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पटना । बिहार विधानसभा के दूसरे चरण के चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। राजग के अन्य नेताओं की तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शुक्रवार को केसरिया विधानसभा में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार शालिनी मिश्रा और कल्याणपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार सचिन्द्र प्रसाद सिंह के समर्थन में जनसभा की। जनसभाओं को संबाेधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष पर हमला किया। उन्हाेंने कहा कि विपक्षी दलों ने अब तक कुछ नहीं किया है, सिर्फ अफवाह फैलाने का काम किया है। उन्होंने महिलाओं को आश्वस्त करते हुए कहा कि जो 10-10 हजार रुपए दिए गए हैं, उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा, अफवाहों में न पड़ें। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के हित में कार्य किया है। हमने मदरसों का सरकारीकरण किया है, वहीं मंदिरों की सुरक्षा भी बढ़ाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री बिहार के लिए लगातार काम कर रहे हैं और समय-समय पर यहां आकर जनता से पूछते हैं कि कोई परेशानी तो नहीं है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जनता से दोनों उम्मीदवारों को जीताने की अपील की। सभा में मौजूद महिलाओं से उन्होंने अपने परिचित अंदाज़ में हाथ उठाकर समर्थन मांगा और कहा कि बिहार में विकास और शांति बनाए रखने के लिए राजग को वोट दें। जदयू प्रत्याशी शालिनी मिश्रा ने कहा कि आज मुख्यमंत्री ने फिर साफ कर दिया कि महिलाओं को जो 10-10 हजार रुपए मिले हैं, वे वापस नहीं लिए जाएंगे। विपक्ष की फैलाई अफवाहों को महिलाएं समझ चुकी हैं, इसलिए पहले चरण में उन्होंने बढ़-चढ़कर मतदान किया है।
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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र गीत 'वंदे मातरम' की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर शुक्रवार को कहा कि वंदे मातरम केवल देश की आजादी का गान नहीं बल्कि आजाद भारत कैसा होगा, उसका सुजलाम-सुफलाम सपना भी करोड़ों देशवासियों के सामने प्रस्तुत करता है। इसमें भारत माता की तुलना देवी के तीन स्वरूपों से की गई है। आज भारत विद्या, समृद्धि और शक्ति के तीन आयामों में तरक्की कर इस सपने को साकार कर रहा है। वंदे मातरम हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भर देता है, भविष्य को नया हौसला देता है और बताता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि न हो सके। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे प्राप्त न किया जा सके। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आज प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के वर्षभर चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। स्मरणोत्सव से जुड़े कार्यक्रम 7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक चलेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने स्मारक डाक टिकट और विशेष सिक्का भी जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्ष 1937 में वंदे मातरम की आत्मा को अलग कर दिया गया था और इसके एक अंश को हटाकर राष्ट्र के विभाजन के बीज बो दिए गए थे। वह विभाजनकारी सोच आज भी देश के लिए चुनौती बनी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम गीत में भारत मां के रूप की कल्पना देवी के तीन रूपों से की गई है। जिस प्रकार मां जननी भी है, पालनहारिणी भी है और आवश्यकता पड़ने पर संहारकारिणी भी है। भारत मां विद्या देने वाली सरस्वती है, समृद्धि देने वाली लक्ष्मी है और अस्त्र-शस्त्र धारण करने वाली दुर्गा भी है। बीते वर्षों में विश्व ने भारत के इसी विद्या समृद्धि और शक्ति स्वरूप का उदय देखा है। विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और जब आतंकवाद ने भारत की सुरक्षा पर हमला किया तो पूरी दुनिया ने देखा कि नया भारत सेवा के साथ-साथ विनाशकारी शक्तियों के प्रतिकार में भी सक्षम है। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से ही राष्ट्र की संकल्पना भारत की चेतना में रही है। जो लोग राष्ट्र को केवल भौगोलिक सीमा मानते हैं, उनके लिए राष्ट्र को ‘मां’ के रूप में देखना कोई बड़ी बात हो सकती है। भारत ने सभ्यताओं के उत्थान-पतन, मानव की अनंत यात्रा और समय के साथ परिवर्तन को देखा है। इन अनुभवों से हमने अपनी सभ्यता के आदर्शों को तराशा और नैतिकता व शक्ति के संतुलन को समझा। उल्लेखनीय है कि स्मरणोत्सव के दौरान आज देशभर में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी से सार्वजनिक स्थानों पर वंदे मातरम का पूर्ण संस्करण सामूहिक रूप से गाया गया। बंकिमचंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के दिन वंदे मातरम गीत की रचना की थी। यह गीत बंगदर्शन पत्रिका में उनके उपन्यास आनंदमठ के एक अंश के रूप में प्रकाशित हुआ था। मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक बताते हुए इस गीत ने भारत की एकता और आत्मगौरव की भावना को काव्यात्मक रूप में व्यक्त किया, जो आज भी राष्ट्रीय प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
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भोपाल । मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि अभिलेखागार भवन के निर्माण से मंदसौर जिले के समस्त राजस्व एवं सामान्य अभिलेख व्यवस्थित रूप से संधारित किए जा सकेंगे। सभी रिकॉर्ड एक ही स्थान पर सुरक्षित रहेंगे। इससे कार्य प्रणाली में पारदर्शिता एवं गति आएगी। रिकॉर्ड के व्यवस्थित नहीं रहने से कई बार कार्यों में विलंब या कठिनाई आती है, अभिलेखों के सुव्यवस्थित रखरखाव से यह समस्या नहीं होगी। यह बात उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने शुक्रवार को सुशासन भवन परिसर मंदसौर में राजस्व अभिलेखागार एवं सामान्य अभिलेखागार भवन का भूमि-पूजन कार्यक्रम में कही। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए राज्य सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अभिलेखागार प्रशासनिक कार्यों को अधिक सुगम और प्रभावी बनाएगा। भवन लगभग 1 करोड़ 66 लाख रुपये की लागत से निर्माण एजेंसी पीआईयू विभाग द्वारा निर्मित किया जाएगा। कार्यक्रम में लोकसभा सांसद सुधीर गुप्ता, जिला पंचायत अध्यक्ष दुर्गा विजय पाटीदार, मंदसौर विधायक विपिन जैन, पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया, योजना समिति सदस्य राजेश दीक्षित, नगर पालिका अध्यक्ष रमादेवी बंशीलाल गुर्जर, जिला पंचायत उपाध्यक्ष मनुप्रिया विनीत यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधि, कलेक्टर अदिती गर्ग, पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मीना, अपर कलेक्टर एकता जायसवाल, सीईओ जिला पंचायत अनुकूल जैन, अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
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भाेपाल । बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल एवं मध्यप्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित पत्रकार-वार्ता में भगवान बिरसा मुंडा के 150वें जन्मदिवस पर होने वाले आयोजनों की जानकारी दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है और मध्यप्रदेश सरकार, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता तथा समाज जन उत्साहपूर्वक इस समारोह को मनाएंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष खण्डेलवाल ने कहा कि मध्यप्रदेश में भगवान बिरसा मुंडा के 150 वें जन्मदिवस के अवसर पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। 11 नवंबर से प्रदेश के 24 जिलों की 47 जनजातीय बहुल विधानसभाओं से जनजातीय गौरव यात्राएं निकलेंगी। ये यात्राएं हरदा, अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, धार, रतलाम, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, बैतूल, कटनी, बुरहानपुर, खंडवा, जबलपुर, उमरिया और देवास जिलों में लगातार 4 दिनों तक चलेंगी। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के तहत जनजातीय स्वाभिमान सम्मेलन, विशिष्ठ जनजातीय व्यक्तियों का सम्मान, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम, जनजातीय स्मारकों, देवस्थानों की साफ सफाई, संरक्षण एवं दीपोत्सव किया जाएगा। यात्राओं के दौरान चौपालों का आयोजन होगा और यात्राओं का रात्रि विश्राम गांवों में होगा। यात्राओं का समापन 15 नवंबर को जबलपुर और अलीराजपुर में होगा। 25 साल के जीवन में देश-समाज को दिशा दे गए भगवान बिरसा मुंडाहेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा पहले एक मिशनरी स्कूल में हुई, लेकिन बाद में जब उन्हें लगा कि उनकी शिक्षा सही दिशा में नहीं है, तो वे अपने पारंपरिक धर्म की ओर लौट आए। उन्होंने देखा कि आदिवासियों का सामाजिक और आर्थिक शोषण हो रहा है। हमारे सांस्कृतिक ताने-बाने पर हमले हो रहे हैं, तो उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। उन्हें सन् 1900 में गिरफ्तार कर लिया गया और गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। भगवान बिरसा मुंडा सिर्फ 25 साल जीवित रहे, लेकिन इतनी कम आयु में उन्होंने देश और समाज को नई दिशा दी। उन्होंने आदिवासी समाज के सुधार के लिए शराबबंदी, चोरी न करने और झूठ से दूर रहने जैसे अनेक नियम बनाए। उनके संघर्ष, त्याग और बलिदान को सम्मान देते हुए आदिवासी समाज के लोग उन्हें ‘धरती आबा’ यानी धरती के भगवान या पिता के रूप में पूजते हैं। हर क्षेत्र की जनजातीय प्रतिभाओं का करेंगे सम्मान- मंत्री विजय शाहमध्यप्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने पत्रकार-वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक विस्तृत कार्य योजना बनाई है, जिनमें पार्टी कार्यकर्ता, जनजातीय समाज के लोग तथा अन्य समाजों के लोग भी सहभागिता करेंगे। उन्होंने बताया कि जनजातीय गौरव दिवस के समापन पर जबलपुर में बड़ा कार्यक्रम होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जुड़ेंगे। उन्होंने बताया कि जनजातीय गौरव दिवस पर विभिन्न क्षेत्रों की जनजातीय प्रतिभाओं को सम्मानित किए जाने की योजना है।
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जोधपुर । रेगिस्तान की तपती रेत पर शुक्रवार को भारतीय सेना की शक्ति गरज उठी। जैसलमेर में फैले विशाल मरुस्थल में सेना ने अपने संयुक्त हथियार अभियान का शानदार प्रदर्शन किया। आसमान में उड़ते हेलीकॉप्टर और जमीन पर दौड़ते टैंक एक साथ दिखे -जैसे कोई जंग अभी शुरू होने वाली हो। दरअसल, भारत की तीनों सेनाएं इन दिनों पश्चिमी सीमा पर ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास कर रही है, जिसका नाम युद्धाभ्यास त्रिशूल दिया गया है। करीब तीस हजार सैनिक इस अभ्यास में अपना दमखम दिखाकर दुनिया को सन्देश दे रहे हैं कि हम किसी से कम नहीं। युद्धाभ्यास मेंं कमांड पोस्ट से हर यूनिट पर नजर रखी जा रही है। ड्रोन और सैटेलाइट से आई रीयल-टाइम तस्वीरें स्क्रीन पर हैं। यह सिर्फ अभ्यास नहीं, बल्कि तकनीकी तैयारी का इम्तिहान है, जहां एक गलती की गुंजाइश नहीं। सेना का कहना है कि यह अभ्यास भविष्य के युद्ध के लिए बेहद अहम है, क्योंकि आने वाले समय में युद्ध सिर्फ बंदूकों से नहीं, बल्कि नेटवर्क, सेंसर और सटीक समन्वय से लड़े जाएंगे। इस मिशन में सेना के भरोसेमंद हेलीकॉप्टर ध्रुव, रुद्र, चेतक और चीता अहम भूमिका निभा रहे है। विमानन विंग और मैकेनाइज्ड यूनिट्स ने अभूतपूर्व समन्वय का प्रदर्शन : अभ्यास के दौरान सेना के विमानन विंग और मैकेनाइज्ड यूनिट्स ने अभूतपूर्व समन्वय का प्रदर्शन किया। हवाई निगरानी, रीकॉन ओवरवॉच और विशेष हैलीबोर्न मिशन को सफलता से अंजाम दिया गया। रैपिड ट्रूप इंसर्शन और क्लोज-सपोर्ट कॉम्बैट मूव्स के जरिए हवाई और जमीनी बलों ने ऑपरेशनल तालमेल का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। इस अभ्यास में हेलीकॉप्टर यूनिट्स द्वारा अग्रिम पंक्तियों में सैनिकों की त्वरित तैनाती, बख्तरबंद टुकडिय़ों के साथ समन्वय और रियल-टाइम डेटा लिंक की मदद से गतिशील युद्धक्षेत्र में निर्णय लेने की क्षमता का प्रदर्शन किया गया। डिजिटल वॉरफेयर सपोर्ट सिस्टम्स का प्रयोग : अभ्यास त्रिशूल में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी, डेटा लिंकिंग और डिजिटल वॉरफेयर सपोर्ट सिस्टम्स का प्रयोग किया गया है। यह अभ्यास केवल हथियारों या फोर्सेस के तालमेल का प्रदर्शन नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी और मानव संसाधन के बेहतरीन समन्वय का भी प्रतीक है। फ्यूचर बैटलस्पेस की अवधारणा को साकार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-सक्षम डेटा एनालिटिक्स, ड्रोन निगरानी और सेंसर-नेटवर्क आधारित ऑपरेशंस का भी प्रदर्शन किया गया। यह अभ्यास केवल थलसेना तक सीमित नहीं है। ट्राय-सर्विसेज फ्रेमवर्क के तहत भारतीय नौसेना और वायुसेना की भी सक्रिय भागीदारी रही। इससे संयुक्त फोर्सेज की वास्तविक युद्ध क्षमता और इंटर ऑपरेबिलिटी को नई दिशा मिली है।
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अहमदाबाद | गुजरात के लोक साहित्यकार, कथाकार, गुजरात लोककला फाउंडेशन के संस्थापक एवं संपादक पद्मश्री जोरावरसिंह जादव का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने लोक संस्कृति, लोक कला और लोक साहित्य पर आधारित लगभग 90 कृतियों का संपादन और रचना की। उनके निधन से गुजराती साहित्य जगत में शोक की लहर है। जोरावरसिंह जादव का जन्म 10 जनवरी, 1940 को धंधुका तहेसिल के आकरू गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम दानुभाई हालुंभाई और माता का नाम पंबा था। वे पेशे से किसान थे। उनका बचपन आकरू गाँव में बीता और उनका पालन-पोषण उनकी सौतेली माँ गंगाबा ने किया। जोरावर सिंह ने बचपन में ही लोक साहित्य और लोक कलाओं का गहन अनुभव प्राप्त कर लिया था। उन्होंने लोक कथाओं, गीतों और लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित 90 से अधिक कृतियों का संपादन और सृजन किया। उनकी प्रसिद्ध कहानियों में 'मरद कसुम्बल रंग चढ़े' और 'मरदाई माथा साटे' जैसी लोकप्रिय रचनाएँ शामिल हैं। उन्हें मेघानी सुवर्ण चंद्रक और गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। जोरावर सिंह जाधव 1964 से सरकार साप्ताहिकी, ग्रामस्वराज और जिनमंगल मासिक पत्रिकाओं के संपादन का कार्य संभाल रहे थे। उन्होंने कला को जनता के सामने प्रस्तुत करने के लिए पत्रिकाओं के साथ-साथ रेडियो और टेलीविजन पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन और संचालन किया। उन्होंने 1978 में 'गुजरात लोक कला फाउंडेशन' नामक एक संस्था की स्थापना की जिसके माध्यम से गुजरात और राजस्थान की अशिक्षित, शोषित और खानाबदोश जातियों के लोक कलाकारों को जनता के सामने आने और अपनी अभिव्यक्ति का अवसर मिला।
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भोपाल । राष्ट्र गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मध्य प्रदेश में शुक्रवार को राष्ट्रभक्ति और एकता का अद्भुत संगम देखने को मिला। प्रदेश के सभी 280 शासकीय आईटीआई परिसरों में प्रशिक्षार्थियों, प्रशिक्षकों और अधिकारियों ने सामूहिक रूप से राष्ट्रगीत \"वंदे मातरम्\" का सामूहिक गान किया। प्रदेश के आईटीआई परिसरों में आयोजित सामूहिक गायन कार्यक्रम ने युवाओं में राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और एकजुटता की भावना को और मजबूत किया। प्रशिक्षार्थियों ने गर्व के साथ स्वर मिलाकर यह संदेश दिया कि “वंदे मातरम्” केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता के प्रति समर्पण और आत्मगौरव की भावना का प्रतीक है। सभी आईटीआई परिसरों में उत्साह और जोश का वातावरण था। प्रशिक्षार्थियों की सामूहिक आवाज़ ने परिसर को गूँजते स्वर और देशभक्ति की ऊर्जा से भर दिया। कार्यक्रम ने यह भी दर्शाया कि मध्य प्रदेश की युवा शक्ति केवल कौशल और दक्षता में ही नहीं, बल्कि देश के प्रति अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी में भी तत्पर है। वंदे मातरम के सामूहिक गायन ने यह संदेश दिया कि भारत की युवा पीढ़ी अपने सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मूल्यों को समर्पण, श्रद्धा और गर्व के साथ आगे बढ़ाने के लिए हमेशा तैयार है। “वंदे मातरम्” का यह कार्यक्रम न केवल भारतीयता की भावना को सशक्त करता है, बल्कि यह युवाओं में एकता, अनुशासन और राष्ट्रप्रेम की शिक्षा भी देता है। वंदे मातरम् की रचना महान कवि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1874 में की थी। यह गीत मूल रूप से उनकी उपन्यास “आनंद मठ” में शामिल किया गया था। उस समय भारत पर ब्रिटिश शासन था, और देश में स्वतंत्रता की लहर उठ रही थी। इस गीत ने तत्कालीन परिस्थितियों में भारतीयों के भीतर देशभक्ति और एकता की भावना को जगाया और उन्हें संगठित होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वंदे मातरम् गीत की पंक्तियों में मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम, बलिदान और त्याग की भावना का संदेश छिपा है। वंदे मातरम् ने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों को साहस और प्रेरणा दी, बल्कि यह गीत आज भी देश के प्रत्येक नागरिक में मातृभूमि के प्रति सम्मान और कर्तव्यबोध की भावना जगाता है। वंदे मातरम् गीत का इतिहास, महत्व और भावार्थ से विद्यार्थियों को कराया अवगत उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान, भोपाल के भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा शुक्रवार को ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सांदीपनि कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. अनीता देशपांडे ने विद्यार्थियों को ‘वंदे मातरम्’ गीत के इतिहास, महत्व तथा भावार्थ से अवगत कराया। भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की संयोजक डॉ. प्रज्ञा नायक ने ‘वंदे मातरम्’ गीत के विषय में विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी। संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंघई ने अपने वक्तव्य में ‘देशभक्ति’ एवं ‘भारतीय संस्कृति’ के विषय में प्रेरक विचार व्यक्त किए। इस दौरान उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान, भोपाल के संचालक डॉ. प्रज्ञेश कुमार अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में संस्थान के अधिकारी, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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भोपाल । मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में शुक्रवार को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के अवसर पर कैंसर जागरूकता, स्क्रीनिंग एवं परामर्श शिविरों का आयोजन किया गया। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तंबाकू के दुष्प्रभावों एवं कैंसर जागरूकता हेतु प्रश्नोत्तरी, रैली निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई। ये दिन रेडियोएक्टिविटी की खोज करने वाली नोबल पुरस्कार विजेता मैडम मेरी क्यूरी के जन्मदिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष मनाया जाता है। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में स्तन कैंसर की शीघ्र पहचान के लिए महिलाओं को सेल्फ एग्जामिनेशन के तरीकों की जानकारी दी गई। साथ ही स्तनों के आकार में बदलाव, गांठ, स्तन के आगे के भाग या उसके आसपास लाल चकत्ते, स्तन या कांख में निरंतर दर्द होना, स्तनों की त्वचा पर झुर्रियां दिखाई देने जैसे लक्षणों के दिखने पर स्वास्थ्य संस्था में परामर्श लेने की जानकारी दी गई। इस अवसर पर स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर, मुंह या गले का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, ब्रेन कैंसर के प्रारम्भिक लक्षणों की जानकारी दी गई। लक्षणों की जल्द पहचान और उपचार से कैंसर ठीक हो सकता है। असामान्य रक्तस्राव, न भरने वाले घाव, स्तन के आकार में परिवर्तन होना, स्तन में गठान होना, मुंह खोलने जबड़े हिलाने या निगलने में कठिनाई होना, योनि से असामान्य खून का बहना जैसे लक्षण दिखने पर चिकित्सकीय परामर्श लेना जरूरी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मनीष शर्मा ने बताया कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्तर तक कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान की जा रही है। जिला चिकित्सालय में सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी उच्चस्तरीय जांच सुविधाएं दी जा रही हैं। कैंसर के संभावित लक्षण दिखने पर असंचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत उपचार दिया जा रहा है।
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बॉलीवुड की ग्लैमरस जोड़ी कैटरीना कैफ और विक्की कौशल अब माता-पिता बन गए हैं। अभिनेत्री ने बेटे को जन्म दिया है। दोनों ने सोशल मीडिया पर यह खुशखबरी शेयर करते हुए अपने जीवन के इस नए अध्याय की शुरुआत का ऐलान किया। कैटरीना और विक्की ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट में लिखा, \"हमारी खुशियों का पिटारा आ गया है। हमारे बेटे के आगमन ने हमारी ज़िंदगी को और भी खूबसूरत बना दिया है।\" इस घोषणा के बाद से सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया है। फैंस, इंडस्ट्री के साथी कलाकार और शुभचिंतक इस जोड़ी पर प्यार और शुभकामनाओं की बौछार कर रहे हैं। कैटरीना कैफ ने सितंबर 2025 में अपनी प्रेग्नेंसी की खबर शेयर की थी। इसके बाद से ही विक्की कौशल कई मौकों पर पिता बनने की उत्सुकता जाहिर कर चुके थे। हाल ही में एक इवेंट में उन्होंने कहा था, \"समय करीब है... और मैं बेहद खुश और नर्वस दोनों हूं।\" चार साल बाद नई खुशियों का आगमन कैटरीना और विक्की की शादी दिसंबर 2021 में राजस्थान के सवाई माधोपुर के फोर्ट बरवाड़ा में हुई थी। यह शादी बॉलीवुड की सबसे चर्चित शादियों में से एक रही थी, जिसमें परिवार और करीबी दोस्तों ने ही शिरकत की थी। अब, करीब चार साल बाद यह जोड़ी माता-पिता बनी है, और उनके लिए यह एक भावनात्मक व यादगार पल बन गया है।
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मनोज बाजपेयी की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज 'द फेमिली मैन 3' का ट्रेलर आखिरकार रिलीज हो गया है, और इसे देखकर दर्शकों की उत्सुकता चरम पर पहुंच गई है। करीब 2 मिनट 49 सेकंड लंबे इस ट्रेलर में एक बार फिर श्रीकांत तिवारी के रूप में मनोज बाजपेयी अपने पुराने अंदाज में लौटे हैं, लेकिन इस बार हालात और भी ज्यादा गंभीर नजर आ रहे हैं। ट्रेलर की शुरुआत श्रीकांत तिवारी (मनोज बाजपेयी) के अपने बच्चों को अपने पेशे के बारे में बताते हुए होती है, एक पिता की चिंता और एक एजेंट की जिम्मेदारी के बीच झूलता किरदार। लेकिन जल्द ही कहानी एक खतरनाक मोड़ लेती है जब सामने आता है जयदीप अहलावत का किरदार, जो इस सीजन का नया विलेन है। जयदीप के तीखे संवाद और उनकी उपस्थिति ने दर्शकों को तुरंत आकर्षित किया है, और ट्रेलर में वे मनोज पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। सीरीज में निमृत कौर की एंट्री ने उत्सुकता और बढ़ा दी है। उनका किरदार रहस्यमय है, ट्रेलर में उन्हें कम दिखाया गया है, लेकिन हर सीन में उनकी मौजूदगी एक सस्पेंस पैदा करती है। राज और डीके के निर्देशन में बनी यह सीरीज डी2आर फिल्म्स के बैनर तले तैयार की गई है। इसका ग्लोबल प्रीमियर 21 नवंबर को अमेजन प्राइम वीडियो पर होगा। पहले दो सीजन की जबरदस्त सफलता के बाद 'द फैमिली मैन 3' दर्शकों के लिए एक और रोमांचक अनुभव लेकर आने वाली है, जहां एक आम आदमी, जो एक जासूस भी है, देश और परिवार दोनों के बीच अपनी जिम्मेदारियों का संतुलन साधने की कोशिश करता है।
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भोपाल । मध्य प्रदेश के व्यापार, उद्योग और एमएसएमई सेक्टर पर जीएसटी सुधारों का सकारात्मक प्रभाव नजर आने लगा है। इन सुधारों से राज्य के विभिन्न उत्पादों में 6 से 10 प्रतिशत तक कीमतों की कमी दर्ज की गई है। इससे न केवल उद्योगों की लागत घटी है, बल्कि रोजगार, विकास और आजीविका के नए अवसर भी तेजी से बढ़े हैं। राज्य ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के सितम्बर माह तक निर्धारित लक्ष्य 8,212 करोड़ रुपये के विरुद्ध 8,293.01 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया, जो लक्ष्य से 0.99 प्रतिशत अधिक है। वर्तमान वर्ष में सितम्बर 2025 तक प्राप्त राजस्व, गत वर्ष की तुलना में 16.88 प्रतिशत अधिक है। यह संकेत है कि जीएसटी सुधारों ने राज्य की आर्थिक गतिविधियों को गति दी है। यह जानकारी शुक्रवार को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने मीडिया को जारी एक बयान में दी। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में किए गए जीएसटी सुधारों ने व्यापार जगत, उद्योगों और कारीगरों के लिए नई ऊर्जा दी है। कर दरों में की गई कमी से उत्पाद सस्ते हुए हैं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत और व्यापारियों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिला है। इन सुधारों से आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में मध्य प्रदेश अग्रसर हो रहा है।” इंदौर नमकीन उद्योग जनसम्पर्क अधिकारी संतोष मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि इंदौर सेंव, लौंग सेंव, मिक्सचर और चिवड़ा जैसे उत्पादों का जीआई टैग प्राप्त केंद्र इंदौर, लगभग 01 लाख प्रत्यक्ष और 2.5 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार देता है। इसका निर्यात मध्य पूर्व, ब्रिटेन और अमेरिका तक होता है। नमकीन पर जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से उत्पादों में 6-7 फीसद तक सस्ती होने की प्रवृत्ति देखी गई है। इससे घरेलू बिक्री में वृद्धि और निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हुआ है। कृषि मशीनरी उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य होने के साथ कृषि-मशीनीकरण का प्रमुख केंद्र भी है। इंदौर, भोपाल, देवास, ग्वालियर, उज्जैन और विदिशा में एमएसएमई क्लस्टर द्वारा सीड ड्रिल, थ्रेशर, हार्वेस्टर और सिंचाई पंप बनाए जाते हैं। यहां लगभग 25,000 श्रमिक प्रत्यक्ष और 60,000 लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। ट्रैक्टर, पंप और उपकरणों पर जीएसटी 12/18 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से उपकरणों की लागत में 7 से 13 फीसद तक की गिरावट आने की उम्मीद है। माहेश्वरी साड़ियां जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार, खरगोन जिले का महेश्वरी हथकरघा क्षेत्र 2,600 करघों पर लगभग 8,000 बुनकरों को रोजगार देता है, जिनमें महिलाएं मुख्य भूमिका निभाती हैं। विशिष्ट उलटी किनारी (बुगड़ी) वाली माहेश्वरी साड़ियां 2010 से जीआई टैग प्राप्त हैं और यूरोप व अमेरिका तक निर्यात होती हैं। वस्त्र उत्पादों पर जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से ये साड़ियां लगभग 6% सस्ती होने की उम्मीद है, जिससे घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में मांग बढ़ेगी। गोंड चित्रकलाएं इसी तरह मंडला, डिंडोरी, उमरिया और सिवनी में बनने वाली गोंड चित्रकलाएं 2015 से जीआई टैग प्राप्त हैं। ये लोककथाओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित होती हैं। जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से इन कलाकृतियों में लगभग 6 फीसद कीमत कमी आई है, जिससे कलाकारों को ई-कॉमर्स और निर्यात बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिला है। लकड़ी के लाख के खिलौने जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि मुख्य रूप से बुधनी (सीहोर), उज्जैन और ग्वालियर में तैयार यह पारंपरिक शिल्प 2,000-2,500 कारीगरों को रोजगार देता है। जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से कीमतों में 6 फीसद तक कमी आई है, जिससे ये पर्यावरण-अनुकूल खिलौने प्लास्टिक के विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं। जापान और यूरोप जैसे निर्यात बाजारों में इनकी मांग बढ़ी है टेराकोटा और मिट्टी के शिल्प उन्होंने बताया कि मंडला, बैतूल, उज्जैन और टीकमगढ़ में 5,000-6,000 ग्रामीण कारीगर, ज्यादातर महिलाएं, टेराकोटा खिलौनों और सजावटी वस्तुओं का निर्माण करती हैं। जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से ये उत्पाद लगभग 6 फीसद सस्ते हुए हैं, जिससे त्योहारी सीजन में बिक्री में वृद्धि हुई है। बेल मेटल और डोकरा शिल्प इसी तरह बैतूल और बालाघाट के आदिवासी क्षेत्रों में 5,000 कारीगर डोकरा कला में कार्यरत हैं। जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से उत्पादों की कीमत में 6 फीसद की कमी आई है, जिससे मशीन निर्मित मूर्तियों के मुकाबले यह शिल्प फिर से लोकप्रिय हुआ है। टीकमगढ़, झाबुआ और अलीराजपुर में 5,000-6,000 कारीगर लाख के बर्तन और बेल धातु की वस्तुएं बनाते हैं। बेल धातु पर जीएसटी 28 फीसद से घटाकर 18 फीसद और लाख के बर्तनों पर 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से कीमतों में 6-10 फीसद की कमी आई है, जिससे घरेलू मेलों में बिक्री और निर्यात दोनों में बढ़ोतरी हुई है। बांस-बेंत के हस्तशिल्प और पीतल के बर्तन जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार, बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में हजारों जनजातीय परिवार बांस-बेंत के शिल्प में लगे हैं। लगभग 12,000 प्रत्यक्ष और 25,000 अप्रत्यक्ष महिला कारीगरों को काम मिला है। जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से इन उत्पादों में 6 फीसद की कीमत कमी आई है, जिससे इको-फ्रेंडली उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन मिला है। टीकमगढ़, छतरपुर और बैतूल के पीतल उद्योगों में वंशानुगत कारीगर पारंपरिक बर्तन और दीपक बनाते हैं। जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से कीमतों में लगभग 6 फीसद की कमी आई है, जिससे कारीगरों को स्टील और एल्युमिनियम से प्रतिस्पर्धा में राहत मिली है। सीमेंट उद्योग और बलुआ पत्थर उद्योग सतना, कटनी, दमोह और रीवा जैसे केंद्रों के कारण मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक है। यहां लगभग 50,000 प्रत्यक्ष और 2 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार हैं। जीएसटी 28 फीसद से घटाकर 18 फीसद करने से प्रति 50 किलो बैग में ₹25-30 की कीमत कमी हुई है। इससे निर्माण और आवास क्षेत्र को बढ़ावा मिला है। वहीं, ग्वालियर, शिवपुरी और टीकमगढ़ के केंद्रों में 25,000-30,000 श्रमिक कार्यरत हैं। जीएसटी 28 फीसद से घटाकर 18 फीसद करने से स्लैब और टाइल्स 8 फीसद सस्ती हुई हैं, जिससे निर्माण और निर्यात को बढ़ावा मिला है। देवास, इंदौर और ग्वालियर के क्लस्टर में 40,000 प्रत्यक्ष और 1.2 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार हैं। ₹2,500 तक के जूतों पर जीएसटी 18 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने से 11 फीसद कीमत कमी हुई है, जिससे कारीगरों की आमदनी बढ़ी है और जूता उद्योग को नई प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिली है। उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने कहा कि जीएसटी सुव्यवस्थीकरण से मध्य प्रदेश को घरेलू स्नैक्स, साड़ियां, आदिवासी शिल्प, सीमेंट, बलुआ पत्थर और जूते-चप्पल तक हर क्षेत्र में व्यापक लाभ हुआ है। लागत घटने से कारीगरों को सहयोग, एमएसएमई को मजबूती और घरेलू व वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हुआ है। महेश्वर के बुनकरों, मंडला के कलाकारों, सतना के सीमेंट कर्मियों और देवास के जूता निर्माताओं तक, यह सुधार ग्रामीण और शहरी आजीविका को नई दिशा दे रहा है।
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नई दिल्ली । दिल्ली के छतरपुर स्थित कात्यायनी शक्ति पीठ से शुक्रवार को बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा 2025 शुरू हुई। यह पदयात्रा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर तक जाएंगी। 10 दिन की यह पदयात्रा दिल्ली, हरियाणा से गुजरते हुए उत्तर प्रदेश के वृंदावन में 16 नवंबर को संपन्न होगी।बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने पदयात्रा प्रारंभ करते हुए कहा कि आज दिल्ली में लाखों सनातनी हिंदू एकता व हिंदू राष्ट्र के लिए सड़कों पर हैं, यह देश एक नया अध्याय लिख रहा है। यह एक वैचारिक यात्रा है। इसमें सनातनियों को एक करने के लिए, हिंदुओं को जगाने लिए, हिंदुओं को जागरूक करने व सामाजिक समरसता के लिए यह पदयात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि जब तक भारत हिंदू राष्ट्र नहीं बनेगा, तब तक यह यात्राएं निकाली जाएंगी।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना तभी पूर्ण होगी, जब आम जनमानस एकजुट होकर यही आवाज लगाए। हम कागजों पर हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि विचारों में हिंदू राष्ट्र चाहते हैं, इसलिए दिल्ली की शक्तिपीठ से वृन्दावन की भक्ति नगरी यह पदयात्रा निकल रही है।दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा इस यात्रा की शुभारंभ में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट पर इसे साझा करते हुए कहा कि यह पदयात्रा सनातन संस्कृति की आत्मा को पुनः जाग्रत करते हुए पूरे देश में एकता, श्रद्धा और आध्यात्मिक चेतना का संदेश देगी। उन्होंने कहा कि इस आध्यात्मिक यात्रा के माध्यम से हमारे आस्था और एकत्व के संस्कार पुनः पुष्ट हो रहे हैं। इसमें शामिल होना एक अत्यंत अलौकिक और भावनात्मक अनुभव रहा। मुख्यमंत्री ने श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को दिल्ली से ब्रजभूमि तक इस पावन ‘सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा’ के सफल संपादन के लिए शुभकामनाएं दी।कपिल मिश्रा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि बाबा बागेश्वर धाम सरकार के पावन सानिध्य में दिल्ली से वृंदावन तक आरंभ हुई सनातन एकता पदयात्रा- यह केवल कदमों की चाल नहीं, आस्था और विश्वास की पुकार है, संस्कृति के संरक्षण और सनातन एकता के पुनर्जागरण का महायज्ञ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का इस पदयात्रा में सम्मिलित होना, यह प्रमाण है कि जब शासन और सनातन संस्कार एक पथ पर चलते हैं, तब संस्कृति अमर होती है, और राष्ट्र मजबूत बनता है।
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