विशेष

अंतिम संस्कार दुनिया भर में निभाई जाने वाली एक ऐसी प्रथा है जिसमें किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसे आखिरी विदाई दी जाती है. हालांकि ये अंतिम विदाई कुछ जगहों पर इतनी भयानक होती है कि जिन्हें सुनकर ही आपको रोंगटे खड़े हो जाएंगे. ऐसे में चलिए आज कुछ ऐसे विचित्र और इतिहास के सबसे अजीबोगरीब अंतिम संस्कारों पर नजर डालते हैं. यहा अंतिम संस्कार के समय शरीर को काटकर खा जाते हैं लोग ये सुनने में ही काफी अजीब लग रहा होगा कि कभी ऐसा भी हो सकता है? दरअसल अंतिम संस्कार के नाम शव को ही खा जाना, लेकिन ये बिल्कुल सच है. आज से 8 लाख साल पुरानी ये प्रथा इंडो-यूरोपीय इलाकों में आज भी चली आ रही है. इस प्रथा में मरने के बाद लोग शवों को ही काटकर खा जाते हैं. हैरान कर देने वाली बात ये है कि कुछ लोग तो पहले इन शवों को सड़ाते हैं और फिर उस समय तक सड़ाते हैं जब तक इस शरीर से पानी जैसा तरल पदार्थ ना निकलने लगे. इतिहासकरों का कहना है कि ऐसा लोग इसलिए करते हैं ताकि इस तरल पदार्थ से शराब बनाई जा सके और फिर इसे अपने स्वजनों की याद के स्वरूप इसका पिया जा सके. यहां अंतिम संस्कार के समय शव को मोतियों में बदल देते हैं लोग  गौरतलब है कि ऐसी भी एक जगह है जहां मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के तौर पर उनके शवों को रंग-बिरंगे मोतियों-माणकों में बदल दिया जाता है यानी व्यक्ति के अवशेषों (राख) को रत्नों में संरक्षित कर लिया जाता है. ये उनके प्रियजनों की याद बनकर उनके घरों में रहता है. दरअसल ये प्रथा आज भी दक्षिण कोरियाई इलाकों में चली आ रही है. गिद्धों के सामने डाल दिया जाता है मृतकों का शव तिब्बत में अंतिम संस्कार का ये अनोखा तरीका अभी भी अपनाया जाता है. यहां के बौद्ध धर्म से जुड़े लोग अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार के लिए इसे अपनाते हैं. यहां शव को पहले छोटे-छोटे टुकडो़ं में काटा जाता है. फिर उन टुकडो़ं को अंतिम संस्कार वाली जगह पर ले जाया जाता है इसके बाद बौद्ध भिक्षु धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. इसके बाद इन टुकड़ों को किसी भी अनाज के आटे के घोल में डुबो दिया जाता है. इसके बाद इन टुकड़ों को बाज और गिद्ध जैसे पक्षियों के लिए फेंक दिया जाता है. इसके पीछे इस समुदाय की मान्यता है कि इस तरह आत्म बलिदान की अनुभूति होती है क्योंकि दफनाने के बाद भी इन शवों को कीड़े-मकौड़े ही खाते हैं और तिब्बत में ऊंची-ऊंची पहाड़ियां हैं जिससे वहां पेड़ों की ज्यादा पैदावार नहीं है, जिससे लकड़ियों की कमी है और दूसरा वहां की जमीन ज्यादा पथरीली है ऐसे में कब्र खोदने में भी काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है. यहां अंतिम संस्कार में उंगली काट लेते हैं लोग एक जगह ऐसी भी है जहां किसी अपने के मरने पर लोग अपने हाथों की उंगलियां काट लेते थे. दरअसल पपुआ न्यू गिनी जैसे देशों में ये प्रथा कई अर्से से चली आ रही थी लेकिन अब इस पर बैन लगा दिया है क्योंकि इस प्रथा में शव की उंगलियां नहीं बल्कि मरने वाले शख्स के परिजनों में से किसी की एक की उंगली काटी जाती थी. आश्चर्य की बात है कि इस प्रथा में एक उंगली नहीं बल्कि एक हाथ की पांचों उंगली काट दी जाती थी. इस प्रथा को लेकर इस समुदाय का मानना था कि ऐसा करने से आत्मा उन्हें परेशान नहीं करती है और उसे मुक्ति मिल जाती है.

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

एक समय हवाई जहाज से सफर करना हर किसी के बस की बात नहीं हुआ करती थी, लेकिन वक्त के साथ अब लोगों के लिए हवाई जहाज से सफर करना आसान हो गया है. हवाई जहाज से जुड़े कई ऐसे सवाल होते हैं जो लोगों के मन में होते हैं. ऐसा ही एक सवाल ये भी है कि आखिर हवाई जहाज कितनी ऊंचाई पर उड़ता है? ऐसे में चलिए इसका जवाब जान लेते हैं. कितना ऊंचाई तक उड़ सकता है हवाई जहाज? वैसे हवाई जहाज की उड़ान इस बात पर निर्भर करती है कि एयरक्राफ्ट कौन सा है. आमतौर पर एक पैसेंजर एयरक्राफ्ट 10-20 हज़ार फीट नहीं बल्कि 30-35 हज़ार फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. वहीं aviex.goflexair.com के अनुसार, बोइंग से लेकर एयरबस के विभिन्न मॉडल्स के पास सर्विस सीलिंग 41,000 से 43,000 फीट तक की होती है. हालांकि ये हवा में 30,000 से 35,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं. वहीं प्राइवेट जेट की बात करें तो ज्यादातर एयरक्राफ्ट की सर्विस सीलिंग 51,000 फीट तक होती है और वो 45,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं. किस चीज पर निर्भर होती है हवाई जहाज की उड़ान? एक प्लेन की उड़ान आमतौर पर एक खास चीज पर निर्भर करती है. जो कि उसका रूट है. बता दें शॉर्ट हॉल फ्लाइट्स 25-35,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ते हैं जबकि लॉन्ग हॉल वाली फ्लाइट्स 35-40,000 फीट तक उड़ते हैं. दरअसल इसकी वजह ये है कि विमान जितना ऊंचा उड़ेगा हवा उतनी ही पतली होगी और हल्के होने पर विमान का ईंधन की खपत कम होगी. एविएशन अथॉरिटीज़ द्वारा हर प्लेन को स्पेसिफिक ऑल्टीट्यूड रेंज के लिए सर्टिफिकेट दिया जाता है. इसके अलावा मिलिट्री एयरक्राफ्ट की बात की जाए तो ये 50,000 से 70,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकते हैं, जो उनके मिशन पर निर्भर करता है.

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

राजनीति

वन नेशन वन इलेक्शन पर जमकर सियासत शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने बड़ा बयान सामने आया है। जहां उन्होंने मोदी सरकार को घेरा है। मीडिया से बातचीत में कमलनाथ ने बताया कि वन नेशन वन इलेक्शन मोदी सरकार का एक और खिलौना है। वहीं कमलनाथ के बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस की अड़ंगा लगाने की आदत है। कमलनाथ ने वन नेशन वन इलेक्शन पर साधा निशाना पूर्व सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा दौरे पर गए हैं। जहां उन्होंने मोदी सरकार के वन नेशन वन इलेक्शन पर कहा है कि यह प्रैक्टिकल नहीं है। आज अगर देश में कोई पार्टी अविश्वास प्रस्तवना ला दे तो देश के क्या हालात होंगे? यह मोदी सरकार का एक और खिलौना है। जो जनता को उलझाने के लिए लाया गया है। इसके साथ ही पूर्व सीएम ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी के पास कुछ बचा नहीं है। इसलिए वह फिजूल की बयानबाजी कर रहे हैं। राहुल गांधी की झूठी आलोचना की जा रही है। बीजेपी ने किया पलटवार मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस की अड़ंगा लगाने की आदत है। इसी वजह से वह ऐसे बयान दे रहे हैं। वन नेशन वन इलेक्शन कराने से समय की बचत होगी। चुनाव का आर्थिक बोझ कम होगा। कांग्रेस ऐसा नहीं चाहती। इसलिए अड़ंगा लगा रही है। मोदी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन को दी मंजूरी मोदी सरकार की ओर से वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति के नेतृत्व में बनाई गई रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस शीतकालीन सत्र में विधेयक में लाया जाएगा। वन नेशन वन इलेक्शन का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है।

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर सियासत तेज हो गयी है. कांग्रेस ने मोहन यादव सरकार पर हमला बोला है. बता दें कि 8000 से ज्यादा अतिथि शिक्षक नियमितीकरण समेत विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने अतिथि शिक्षकों पर अजीबो गरीब बयान दिया. उन्होंने कहा, \"नाम क्या है उनका अतिथि…, आप मेहमान बनकर आओगे तो क्या घर पर कब्जा करोगे?\" स्कूल शिक्षा मंत्री के बयान से आंदोलनकारी अतिथि शिक्षकों की उम्मीदों को करारा झटका लगा है. कांग्रेस ने मोहन यादव सरकार में शामिल मंत्री के बयान को असंवेदनशील बताया है. राष्ट्रीय सचिव कुणाल चौधरी ने शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया से जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि महापंचायत कर बच्चों का भविष्य संवारने वाले अतिथि शिक्षकों से नियमितीकरण का वादा किया गया था. चुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अतिथि शिक्षकों के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन तक करने की चेतावनी दी थी. अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर कांग्रेस ने मोहन यादव सरकार को घेरा कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी जवाब मांगा है. उन्होंने पूछा है कि क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव मंत्री के बयान का समर्थन करते हैं. अगर समर्थन नहीं करते हैं तो फौरन मंत्री का इस्तीफा लिया जाना चाहिए. कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने झूठे वादे कर सत्ता पर कब्जा किया. उन्होंने स्कूल शिक्षा मंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि घर आपका नहीं है. घर हिंदुस्तान और मध्य प्रदेश की जनता का है. नियमित रोजगार की मांग करना अतिथि शिक्षकों का अधिकार है. अतिथि शिक्षक आंदोलन कर अधिकार मांग रहे हैं. बीजेपी सरकार ने अतिथि शिक्षकों से झूठे वादे कर वोट लिये. अब सरकार कह रही है कि मेहमान बनकर आओगे तो क्या घर पर कब्जा करोगे?  

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

मीडिया

वक्फ बिल में संशोधन के लिए गुरुवार (19 सितंबर) को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की चौथी बैठक जारी है। बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई। पिछले 28 दिनों में JPC की तीन बैठकें हो चुकी हैं। जिसमें चर्चा के दौरान काफी हंगामा भी हुआ। दरअसल, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल को मुस्लिम विरोधी बताया था। विपक्ष के विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था। 5 सितंबर, तीसरी बैठक: वक्फ बिल का प्रेजेंटेशन दिया गया वक्फ बिल में संशोधन के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की तीसरी बैठक में मंत्रालयों के अधिकारियों ने कमेटी को वक्फ बिल के बारे में प्रेजेंटेशन दिया। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि प्रेजेंटेशन के दौरान सरकारी अधिकारी कमेटी को बिल के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे रहे। साथ ही कहा कि मिनिस्ट्री के अधिकारी अपना स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं अपना रहे। वे बिना किसी विचार-विमर्श के सरकार के रुख को ही बढ़ावा दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा विरोध AAP सांसद संजय सिंह और TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने किया। JPC की दूसरी बैठक में विपक्षी सदस्यों ने कुछ देर के लिए बैठक से वॉक आउट किया। यह बैठक करीब 8 घंटे तक चली बैठक में ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा और इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स, राजस्थान मुस्लिम वक्फ, दिल्ली और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के विचारों को सुना। सूत्रों के अनुसार, मुस्लिम संगठनों ने बिल के कई प्रावधानों पर कहा कि यह मुसलमानों के लिए चिंता का विषय हैं। बैठक में 'वक्फ बाय यूजर्स' पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह धार्मिक आस्था और व्यवहार का मामला है। इसलिए सरकार को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। 22 अगस्त को 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक हुई थी। इसमें समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया था कि बिल पर विचार करने के दौरान सभी 44 बदलावों (अमेंडमेंट्स) पर चर्चा होगी। सभी हिस्सेदारों की बात सुनी जाएगी। मुस्लिम जानकारों से भी राय ली जाएगी। अल्पसंख्यक मामलों और कानून मंत्रालय के अधिकारी ने समिति को ड्राफ्ट कानून में जो बदलाव किये गए हैं, उसके बारे में बताया।

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस को लेकर प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों और बंगाल सरकार के बीच बुधवार को दूसरे दौर की बातचीत हुई। डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर बंगाल के चीफ सेक्रेटरी मनोज पंत के साथ ढाई घंटे बैठक की, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। डॉक्टरों ने कहा कि वे सरकार से हुई बातचीत से असंतुष्ट हैं और अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। डॉक्टरों ने यह आरोप लगाया कि बैठक में डॉक्टरों राज्य सरकार ने बैठक की लिखित कार्यवाही (मिनट्स ऑफ मीटिंग) मांगे थे, जिसे देने से सरकार ने इनकार कर दिया। इस बीच पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पंजीकरण रद्द कर दिया है। संदीप से पहले स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन 13 दिन से ज्यादा निकलने के बाद भी कोई स्पष्टीकरण न मिलने पर काउंसिल ने यह कदम उठाया। उधर, नए कमिश्नर मनोज वर्मा, गुरुवार को आरजी कर कॉलेज और हॉस्पिटल का दौरा करने पहुंचे। इसी घटना के विरोध में TMC से राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले 16 सितंबर को जूनियर डॉक्टर और ममता के बीच मीटिंग हुई थी। इसमें ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मान ली थीं। उन्होंने मंगलवार को पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को पद से हटाया था। उनकी जगह मनोज वर्मा को कमिश्नर बनाया गया। लेकिन डॉक्टर राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। साथ ही अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इन मांगों पर चर्चा करने को लेकर डॉक्टरों ने मनोज पंत को ईमेल भेजकर एक और मीटिंग की मांग की थी। इस पर पंत ने 30 डॉक्टरों को शाम 6:30 बजे मिलने के लिए बुलाया था। बैठक 7:30 बजे शुरू हुई और 10 बजे तक चली। डॉक्टर आज भी अपने साथ स्टेनोग्राफर को ले गए थे, ताकि बैठक की डिटेल रिकॉर्ड की जा सके। डॉक्टर बोले- हमें प्रदर्शन जारी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा एक डॉक्टर ने बताया कि जब हमने बैठक की मांग की, तो हमें बताया गया कि हमें अपनी सभी जरूरतें ईमेल के जरिए भेजनी होंगी। सरकार हमारी मांगों की जांच करेगी और फिर हमसे संपर्क करेगी। जब हम बैठक में गए थे, तो हमें बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन अब हम बेहद निराश हैं। हम भी चाहते हैं कि यह प्रदर्शन खत्म हो, लेकिन हमें इसे जारी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं ममता-डॉक्टरों की मीटिंग को लेकर 7 दिन तक टकराव डॉक्टरों और ममता की मीटिंग को लेकर कोलकाता में 7 दिन तक टकराव चला था। 4 कोशिशें नाकाम होने के बाद 16 सितंबर को ममता और डॉक्टरों के डेलिगेशन की CM हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में ममता ने डॉक्टरों की 5 में से 3 मांगें मानी थीं और कहा था कि काम पर वापस लौटें। डॉक्टरों और CM की 16 सितंबर की मीटिंग के बाद स्वास्थ्य विभाग के भी 4 और अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया। मेडिकल एजुकेशन डायरेक्टर डॉ. कौस्तुव नायक को स्वास्थ्य-परिवार कल्याण का डायरेक्टर बनाया गया। स्वास्थ्य सेवाओं के डायरेक्टर डॉ. देबाशीष हलदर को पब्लिक हेल्थ का OSD बनाया गया है। त्रिपुरारी अथर्व को DEO का डायरेक्टर चुना गया। इसके अलावा 5 और पुलिस अधिकारियों के पद भी बदले गए। जावेद शमीम ADG कानून व्यवस्था, विनीत गोयल ADG और IG स्पेशल टास्क फोर्स, ज्ञानवंत सिंह ADG और IG इंटेलिजेंस ब्यूरो, दीपक सरकार नॉर्थ कलेक्टर, अभिषेक गुप्ता CO EFR सेकंड बटालियन का नाम शामिल है। CBI बोली- पुलिस ने 2 दिन तक अहम सबूत जब्त नहीं किए CBI ने बुधवार सुबह बताया कि कोलकाता पुलिस ने आरोपी संजय कपड़े समेत अन्य चीजों को जब्त करने में दो दिन लगा दिए। ये सबूत केस के लिए अहम हो सकते थे। दरअसल, रॉय को पुलिस ने 10 अगस्त को CCTV फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया था। इसके बाद CBI ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस के SHO अभिजित मोंडल को गिरफ्तार किया था। CBI संजय और घोष-मोंडल के कनेक्शन की जांच कर रही CBI ने बताया कि घोष और मोंडल पर दुर्भावनापूर्ण इरादे से केस के सबूतों को नष्ट करने का आरोप है। अब दोनों के बीच कनेक्शन के बारे में पता लगाया जा रहा है। साथ ही घोष-मोंडल और संजय के बीच आपराधिक साजिश थी या नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है। इसके लिए तीनों के फोन रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। CBI ने बताया कि घोष और मोंडल ने ट्रेनी डॉक्टर का अंतिम संस्कार कराने में भी जल्दी की थी, जबकि ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने दूसरी ऑटोप्सी कराने की मांग रखी थी। विक्टिम के पिता बोले- ममता ने 2021 में संदीप घोष पर एक्शन लिया होता, तो बेटी जिंदा होती विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर के पिता ने ममता बनर्जी पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर ममता ने 2021 में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ एक्शन लिया होता तो आज उनकी बेटी जिंदा होती। विक्टिम के पिता बोले- 'CBI अपना काम कर रही है। जो लोग इस मर्डर से किसी भी तरह जुड़े हैं, या जो सबूतों की छेड़छाड़ में शामिल हो सकते हैं, उन सबकी जांच हो रही है। जो जूनियर डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे तकलीफ में हैं। वे मेरे बच्चों जैसे हैं। उन्हें ऐसे देखकर हमें भी तकलीफ होती है। जिस दिन आरोपियों को सजा दी जाएगी, उस दिन हमारी जीत होगी। साल 2021 में भी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई गई थीं, अगर मुख्यमंत्री ने तब संदीप घोष के खिलाफ कार्रवाई की होती तो मेरी बेटी जिंदा होती।'  

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

समाज

बिहार के नवादा में दलित बस्ती में दबंगों ने बुधवार रात 8 बजे 80 घरों में आग लगा दी। आरोपियों ने फायरिंग भी की। लोगों के साथ मारपीट भी हुई। इसके बाद यहां तनाव बना हुआ है। गांव में हालात पर काबू पाने के लिए 5 थानों की पुलिस तैनात की गई है। मुख्य आरोपी नंदू पासवान समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना की वजह जमीन विवाद बताया जा रहा है। आग में घर-मवेशी जले, जान की हानि नहीं मामला नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ददौर स्थित कृष्णा नगर दलित बस्ती का है। कई मवेशी भी जल गए। मौके पर दमकल विभाग की गाड़ियां पहुंचीं। कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया गया। हालांकि तब तक घर में रखे सामान जलकर राख हो गए। घर फूस और खपरैल के थे। जमीन को लेकर विवाद, मामला कोर्ट में है घटना की वजह भूमि विवाद है। गांव के एक बड़े भूखंड पर दलित परिवार रहते है। इसी भूखंड को लेकर दूसरे पक्ष से विवाद चल रहा है। इसकी सुनवाई कोर्ट में हो रही है। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि बुधवार की देर शाम अचानक दबंगों ने हमला कर दिया। मारपीट की। घरों में आग लगा दी। फायरिंग भी की। घर पर पेट्रोल छिड़ककर लगाई आग पीड़ित लक्ष्मीनिया देवी ने बताया कि हम लोग की बस्ती सरकारी जमीन पर है। नंदू पासवान इसे कब्जा करना चाहता है। वो अपने साथियों के साथ आया और इस घटना को अंजाम दिया। बहुत नुकसान हुआ है। वहीं भीम आर्मी के नेता विशाल चौधरी ने बताया कि बुधवार की शाम दबंगों ने 100 राउंड से ज्यादा फायरिंग की। उसके बाद घरों पर पेट्रोल डालकर उसमें आग लगा दी गई। 2 KM दूर यहां से थाना है, उसके बाद भी ऐसी घटना को अंजाम दिया गया। आरोपियों को मंशा है कि इन्हें भगा कर जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा। गांव वालों ने बताया, 'नंदू पासवान और उसके साथी कई साल से इस जगह पर रह रहे थे। जमीन बिहार सरकार की है। इस पर भू माफिया की नजर थी। नंदू पासवान कुछ दिनों से जमीन को बेच भी रहे थे। हम लोग इसका विरोध कर रहे थे।' डीएम ने बताया, '10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ग्रामीणों के बयान के आधार पर लोगों की पहचान की जा रही है। बड़ी संख्या में जिला प्रशासन और पुलिस की टीम तैनात है। सुरक्षा के मद्देनजर मजिस्ट्रेट और भारी संख्या में पुलिस की तैनाती कर दी गई है। मुख्य आरोपी समेत 15 गिरफ्तार मुख्य आरोपी नंदू पासवान समेत 15 लोगों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। नंदू पासवान का बेटा नागेश्वर पासवान कृष्णा नगर के वार्ड-16 का वार्ड सदस्य है।

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

दौसा के बांदीकुई में बोरवेल के पास हुए गड्ढे में करीब 17 घंटे से फंसी 2 साल की मासूम को एनडीआरएफ ने सुरंग खोदकर बचा लिया है। बुधवार शाम 5 बजे गड्ढे में गिरी बच्ची को गुरुवार सुबह करीब 10.10 बजे सुरक्षित बाहर निकाला गया। बच्ची को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीमों ने लगातार 12 घंटे तक खुदाई की थी। इसके बाद आज सुबह एक पाइप के जरिए टीमें बच्ची तक पहुंची थीं। नीरू गुर्जर (2) को जैसे ही टीमों ने बाहर निकाला पूरा एरिया वंदे मातरम के नारों से गूंज उठा। मासूम को बांदीकुई हॉस्पिटल ले जाया गया है। उसकी हालत फिलहाल सही बताई जा रही है। हादसा बुधवार शाम करीब 5 बजे जोधपुरिया गांव में हुआ। यहां खेत में खेलते हुए मासूम करीब 35 फीट गहरे गड्ढे में गिर गई थी। 13वें प्रयास में मिली सक्सेस रात 2 बजे तक एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने गड्ढे से बच्ची को बाहर निकालने के लिए देसी जुगाड़ एंगल सिस्टम का उपयोग किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद लालसोट से आई टीम ने रात 2 बजे से सुबह 5 बजे तक लगभग 10 बार एंगल सिस्टम का इस्तेमाल करके बच्ची को गड्ढे से निकालने की कोशिश की, लेकिन फिर भी वे सफल नहीं हो पाए। रात 3 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान लालसोट से आई टीम ने बच्ची को बाहर निकालने के लिए बोरवेल के पास गड्ढे में एंगल डाला। बच्ची ने एक बार हाथ फंसाया, लेकिन जब टीम ने उसे निकालने का प्रयास किया, तो उसने तुरंत अपना हाथ बाहर निकाल लिया। बुधवार रात से गुरुवार सुबह 7 बजे तक 12 बार प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अंतिम प्रयास गुरुवार सुबह 9 बजे शुरू हुआ था। उसके बाद बच्ची को बाहर निकाला गया।

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

पेज 3

राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर स्टारर ‘स्त्री 2’ का बॉक्स ऑफिस पर कब्जा जमा हुआ है. रिलीज के एक महीने बाद भी इस हॉरर कॉमेडी का क्रेज दर्शकों के सिर से नहीं उतरा है जिसके चलते ‘स्त्री 2’ पांचवें हफ्ते में भी करोड़ों में कारोबार कर रही है. फिल्म ने अपनी लागत से कई गुना ज्यादा का कारोबार कर लिया और मेकर्स की तिजोरियां भी नोटों से भर गई हैं लेकिन इसकी कमाई नहीं थम रही है. चलिए यहां जानते हैं ‘स्त्री 2’ ने रिलीज के 35वें दिन यानी पांचवें बुधवार को कितना कलेक्शन किया है? ‘स्त्री 2’ 35वें दिन कितनी की कमाई? ये ‘स्त्री 2’ क्या करके मानेगी? जी हां ये इसलिए कहना पड रहा है क्योंकि ये फिल्म हर दिन नया इतिहास रच रही है. फिल्म ने रिलीज के पहले दिन महाबंपर कलेक्शन किया था और इसके बाद तो इसने खूब नोट छापे. हालांकि अब पांचवे हफ्ते में फिल्म की कमाई में तो गिरावट आई है लेकिन ये अब भी करोड़ों में ही कलेक्शन कर रही है. 34वें दिन तो इस फिल्म ने शाहरुख खान जवान के लाइफटाइम कलेक्शन को पछाड़ दिया और सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. वहीं ‘स्त्री 2’ के अब तक के कारोबार की बात करें तो ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के आंकड़ों के मुताबिक  फिल्म ने रिलीज के पहले हफ्ते में 307.80 करोड़ कमाए थे दूसरे हफ्ते में ‘स्त्री 2’ का कलेक्शन  145.80 करोड़ रहा तीसरे हफ्ते में हॉरर कॉमेडी ने 72.83 करोड़ का कलेक्शन किया. चौथे हफ्ते में ‘स्त्री 2’  ने 37.75 करोड़ की कमाई की थी. वहीं पांचवें फ्राइडे ‘स्त्री 2’ ने 3.60 करोड़, पांचवें शनिवार 5.55 करोड़, पांचवें रविवार 6.85 करोड़, पांचवें सोमवार 3.17 करोड और पांचवें मंगलवार 2.65 करोड़ की कमाई की. इसके बाद ‘स्त्री 2’ की 34 दिनों की कुल कमाई 586.00 करोड़ रुपये हो गई. वहीं सैकनिल्क की अर्ली ट्रेंड रिपोर्ट के मुताबिक ‘स्त्री 2’ ने रिलीज के 35वें दिन यानी पांचवें बुधवार को 2.00 करोड़ का कलेक्शन किया है. इसी के साथ ‘स्त्री 2’ की 35 दिनों की कुल कमाई अब 588.00 करोड़ रुपये हो गई है. 600 करोड़ का नया क्लब शुरू करेगी ‘स्त्री 2’ ‘स्त्री 2’ ने साबित कर दिया है कि अगर कहानी में दम हो तो किसी फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर गर्दा काटने से कोई नहीं रोक सकता है. ‘स्त्री 2’ ने भी यही कर  दिखाया है. इस फिल्म की कहानी को दर्शकों ने इतना पसंद किया कि ये पांचवें हफ्ते में भी करोड़ों में कलेक्शन कर रही है. अब तो ये एक और नया रिकॉर्ड अपने नाम करने की तैयारी कर रही है. दरअसल हिंदी की नंबर 1 फिल्म बनने के बाद अब ये 600 करोड़ का नया क्लब शुरू करने की ओर तेजी से बढ़ रही है. उम्मीद है कि फिल्म रिलीज के छठे वीकेंड पर ये मील का पत्थर भी पार कर लेगी.    

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

 'बाहुबली' और 'पुष्पा' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में बतौर कोरियोग्राफर काम करने वाले जानी मास्टर इस समय चर्चा में हैं. तेलुगू कोरियोग्राफर जानी मास्टर के इशारे पर कई बड़े स्टार्स थिरक चुके हैं और आज उनको लेकर हैरान करने वाली खबर आ रही है. जानी मास्टर के ऊपर उनके साथ काम करने वाली 21 साल की लड़की ने हैरेसमेंट का आरोप लगाया है. एनडीवी के मुताबिक, तेलुगू फिल्म कोरियोग्राफर जानी मास्टर पर गंभीर आरोप लगा है और उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

दखल क्यों

अभिजीत अय्यर मित्रा हिजबुल्ला पर हुई टारगेटेड-स्ट्राइक मौजूदा दौर का संभवतः सबसे महत्वपूर्ण खुफिया अभियान है। शुरू में लगा कि साइबर-युद्ध की सरहदों को लांघकर गैजेट्स की हैकिंग के जरिए यह हमला किया गया है, क्योंकि फोन, पॉवर बैंक, पेजर आदि को विस्फोटक-सामग्री के रूप में डिजाइन नहीं किया जाता है। लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ मामला कुछ और था। 1972 में इजराइल ने अपने पहले फोन-हत्याकांड को अंजाम दिया था। महमूद हमशारी नामक एक शीर्ष पीएलओ कमांडर पेरिस में रहता था। मोसाद एजेंट गुप्त रूप से उसके अपार्टमेंट में घुसने में कामयाब रहे और उसके लैंडलाइन फोन के निचले माइक्रोफोन में विस्फोटक लगा दिया। कुछ घंटों बाद, जब हमशारी आया तो उसे एक कॉल किया गया और एक रिमोट-ट्रिगर से विस्फोट को अंजाम दे दिया गया। तब से मोसाद कई बार इस शैली का इस्तेमाल कर चुका है, पर लगता है इजराइल के दुश्मन गलतियों से सबक नहीं लेते। समस्या यह भी है कि आधुनिक दुनिया में संचार-उपकरणों के बिना आप कैसे रह सकते हैं? इजराइल जैसी हाई-टेक शक्ति का सामना करने के लिए आपको उतना ही तेजतर्रार और तकनीकी रूप से परिष्कृत होना चाहिए। दिक्कत यह है कि आप जितनी परिष्कृत तकनीक का उपयोग करेंगे, इजराइल द्वारा उसे हैक करने की संभावना उतनी अधिक होगी। नई तकनीक की काट है पुरानी तकनीक। मिसाल के तौर पर, आधुनिक अमेरिकी स्टेल्थ फाइटर या बॉम्बर को आधुनिक रडार नहीं लोकेट कर सकता, हालांकि वे 1950 के दशक के पुराने रडार पर बहुत अच्छी तरह से नजर आते हैं- क्योंकि वे परिष्कृत एल्गोरिदम के लिए बहुत पुराने हैं और उन्हें गच्चा नहीं दिया जा सकता। हिजबुल्ला वाले चाहे कोई भी एन्क्रिप्टेड आधुनिक फोन खरीदते, इजराइल उन्हें पकड़ लेता, इसलिए उन्होंने पेजर नामक 1949 की तकनीक से काम चलाने का फैसला किया। ऐसा इसलिए था क्योंकि पेजर कई स्रोतों से सिग्नल प्राप्त कर सकते हैं- कुछ मामलों में 50-60 किमी दूर से भी। इसके अलावा हिजबुल्ला की रणनीति यह थी कि एक बार पेज किए जाने के बाद वे बस अपने आस-पास के किसी नागरिक के मोबाइल का उपयोग करने का अनुरोध करेंगे और इजराइल को सभी सेलफोन कम्युनिकेशन की निगरानी करनी होगी। यह एक बेहतरीन आइडिया था। लेकिन हिजबुल्ला का दुर्भाग्य था कि इजराइल का अनेक इलेक्ट्रॉनिक निर्माता के साथ किसी न किसी तरह का संबंध है, क्योंकि वह आधुनिक दुनिया की इलेक्ट्रॉनिक महाशक्तियों में से एक है। इस वाले मामले में, माना जा रहा है कि इजराइली खुफिया तंत्र ने ताइवान की उस कंपनी के यूरोपीय निर्माता को चिह्नित करने में कामयाबी हासिल की, जिसने हिजबुल्ला के लिए पेजर बनाए थे। ऑर्डर देने के बाद, इजराइली एजेंटों ने हर डिवाइस की बैटरी में शक्तिशाली विस्फोटक लगा दिए। इस बात के कोई विवरण नहीं हैं कि यह कहां पर किया गया था- बैटरी निर्माताओं के प्लांट में? पेजर निर्माण प्लांट में? या ऑर्डर की शिपिंग के दौरान? लेकिन इस ऑपरेशन में आठ महीने से सवा साल के बीच का समय लगा है। इजराइल पहले यह सुनिश्चित करना चाहता था कि ऑर्डर किए गए सभी उपकरण सैन्य कमांडरों को वितरित किए गए हों। दूसरे, वो चाहता था कि हमला एक साथ हो। एक बीप के साथ सभी 5000 उपकरणों में एक साथ विस्फोट कर दिया गया। बीप होने पर सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया यह होती है कि तुरंत जेब से पेजर निकाल लिया जाए। जिन्हें जल्दी नहीं होती, वे पेजर को जेब में ही रहने देते हैं। इन हमलों में विस्फोट से पेजर-धारकों की आंखों, हाथों और जांघों पर गम्भीर चोट पहुंची है। हिजबुल्ला के लगभग 500 शीर्ष लोगों ने आंखें खो दी हैं। ईरानी राजदूत भी चोटिल हुए हैं। 1866 में डायनामाइट के आविष्कार के बाद से कोई भी टारगेटेड-ऑपरेशन इतने सटीक तरीके से हजारों लोगों को निशाना बनाने में सफल नहीं रहा है। ड्रोन से किए प्रहार भी अपने लक्ष्य को मार देते हैं, लेकिन उसमें निर्दोष लोगों को भी बहुत नुकसान होता है। लेकिन इस मामले में हरेक पेजर-धारक एक हिजबुल्ला-कमांडर था। एक सामान्य व्यक्ति भला क्यों 1949 की तकनीक वाले पेजर का इस्तेमाल करेगा, खासकर जब एंड्रॉइड फोन बहुत कम कीमत पर खरीदे जा सकते हैं? विस्फोटक के बेहद छोटे आकार के कारण को-लैटरल डैमेज लगभग शून्य है। हिजबुल्ला एक छोटा संगठन है। कमांड-स्तर पर उसके पास सिर्फ पांच से सात हजार लोग थे। इसका मतलब यह है कि पेजर-हमले ने पूरी हाईकमान को तहस-नहस कर दिया है, जिसे फिर से बनाने में कई साल लग जाएंगे! 1866 में डायनामाइट के आविष्कार के बाद से कोई भी टारगेटेड-ऑपरेशन इतने सटीक तरीके से हजारों लोगों को निशाना बनाने में सफल नहीं रहा है। इस वाले मामले में हरेक पेजर-धारक एक हिजबुल्ला-कमांडर था!

Dakhal News

Dakhal News 19 September 2024

नवनीत गुर्जर  राजनीति क्या है? वो हर परिस्थिति में निराश न होने वाली दिलेरी है! नफरत को मणि समझकर अपने मस्तिष्क में संभाले रखने वाली दिलेरी भी है!… और सपनों को ताश के पत्तों की भांति मिलाकर और बांटकर कोई खेल खेलने वाली दिलेरी भी! जिसमें कोई भी हार शाश्वत नहीं होती और कोई भी जीत स्थायी नहीं होती…क्योंकि पत्ते फिर से मिलाए या फेटे जा सकते हैं और जीत की आस फिर से बांधी जा सकती है! ‘आप’ वाले अरविंद केजरीवाल इस वक्त इनमें से किस दिलेरी को जी रहे हैं, ये तो वे ही जानें, लेकिन इतना सच है कि उनकी दुविधा विकट थी। पहाड़ जैसा संकट यही था कि कुछ महीनों के लिए ही सही, अपनी कुर्सी पर किसे बैठाएं? राजनीति के चक्रव्यूह और इसकी निष्ठाओं से तो वे भी भली-भांति परिचित हैं ही! दरअसल, दुविधा यह थी कि कब कोई जीतन राम मांझी बन जाए, कब कोई चंपई सोरेन हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। खैर, गहन मंथन के बाद आखिर वे अपनी विश्वस्त आतिशी को ‘डमी’ सीएम के रूप में चुनने में कामयाब हो गए। ‘डमी’ इसलिए कि कुर्सी पर चाहे जो बैठे, सिक्का तो केजरीवाल का ही चलता रहेगा, जैसा पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाने पर जेल में बैठी जयललिता का चलता था। पन्नीरसेल्वम मुख्यमंत्री बनकर भी जयललिता की कुर्सी छोड़कर बगल वाली कुर्सी पर बैठा करते थे और छाती से चिपकी जेब में उनका फोटो हमेशा रखते थे। कभी फोन आ जाए तो कुर्सी से उठकर बात किया करते थे। इस तरह की प्रतिबद्धता नक्की करने के बाद ही केजरीवाल ने भी आतिशी को उत्तराधिकारी चुना होगा, यह तय है। अब सवाल यह उठता है कि यह पूरी कवायद आखिर क्यों? जब जेल में रहते हुए कुर्सी नहीं छूटी तो अब उसी प्यारी कुर्सी को बाहर (जमानत पर) आकर लतियाने का मतलब क्या? जवाब आसान है। अगली जनवरी-फरवरी में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हैं। केजरीवाल इन चार-पांच महीनों को अग्निपरीक्षा का समय मान रहे हैं। वे इसमें से पवित्रता का वरदान चाह रहे हैं। कह रहे हैं कि अब जनता से पूछेंगे वह उन्हें ईमानदार मानती है या बेईमान? अगर ईमानदार मानती है तो जिताकर ईडी-सीबीआई सबको झूठा साबित कर दे। अगर वे जीत जाते हैं तो चार महीने के लिए कुर्सी छोड़कर जो अमरता वे चाह रहे थे, वह भी मिल जाएगी और चूंकि उनके नारे पर ही जीत मिलेगी, इसलिए पार्टी के भीतर किसी जीतन राम या किसी चंपई के उठ खड़े होने की संभावना भी पूरी तरह क्षीण हो जाएगी। आखिर केजरीवाल की राजनीतिक चेतना उस बालबुद्धि के समान तो नहीं ही है, जिसे हर वस्तु एक अचंभा लगती है या जिसे छोटी से छोटी वस्तु में बड़ी दिलचस्पी पैदा हो जाती है।... और जो पल में बिलख पड़ती है और पल में हर्षित हो जाती है। वे चतुर सुजान हैं और राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी भी। हालांकि चुनावी जीत किसी के ईमानदार होने की गारंटी नहीं हो सकती। इससे पहले भी जेल जाने या भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे होने के बाद भी जयललिता, करुणानिधि और ऐसे कई नेताओं ने प्रचंड जीत पाई है। फिर भी केजरीवाल की इस्तीफा-रणनीति है कमाल की! क्योंकि भले चार महीने के लिए हो या चार दिन के लिए, हिंदुस्तान में कुर्सी छोड़ना, रोटी छोड़ने से भी कठिन काम है। यही वजह है कि केजरीवाल अपने इस त्याग को छाती चीरकर दिखाएंगे। आगामी दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भी और मौजूदा हरियाणा चुनाव में भी। भाजपा हालांकि केजरीवाल के इस ‘त्याग’ को नौटंकी बताते नहीं थक रही है, लेकिन सच ये है कि केजरीवाल का प्रचार-अभियान हरियाणा में उसे (भाजपा को) नई ऊर्जा देने वाला है। ‘आप’ को जितने वोट मिलेंगे, भाजपा को उतना फायदा होगा। जहां तक दिल्ली के चुनाव का सवाल है, यहां तो सुषमा स्वराज, मदनलाल खुराना और डॉ. हर्षवर्धन के बाद भाजपा के पास कोई स्थायी, स्थानीय और चुनाव-जिताऊ चेहरा ही नहीं रहा! कुर्सी छोड़ना कठिन है... केजरीवाल की इस्तीफा-रणनीति है कमाल की! क्योंकि भले चार महीने के लिए हो या चार दिन के लिए, हिंदुस्तान में कुर्सी छोड़ना, रोटी छोड़ने से भी कठिन काम है। चुनावों में केजरीवाल अपने इस त्याग को छाती चीरकर दिखाएंगे।    

Dakhal News

Dakhal News 18 September 2024

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.