घर खरीदने से पहले करें जांच पड़ताल
प्रदीप करम्बलेकर मौजूदा समय में घर खरीदना एक बड़ी चुनौती है । ये सौदा इसलिए चुनौती बन जाता है क्योंकि रियल एस्टेट मार्केट पूरी तरह से पेशेवर और पारदर्शी नहीं है । कीमतों से लेकर जरूरी कागजातों तक में हेराफेरी की आशंका बनी रहती है । ऐसे में कोई भी घर खरीदने से पहले थोड़ा सा होमवर्क, बड़ी मुश्किल से बचा सकता है । एरिये की जांच :- लोकेशन तय करने का पैरामीटर हमेशा अपनी राजमर्रा की जरूरत को बनाएं । मसलन आपका ऑफिस, बच्चों का स्कूल, नजदीक का हॉस्पिटल और बाजार । फिर अपने तय बजट के हिसाब से प्रोजेक्ट का चुनाव करें । कनेक्टिविटी पर गौर करें :- यह जरूर देखें कि आपके ऑफिस के साथ-साथ मुख्य शहर, बाजार, हॉस्पिटल और स्कूल जाने के लिए वहाँ से मेट्रो, बस या ऑटो जैसी सुविधाएँ मौजूद हैं या नहीं । अक्सर बिल्डर या डीलर भविष्य की कनेक्टिविटी को बढ़-चढ़ कर बताते हैं । ऐसे में आप भावी योजनाओं की जानकारी एरिया की अथॉरिटी से लें । औसत कीमत निकालें :- एक डीलर से बात करेंगे तो हो सकता है पहली बार ज्यादा कीमत सुनने को मिले । डीलर मानकर चलते हैं कि पहली बार पूछने वाला व्यक्ति गंभीर खरीदार नहीं है ं उससे संपर्क में रहें । लेकिन आसपास के कम से कम ५ डीलर से उस एरिए की प्रॉपर्टी की कीमत पता करें । सबसे दो या तीन बार बात करें फिर औसत कीमत लगाकर विवसनीय लगने वाले डीलर से सौदा करें । रिटर्न का रखें ध्यान :- हो सकता है कल आप खरीदे जाने वाले फ्लैट को किराए पर दें या फिर बेचने की सोचें । ऐसे में संभावित रिटर्न का आंकलन जरूर करें । मसलन दो से पांच साल बाद खरीदे जाने वाले घर को बेचने पर कितना दाम मिलेगा ? क्या आने वाले दिनों में उसका बेहतर किराया मिलेगा ? फ्लैट खरीदने से पहले इन दोनों बातों का जरूर ध्यान रखें । यह आसपास तैयार होने वाले कमर्शियल प्रॉपर्टी पर निर्भर करता है । आसपास कमर्शियल प्रॉपर्टी का भी जायदा जरूर लें भविष्य में अगर वहां काम करने वाले ज्यादा आएंगे तो किराए की मांग भी बढ़ेगी । आपके फ्लैट की रिसेल कीमत भी इसी आधार पर तय होगी । इसलिए आसपास के संभावित विकास पर भी नजर रखें । सावधानी :- डीलर या बिल्डर आपको हमेशा किसी खास बैंक से लोन लेने का दबाव बनाते हैं । लेकिन आप खुद जब तक बैंक की विश्वसनीयता पर भरोसा न हो बैंक से लोन मत लीजिए । जिस प्रोजेक्ट को केवल एक बैंक लोन दे रहा हो वहां घर नहीं खरीदें । क्योंकि ज्यादा बैंक प्राजेक्ट की विश्वसनीयता की गारंटी होते हैं । बिल्डर के प्रोजेक्ट में थोड़ी भी खामी होती है तो बैंक उसके प्रोजेक्ट को लोन नहीं देते । वैसे डीलर या बिल्डर आपको एक सीमा से ज्यादा भरोसा दिलाने की कोशिश करेंगे, लिहाजा भावुकता या दबाव में निर्णय न लें । कौन सा लोन लें, कंस्ट्रक्शन लिंक या टाइम लिंक में से हमेशा बेहतर होगा कि आप कंस्ट्रक्शन लिंक लोन लें । जिस तेजी से प्रोजेक्ट बनेगा उसी हिसाब से आपके लोन का पैसा बिल्डर को मिलेगा । बिल्डरों को पैसे की कमी होती है ऐसे में वे डाउन पेमेंट पर ज्यादा छूट देने की बात करते हैं। डाउन पैमेंट केवल ८० परसेंट कन्स्ट्रक्शन हो चुके प्रोजेक्ट पर ही करें । (दखल)(लेखक, री-मैक्स विजन रियलेटरर के एमडी हैं)