपयुक्त पाई गई है। राज्य सरकार द्वारा बायो-फार्मिंग तथा गाँव-गाँव में किसानों को जैविक खेती के लाभों से परिचित करवाने वाले कार्यक्रमों के जरिये जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश के 1565 गाँव में पूरी तरह जैविक खेती हो रही है।भावी संभावनाएँमध्यप्रदेश में जैविक उत्पादों के लिये बहुत अच्छी संभावनाएँ हैं। मध्यप्रदेश सबसे बड़ा जैविक कपास उत्पादक राज्य होने की वजह से पश्चिमी देशों में आर्गेनिक टेक्सटाइल उत्पादों की व्यापक संभावना हैं। इससे टेक्सटाइल कम्पनियों तथा रिटेल कम्पनियों को अपने जैविक उत्पादों के निर्यात में काफी मदद मिल सकती है।लोगों में पर्यावरण तथा स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण भारत में जैविक खाद्य उद्योग 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इससे जैविक खाद्यान्न से जुड़ी कम्पनियों को अच्छे अवसर उपलब्ध होंगे। इन उत्पादों में जैविक तेल, अनाज, जूस और डेयरी उत्पाद शामिल हैं।पश्चिमी देशों तथा भारत के महानगरों में आर्गेनिक फार्मेसी का चलन बहुत बढ़ गया है। इससे फार्मा कम्पनियों के लिये नये अवसर खुले हैं।उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया में जैविक उत्पादों की माँग लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में 47 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जैविक खेती की जाने लगी है। इससे 12 लाख 40 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है। भारत के 135 उत्पाद का निर्यात किया जाता है। इनकी कुल मात्रा एक लाख 94 हजार मीट्रिक टन से अधिक है जिसमें 16 हजार 300 मीट्रिक टन से अधिक आर्गेनिक टेक्सटाइल शामिल हैं। जैविक उत्पादों का निर्यात मुख्य रूप से अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, कनाडा, स्विटजरलेंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलेंड, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, मध्य-पूर्व और दक्षिण अफ्रीका को किया जाता है। इनमें 70 प्रतिशत सोयाबीन, 6 प्रतिशत अनाज, 5 प्रतिशत प्र-संस्कृत खाद्य उत्पाद, 4 प्रतिशत बासमती चावल एवं शेष में दलहन, सूखे मेवे, मसाले, शक्कर, चाय आदि शामिल हैं।रासायनिक खादों का उपयोग कर की जाने वाली कृषि के उत्पादों से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसानों के कारण दुनिया में जैविक उत्पादों की माँग लगातार बढ़ रही है। जैविक खाद्यान्न एवं पेय पदार्थों का सबसे ज्यादा बड़ा बाजार अमेरिका है। इसके विपरीत सबसे ज्यादा जैविक कृषि उत्पादन विकासशील देशों द्वारा किया जा रहा है। विश्व में जैविक खाद्यान्न उद्योग 63 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है
Dakhal News 22 April 2016

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