मुसलमानों से नाराज़ हैं अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप
donald trunmp

अमेरिका के पैतालीसवें राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप ने बीस जनवरी को शपथ ली। लेकिन, राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही ट्रंप को लेकर दुनियाभर में एक अजीब स्थिति बन गई थी क्योंकि अमेरिका में ट्रंप की यह एक अप्रत्याशित जीत थी। राष्ट्रपति पद का शपथ लेने के बाद ट्रंप ने जो शुरूआती फैसले लिए हैं उसके चलते पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है।

ताजा मामला है ट्रंप की तरफ से सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों और शरणार्थियों पर लगाए गए प्रतिबंध का। ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभालने के महज एक सप्ताह बाद ही इस विवादास्पद आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया। उनके इस फैसले से जिन देशों के नागरिकों पर नब्बे दिनों का प्रतिबंध लगाया गया है वो हैं- ईरान, इराक, सीरिया, सूडान, लीबिया, यमन और सोमिलाया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और सख्त कदम उठाते हुए कार्यकारी अटॉर्नी जनरल सैली येट्स को उनके पद से हटा दिया है। येट्स ने कहा था कि वह ट्रंप के शरणार्थियों को बैन करने के फैसले का बचाव नहीं करेंगी।

साथ ही उन्होंने ट्रंप के इस फैसले का बचाव कर रहे जस्टिस डिपार्टमेंट के अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी। वाइट हाउस ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा, 'येट्स ने अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कानून को लागू करने से इनकार कर जस्टिस डिपार्टमेंट को धोखा दिया है।'

जिसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने वर्जीनिया के पूर्वी जिले के अटॉर्नी डाना बॉन्टे को अस्थायी तौर पर येट्स के पद पर नियुक्त किया है। ट्रंप प्रशासन ने नए अटॉर्नी जनरल के रूप में जेफ सैसों को नियुक्त किया है लेकिन अभी उनकी नियुक्ति पर सीनेट की मुहर लगनी बाकी है।

अमेरिका में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक के ट्रंप के फैसले का फ्रांस, जर्मनी से लेकर ब्रिटेन तक कड़ा विरोध हुआ। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इससे अमेरिका आ रहे टैलेंट के ऊपर नकारात्मक असर होगा। तो वहीं दूसरी तरफ, ‘ट्रंप के राजकीय दौरे पर रोक’ वाली ऑनलाइन याचिका पर ब्रिटेन में एक करीब दस लाख से भी ज्यादा लोगों ने दस्तखत कर उनके आने का विरोध किया।

हालांकि, ट्रंप के इस फैसले के बाद भले ही दुनियाभर में तीखा विरोध किया जा रहा हो और उन्हें मुस्लिम विरोधी कहा जा रहा हो लेकिन उन्होंने ऐसे आरोप को सिरे से खारिज करते हुए साफ कर दिया कि उनका यह फैसला मुस्लिम विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन देशों के आंतरिक हालात और युद्ध जैसी बनी स्थिति को लेकर अमेरिका के लोगों को सुरक्षित करने के लिए किया है।

इसी के मद्देनजर उन्होंने मैक्सिको की दीवार बनाने की इजाजत दी है। जाहिर है, ट्रंप के ये ऐसे कदम है जिसके बारे में वे लगातार चुनाव प्रचार के दौरान कहते रहे हैं और ये उनका बड़ा चुनावी एजेंडा था। ऐसे में ट्रंप के बारे में किसी तरह की धारणा बनाने से पहले किसी एक पहलू के बारे में नहीं सोचा जाना चाहिए।

Dakhal News 1 February 2017

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