सुनहरी हदों की ओर रियल एस्टेट
केपीएमजी की ओर से कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, भ्रष्टाचार में पहले स्थान पर रियल एस्टेट क्षेत्र है ।० मनोज सिंह मीक दर्द हद में रहे, तो रूलाता है बहुत । दर्द हद से गुजर जाए तो दवा होता है । भ्रष्टाचार का दर्द अब तक रूलाता रहा बहुत, परन्तु लगता है अब हद से गुजर जाने को है । दवा हो जाने के प्राथमिक संकेत दिखने लगे हैं ।दर्द की सरहदें :- केपीएमजी की ओर से कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, भ्रष्टाचार में पहले स्थान पर रियल एस्टेट क्षेत्र है । सर्वे के अनुसार, यदि देश में भ्रष्टाचार नियंत्रण में आ जाए, तो विकास दर नौ फीसदी से अधिक हो सकती है । सर्वे में यातायात संचार, एविएशन सहित अलग-अलग क्षेत्रों की करीब १०० भारतीय कंपनियों और एमएनसी को शामिल किया गया । ३२ फीसदी लोगों ने सबसे भ्रष्ट सेक्टर के रूप में रियल एस्टेट का नाम लिया, जबकि १७ फीसदी का मत था कि टेलीकॉम ज्यादा भ्रष्ट है । शिक्षा, गरीबी उन्मूलन तीसरा सबसे भ्रष्ट क्षेत्र, बैंकिंग व बीमा क्षेत्र को भ्रष्टों की सूची में चौथा स्थान, दस फीसदी लोगों ने बताया । जबकि, रक्षा नौ फीसदी, आईटी और बीपीओ को ६ फीसदी और ऊर्जा को पांच फीसदी लोगों ने भ्रष्ट माना । सर्वे में साफ था कि कार्पोरेट यह दावा नहीं कर सकते कि वे ही भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं । बल्कि वे खुद भी इसके लिए जिम्मेदार हैं । दवा, टीके और परहेज :- जल्द ही सभी रियल एस्टेट सौदों की जानकारी देश की एंटी-मनीलाउंडरिंग एजेंसी को देनी पड़ेगी । सरकार रियल्टी सेक्टर में काले धम के प्रवाह को रोकना चाहती है । इस वजह से यह कदम उठाया जा रहा है । इस नियम के लागू होने के बाद सभी प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को नियमित रूप से रियल एस्टेट सौदों की जानकारी फाइनेंशियल इंटेलीजेंसी यूनिट या एफआईयू को देनी होगी । प्रोविजन ऑफ मनी लाउंडरिंग एक्ट या पीएमएलए का दायरा बढ़ाया जा सकता है, जिससे ज्यादा सौदे इसके तहत आ सकें । रियल्टी सेक्टर में ३० लाख रूपये से ज्यादा के लेनदेन की जानकारी पहले से ही आयकर विभाग को दी जाती है । इस कानून को और सख्त बनाने से रियल एस्टेट में होने वाले सभी सौदे अनिवार्य रूप से पीएमएलए के तहत आ जाएंगे । अगर कोई व्यक्ति इस सेक्टर में काले धन के लेनदेन का दोषी पाया जाता है, तो उसे आयकर कानून की तुलना में पीएमएलए के तहत ज्यादा कड़ी सजा दी जाएगी । पीएमएलए के तहत ऐसे मामलों की सुनवाई तेजी से होगी और दोषी व्यक्ति की प्रॉपर्टी जब्त की जा सकती है । जानकारी जाँच एजेंसियों को देनी होगी :- एफआईयू केन्द्रीय संसथा है, जो संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से जुड़ी सूचनाएँ हासिल करने, उनकी प्रोसेसिंग, एनालिसिस और इनकी जानकारी जांच एजेंसियों को देने के लिए जवाबदेह है । रियल एस्टेट ऐसा सेगमेंट माना जाता है, जिसमें बड़े पैमाने पर काले धन का इस्तेमाल होता है । हालांकि, इसके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन जमीन और प्रॉपर्टी में इस तरह के सौदे काफी ज्यादा होते हैं । इससे, काले धन को बड़ी आसानी से सफेद धन में बदला जा सकता है । इस तरह के सौदों पर लगाम लगाने के लिए कई राज्यों ने गाइडलाइन, सर्कल रेट या जिस इलाके की प्रॉपर्टी पंजीकृत हो रही है, वहाँ के लिए न्यूनतम दर तय की है, लेकिन यह बहुत प्रभावी तरीका नहीं रहा है । टैक्स हेवेन माने जाने वाले इन देशों में टैक्स नहीं के बराबर लगाया है । इन देशों से आने वाली रकम से होने वाले सौदों को भी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स या एफएटीएफ ने जोखिमपूर्ण माना है । एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना जी-७ द्वारा की गई है । इस संगठन की स्थापना का मकसद मनी लाउंडरिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर रोक लगाना है । फिलहाल इसमें ३३ देश और दो संस्थाएँ शामिल हैं । भारत जून २०१० में इसका ३४वाँ सदस्य बना है । (दखल)(लेखक मनोज सिंह मीक, शुभालय ग्रेप के चेयरमेन हैं)