2011 में ऑपरेशन जिंजर पाक सैनिकों के सिर काट लाए थे
2011 में ऑपरेशन जिंजर

पहले भी हुआ सर्जिकल स्ट्राइक लेकिन प्रचार नहीं 

उरी अटैक  के बाद भारतीय सेना ने जो सर्जिकल स्‍ट्राइक किया था उसे लेकर देशभर में जश्‍न था लेकिन जल्‍द ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई। जहां एक तरफ इस स्‍ट्राइक के सबूत मांगने को लेकर बयानबाजी होने लगी वहीं कांग्रेस ने दावा किया कि उनके शासन में भी सर्जिकल स्‍ट्राइक हुआ था लेकिन उन्‍होंने इसका प्रचार नहीं किया। हालांकि इसे एक पूर्व डीजीएमओ ने नकार दिया था।

अब अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने दावा किया है कि 2011 में भी एक सर्जिकल स्‍ट्राइक ऑपरेशन जिंजर हुआ था जिसमें भारतीय सैनिक तीन पाक सैनिकों के सिर कलम कर ले आए थे। अखबार ने दावा किया है कि कुछ आधिकारिक कागजात इस बात की पुष्टि करते हैं। इस दौरान भारत और पाक द्वारा दो सर्जिकल स्‍ट्राइक हुए थे जिसमें कुल 13 सैनिक मारे गए थे और उनमें से 6 के सिर कलम हुए थे।

इनमें से पांच के शव सीमा पार लाए और ले जाए गए। इन पांच सैनिकों में दो भारतीय सैनिक थे और तीन पाकिस्‍तानी। अखबार ने तत्‍कालीन मेजर जनरल एसके चक्रवर्ती के हवाले से लिखा है कि उन्‍होंने ही इस ऑपरेशन को प्‍लान किया और अंजाम दिया। एसके चक्रवर्ती उस समय कुपवारा में 28 डिविजन के प्रमुख थे।

 

अखबार के अनुसार 30 जुलाई 2011 को पाकिस्‍तानी सैनिकों ने कुपवाड़ा के गुगलधार की आर्मी पोस्‍ट में हमला किया था। उस समय वहां पोस्‍ट पर मौजूद 19 राजपूत रेजिमेंट की जगह लेने 20 कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिक पहुंचे थे। पाकिस्‍तानी सैनिकों ने हमला कर 6 सैनिकों को मारा और उनमें से हवलदार जयपाल सिंह अधि‍कारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह का सिर कलम कर ले गए थे।

 

इसका बदला लेने के लिए आर्मी ने ऑपरेशन जिंजर प्‍लान किया जो भारतीय सेना के अब तक सबसे घातक सीमापार ऑपरेशन्‍स में से एक था। इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जमीनी और हवाई जासूसी की गई थी ताकि हमले की जगहों को चिन्हित किया जा सके। इसके बाद जोर के पास एक पाकिस्‍तानी आर्मी पोस्‍ट, हिफाजत और लशदात के पास लॉजिंग पॉइंट को चिन्हित किया गया।कागजों के अनुसार एम्‍बुश, डिमोलिशन, सर्जिकल स्‍ट्राइक और सर्विलांस के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई। लगातार रेकी के बाद आर्मी ने ऑपरेशन जिंजर को अंजाम दिया। ऑपरेशन में शामिल एक अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा है कि हमने स्‍ट्राइक के लिए मंगलवार का दिन चुना क्‍योंकि कारगिल युद्ध के अलावा अन्‍य ऑपरेशन्‍स में भी हमें इस दिन जीत मिली थी। हमने ईद से पहले की रात ऑपरेशन को अंजाम दिया क्‍योंकि इस दिन पाक द्वारा जवाबी हमले की आशंका कम थी।

स्‍ट्राइक के लिए 25 सैनिक जिनमें मुख्‍यत: पैरा कमांडोज थे वो 29 अगस्‍त की अल सुबह 3 बजे लॉन्‍च पैड पर पहुंचे और रात 10 बजे तक वहां छिपे रहे। इसके बाद वो एलओसी पार कर पुलिस चौकी तक पहुंचे। 30 अगस्‍त सुबह 4 बजे एम्‍बुश टीम दुश्‍मन के इलाके में हमले को तैयार थी। अगले एक घंटे में चौकी के पास लैंड माइंस बिछा कमांडोज ने अपनी जगह संभाली।

7 बजे कमांडोज ने देखा कि कुछ पाकिस्‍तानी सैनिक एक जूनियर कमिशंड ऑफिसर के साथ वहां पहुंचे। उनके पहुंचते ही माइंस को फोड़ दिया गया जिसमें वो सभी गंभीर घायल हो गए। इसके बाद रेड करने वाले कमांडोज ने ग्रैनेड और गोलियों से हमला कर दिया। चार में से एक सैनिक वहां से बच निकला लेकिन भारतीय कमांडोज ने बचे हुए तीन सैनिकों के सिर कलम कर साथ ले आए। इसके बाद शवों के नीचे आईईडी लगा दिया ताकि कोई उन्‍हें उठाए तो ब्‍लास्‍ट हो जाए।धमाके के आवाज सुनकर वहा से दो अन्‍य सैनिक भागने लगे लेकिन उन्‍हें कमांडोज की दूसरी टीम ने ढेर कर दिया। इस बीच चौकी पर अन्‍य सैनिक पहुंचे लेकिन कुछ देर बाद की आईईडी ब्‍लास्‍ट की आवाज सुनाई दी जिससे समझ आ गया कि कमांडोज ने पाक सैनिकों के शवों के नीचे जो बारूद लगाया था वो फट गया है। इस धमाके में तीन और पाक सैनिक मारे गए थे।

यह ऑपरेशन 45 मिनट चला और इसके बाद भारतीय सैनिक एलओसी लौट आए। ऑपरेशन के दौरान भारतीय कमांडोज 48 घंटे दुश्‍मन के इलाके में रहे। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना का एक जवान भी घायल हुआ था लेकिन वो अपने साथियों के साथ सुरक्षित लौट आया।

कलम किए गए सिरों की तस्‍वीरें ली गई और उन्‍हें दफना दिया गया। दो दिन बाद एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने जब पाक सैनिकों के सिरों के बारे में पूछा तो उन्‍हें बताया गया कि सिर दफना दिए गए हैं। उन्‍होंने नाराज होते हुए कहा कि उन्‍हें निकालकर जला दो और राख किशनगंगा में बहा दो ताकि कोई सबूत ना बचे।

Dakhal News 9 October 2016

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