जन-गणना में घर गणना के गणित
जन-गणना में घर गणना के गणित
मनोज सिंह मीक अरब से अधिक आबादी के इस देश में अनेक एक अदद आवास का धारक, आश्रय के पात्र अथवा आशियाने को तलाशते आदमियों के अनुमानित आंकड़े का आभास भी कर पाना बिना घर-गणना के संभव नहीं है । उत्तम योजना के लिए सटीक आंकड़ों या डाटबेस की आवश्यकता समय की मांग है देश में हुई अनेकों जनगणना के बाद भी आवासों की संख्या एवं आवश्यकताओं को प्रदर्शित करने वाले आंकड़े उपलब्ध नहीं है । पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमते चंद्रमा की दूरी मापने, मंगल ग्रह की टोह लेने या फेस बुक पर चुनिंदा तरह के यूजर्स को आंकड़ों के बिना उल्लेखित करना उतना नीरस है, जितना बिना अखबारी की सुबह । सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग ने वर्तमान जनगणना में समग्र समाज के हितोपयोगी आंकड़ों के संकलन की प्रेरणा नीति निर्धारकों को प्रदान की है । जनगणना २०११ एवं यूआईडी के लिए एकत्र किए गए बहुआयामी डाटा का उपयोग निश्चित ही देश के निजी एवं सरकारी तंत्र को एक नई दिशा देगा, आईए देखें इस गणना का गणित । भारत में नगर विकास और आवास की नीतियाँ १९५० के दशक से बनती रही हैं । शहरी आबादी का दबाव और आवास तथा प्राथमिक सेवाओं का अभाव १९५० के दशक के प्रारंभ में ही बहुत अधिक सुस्पष्ट था । विशाल जनसंख्या वाले देश में, सभी को आश्रय उपलब्ध कराना नागरिक समाज और सरकार की भारी चिंता का एक विषय रहा है । शहरी क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने के लिए ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (२००७-२०१२) में नई उपनगरियों के अतिरिक्त, वर्तमान नगरों में नए आवासीय यूनिट के विकास और गंदी-बस्ती सुधार, शहरी नवीनीकरण के जरिए समुचित आवासीय इकाई की जरूरत पर बल दिया है । इसके साथ ही भारत निर्माण कार्यक्रम में भी आश्रय विहीनता का अंत करने की जरूरत स्वीकार की गई है और इसे समान प्राथमिकता प्रदान की गई है । कार्यक्रम में २००५ से २००९ तक ६० लाख मकान बनाने का एक लक्ष्य निर्धारित किया गया था जिसे कार्यक्रम के अधीन आवासीय इंदिरा आवास योजना के समानान्तर क्रियान्वित किया जा रहा है । ग्यारहवीं योजना में मकानों की बाकी कमी का लक्ष्य रखते हुए सभी सर्वाधिक गरीबों पर लक्ष्य संकेन्द्रित किया गया है । देश में जनगणना संकलन एवं बहुउद्देशीय राष्ट्रीय पहचान पत्र (यूआईडी) का कार्य प्रगति पर है । इस कार्यक्रम के दौरान कर्मचारी घर-घर जाकर मकान गणना अनुसूची और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के संबंध में जानकारी एकत्र कर रहे हैं । मध्यप्रदेश में आगामी २०११ तक जनगणना का कार्य विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर किया जाएगा जिसमें राज्य के सभी १० संभागों, ५० जिलों, ३४२ तहसीलों, ४७६ नगरों एवं ५४,९४४ ग्रामों को सम्मिलित किया जाएगा अनुमानित १,४२,२१,६४२ परिवारों की गणना लगभग १,७२,२५३ मकान सूचीकरण ब्लाकों के अन्तर्गत की जाएगी । इस रजिस्टर में सभी निवासियों के सामान्य विवरण जैसे उम्र, शैक्षणिक योग्यता, व्यवसाय, वैवाहिक स्थिति, नागरिकता आदि दर्ज किए जाएंगे । बाद में ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र के १५ वर्ष और इससे अधिक आयु के सभी निवासियों के फोटोग्राफ और उंगलियों के निशान लिए जाएंगे । यह रजिस्टर देश का व्यापक पहचान डाटा बेस होगा । रियल एस्टेट के लिए महत्वपूर्ण बात ये है कि कर्मचारियों द्वारा नागरिकों से उनके भवनों/मकानों की पहचान का कार्य किया जा रहा है जहाँ पर व्यक्ति रहने की संभावना होती है । अतः सभी मकानों चाहे वह आवासीय रूप में प्रयुक्त हो रहे हैं या उनका प्रयोग अन्य किसी कार्य के लिए हो रहा है, उन्हें सूचीबद्ध किया जाना है । इस अनुसूची के माध्यम से सभी मकानों की छत, दीवार एवं फर्श में निर्माण में प्रयुक्त की गई प्रमुख सामग्रियों, मकान का स्वामित्व, परिवार के मुखिया की जानकारी रहने के लिए कमरों की संख्या, विवाहित दम्पत्तियों की संख्या, परिवारों को उपलब्ध सुविधाएँ जैसे- पेयजल का मुख्य स्त्रोत एवं उसकी उपलब्धता, प्रकाश का मुख्य स्त्रोत, परिसर के भीतर शौचालय एवं उसका प्रकार, गंदे पानी की निकासी, परिसर के भीतर स्नानगृह, रसोईघर की उपलब्धता, खाना पकाने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला ईंधन तथा परिवारों के पास उपलब्ध परिसम्पत्तियों जैसे-रेडियो/ ट्रांजिस्टर, कम्प्यूटर/लेपटाप, टेलीफोन/मोबाइल फोन, साइकिल, स्कूटर/ मोटर साइकिल/मोपेड, कार/जीप/वैन और बैंकिंग सेवा का उपयोग के बारे में आंकड़े एकत्रित किए गए हैं । (दखल) (लेखक मनोज सिंह मीक शुभालय ग्रुप के चेयरमेन हैं)
Dakhal News 22 April 2016

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