
Dakhal News

ग्रीनपीस इंडिया का दावा है कि भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है। हर साल इससे 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है। देश के बीस सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली सबसे ऊपर है।
गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में भारत के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में पीएम दस के स्तर का है। यह 268 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और 168 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है। 268 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के साथ दिल्ली की हवा सबसे अधिक जहरीली है।
इसके बाद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, इलाहाबाद और बरेली इसके काफी करीब है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर, हरियाणा का फरीदाबाद, बिहार का पटना, झारखंड का झारिया, रांची, कुसुंदा व बस्ताकोला और राजस्थान के अलवर में वायु प्रदूषण का स्तर 10 पीएम स्केल पर 258 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से 200 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के बीच हैं। साफ है कि घातक हवा का संकट सिर्फ महानगरों में ही नहीं बल्कि पूरे देश को चपेट में ले चुका है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वायु प्रदूषण के मामले में सिर्फ दिल्ली के ही हालात गंभीर नहीं हैं, बल्कि कुल 168 भारतीय शहरों में से एक भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानकों के अनुरूप नहीं है। इस संगठन ने आरटीआइ समेत कई स्रोतों के हवाले से बताया है कि भारत में हर साल वायु प्रदूषण के चलते 12 लाख लोगों की जान चली जाती है।
यह तादाद तंबाकू सेवन से मरने वालों के अनुपात से बस थोड़ी ही कम है। इतना ही नहीं, देश का तीन प्रतिशत जीडीपी जहरीली हवा के धुएं में घुल जाता है। अगर देश का विकास जरूरी है तो सबसे पहले वायु प्रदूषण से लड़ना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण भारत के कुछ शहरों में ही वायु गुणवत्ता के मानक (सीपीसीबी) कुछ हद तक दुरुस्त हैं।
इन्हें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुरुप पाया गया। अन्यथा देश की आब-ओ-हवा को तबाह करने में सबसे अधिक दोष पेट्रोलियम पदार्थों (फॉसिल फ्यूल) का है। पूरे देश में इससे हवा की गुणवत्ता गिरती जा रही है।
Dakhal News
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By:
![]() |