जयललिता की मौत की जांच के लिए पैनल बनेगा
पनीरसेल्वम

पनीरसेल्वम की अस्पताल में जयललिता से कभी मुलाकात नहीं हुई 

तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के दो महीने बाद वर्तमान कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने आज चेन्नई में कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग की सिफारिश करेंगे जो दिवंगत मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य स्थिति और उनकी मौत पर बने ‘संदेह’ की जांच करेगा।

मुख्यमंत्री की यह घोषणा पार्टी के वरिष्ठ नेता पी एच पांड्यन द्वारा जयललिता की मौत को लेकर लगाए गए कुछ आरोपों के एक दिन बाद आयी है। उन्होंने कहा कि लोगों में अम्मा की मौत को लेकर व्यापक स्तर पर संदेह हैं। इन संदेहों को समाप्त करना सरकार की जिम्मेदारी है । मामले की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किये जाने की सिफारिश की जाएगी।

मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम जयललिता के स्वास्थ्य और बाद में हुई उनकी मौत के संदेहों के बारे में संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे। जयललिता का इलाज करने वाले ब्रिटिश के विशेषज्ञ सहित चिकित्सकों ने हाल ही में जयललिता के इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी था। वहीं शशिकला पर कल लगाए गए अपने आरोपों को दोहराते हुए पांड्यन ने कहा कि वह इस संबंध में शिकायत दर्ज कराएंगे।

तमिलनाडु की राजनीतिक हलचल अन्नाद्रमुक का आंतरिक मामला :राजनाथ

इधर नई दिल्ली में  केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि तमिलनाडु का राजनीतिक घटनाक्रम और वी शशिकला के नए मुख्यमंत्री बनने के विरोध जैसी घटनायें अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्ना द्रमुक) का आंतरिक मामला है और केंद्र तथा भारतीय जनता पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं है।  

सिंह ने एक टीवी चैनल को बताया कि यह अन्ना द्रमुक का आंतरिक मामला है, हमारा इससे कोई लेना देना नहीं है और न ही इस घटनाक्रम पर कुछ कहना है। राजनाथ वने एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में अंतिम निर्णय लेने के लिए केवल राज्यपाल को ही संवैधानिक शक्तियां हासिल है।  केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मेरा काम राज्यपाल को टेलीफोन करके उन्हें कुछ बताना नहीं है,आप ने इस मुख्यमंत्री को शपथ दिलायी है या आपने उस मुख्यमंत्री को शपथ नहीं दिलाई है। ऐसा कोई भी सवाल नहीं उठता है।

इस्तीफा देने के लिए किया गया मजबूर

गौरतलब है कि एक राजनीतिक घटनाक्रम में तमिलनाडु के कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है ताकि शशिकला के पार्टी विधायक दल का नेता चुने जाने का मार्ग प्रशस्त हो सके। इस बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद डी राजा ने कहा है कि जे जयललिता के निधन के बाद राज्य में राजनीतिक शून्य पैदा हो गया है और अब राज्य में जो राजनीतिक उथल पुथल मची हुई है भाजपा को इस स्थिति का फायदा नहीं उठाना चाहिए।

अस्पताल में जयललिता से कभी मुलाकात नहीं हुई :पनीरसेल्वम

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने को लेकर बुधवार को पहली बार सार्वजनिक बयान दिया। उन्होंने कहा कि जयललिता के अस्पताल में 75 दिन तक भर्ती रहने के दौरान वह उनसे एक बार भी नहीं मिल पाए। उन्होंने कहा कि अपोलो अस्पताल में किसी भी राजनेता की जयललिता से मुलाकात नहीं हुई थी। इसी अस्पताल में पांच दिसंबर को उनका निधन हुआ था।

पनीरसेल्वम ने एक तमिल टीवी चैनल से कहा कि मैं 75 दिनों तक अस्पताल गया। लेकिन मेरी एक भी बार उनसे मुलाकात नहीं हुई। यहां तक कि मेरे परिवार से सदस्य भी मुझसे हर रोज पूछते थे कि मेरी अम्मा से मुलाकात हुयी है या नहीं। एक बार मुझे लगा कि मैं परिवार के सदस्यों से झूठ कह दूं कि मैंने उनसे मुलाकात की है। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। जयललिता के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी पनीरसेल्वम को दी गई थी। पनीरसेल्वम के मुताबिक उन्होंने अपने परिजनों को बताया था कि जयललिता सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती हैं और संक्रमण फैलने की आशंका के मद्देनजर आगंतुकों को वहां जाने की इजाजत नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमें बताया गया था कि अम्मा की सेहत में सुधार हो रहा है। हम आश्वस्त थे। जब हमें पता चला कि अम्मा का निधन हो गया है तो हमें लगा कि शक्तिहीन हो चुके हैं। पनीरसेल्वम से पूछा गया कि शशिकला के अलावा क्या कोई और जयललिता से उस दौरान मिला था तो उन्होंने कहा कि किसी अन्य राजनेता की उनसे मुलाकात के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। केवल राज्यपाल दो बार अंदर गये थे। मैंने किसी अन्य नेता को उनसे मुलाकात करने के लिए ना तो जाते देखा और ना ही ऐसा कुछ सुना। उनकी टिप्पणियां इस मायने में महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जयललिता के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्री सहित कई नेता अपोलो अस्पताल गए थे।

पनीरसेल्वम से पूछा गया क्या जयललिता ने उनसे मिलने की इच्छा जताई थी या फिर खुद उन्होंने जया से मिलने का कोई प्रयास किया था तो इस बारे में अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने कई बार इसका प्रयास किया लेकिन ‘सोचा कि यह मेरा दुर्भाग्य है और मैं पापी हूं जो अस्पताल में उन्हें देख भी नहीं सका।’ मुख्यमंत्री कार्यालय से कुछ महत्वपूर्ण अधिकारियों के हाल में दिए इस्तीफों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिकारियों को उन्होंने बाध्य नहीं किया बल्कि यह उनका खुद का फैसला है।

 

Dakhal News 8 February 2017

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