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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज बुधवार को दमोह में चुनावी दौरा करने वाले थे। लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनावी दौरा रद्द कर दिया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मेरा दमोह में चुनावी रोड शो था। लेकिन मुझे कोरोना संक्रमण के लिए आपात व्यवस्था करनी थी, इसलिए नहीं गया। मैं दमोह की जनता से हाथ जोडक़र क्षमा चाहता हूं। दमोह के विकास में कोई कसर नहीं छोडूंगा। सीएम शिवराज ने एक वीडियो संदेश जारी कर दमोह की जनता से अपील की है। उन्होंने कहा है कि दमोह विधानसभा के मेरे प्रिय भाइयों-बहनों, भांजे और भांजियों, आज मैं आपके बीच रोड शो के माध्यम से दमोह आ रहा था, लेकिन कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। संकट विकट है, मुझे कई व्यवस्थाएं करनी है। उन्होंने कहा कि लोगों के प्राण बचें, इसलिए ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर इंजेक्शन तथा अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाएं, जो इस समय जनता का जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, की व्यवस्थाओं में मैं लगा रहूंगा। इसलिए आज चुनाव प्रचार के लिए आपके बीच नहीं आ पा रहा हूं। सीएम शिवराज ने दमोह की जनता से प्रार्थना करते हुए कहा कि मेरी आपसे प्रार्थना है कि भले ही मैं रोड शो में न आ पाऊं, लेकिन आप मानिये कि मैं आपका हूं, आपके बीच में ही हूं, आप भाजपा को भारी मतों से विजयी बनायें। मैं दमोह के सम्पूर्ण विकास का आपको वचन देता हूं।
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भोपाल। देश आज 'भारत रत्न' भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती मना रहा है। भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू में हुआ था। भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है, आज़ादी के बाद वे देश के पहले कानून एवं न्याय मंत्री बने। 31 मार्च 1990 को उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इस खास मौके पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाबासाहेब अंबेडकर को नमन किया और समाज के वंचित वर्ग के लिए उनके संघर्ष को सलाम किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में लिखा, भाग्य में नहीं, अपनी शक्ति में विश्वास रखो- डॉ.भीमराव अम्बेडकर। संविधान शिल्पी, श्रद्धेय बाबा साहेब जी की जयंती पर कोटिश: नमन! कमजोर वर्ग के उत्थान व कल्याण के लिए आजीवन संकल्पित प्रयास करने वाले भारत रत्न के सपनों के सशक्त,समर्थ भारत के निर्माण के स्वप्न को हम सब साकार करेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपने ट्वीट में कहा ‘भारतीय संविधान के निर्माता, सामाजिक समरसता के प्रणेता, भारत रत्न डा.भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर उन्हें कोटि - कोटि प्रणाम। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बाबा साहेब को जयंती पर नमन करते हुए कहा ‘मानसिकता का विकास मानव अस्तित्व का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए-डॉ.अम्बेडकर। संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रणेता भारत रत्न बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन। दलित समाज के उत्थान में उनका अतुलनीय योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
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भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बीच चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं और मौतों को लेकर कांग्रेस सरकार पर आक्रामक हो गई है। प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी और रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मचे घमासान के बाद कांग्रेस विधायक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुहार लगाते हुए गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए हैं। कांग्रेस के मौन धरने पर भाजपा नेता हितेष वाजपेयी ने तंज कसा है। साथ ही उन्होंने कांग्रेस नेताओं की तुलना गिद्धों से करते हुए बड़ी बात कही है। भाजपा नेता हितेष वाजपेयी ने ट्वीट कर कांग्रेस विधायकों के धरने पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना महामारी से लगी आग में अफवाहों का घी डालते कांग्रेस के निकम्मे विधायक जिन्हें लोगों की मदद करना चाहिये? कांग्रेस के नेता ऑक्सीजन ख़त्म होने की और डॉ. की लापरवाहियों की अफवाह उड़ा रहे हैं? पहचानीये इन चेहरों को! इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस नेताओं द्वारा श्यमसान घाट की फोटो और वीडियों साझा करने पर उनकी तुलना गिद्धों से करने और आपदा में अवसर तलाशने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता जानबूझकर जलती लाशों और शमशान के वीडियो बनाकर आम लोगों में \"राजनैतिक-अराजकता) के लिए दहशत फैला रहें हैं ? आपदा में अवसर तलाशते गिद्ध। बता दें कि मध्यप्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी, रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति व सरकार द्वारा इस संबंध में निरंतर बोले जा रहे वक्तव्यों को लेकर कांग्रेस के विधायक व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, आरिफ मसूद और कुणाल चौधरी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से \" हमारी सांसे बचा लो \" की गुहार लगाते हुए भोपाल में मिंटो हॉल स्थित गांधी प्रतिमा पर मौन धरने पर बैठ गए हैं।
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भोपाल। भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को है। बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर को संविधान की रचना के साथ-साथ सामाजिक समानता और समरसता के लिए उनके द्वारा किये गए कार्यों और प्रयासों के लिए भी जाना जाता है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वर्तमान समय में बाबा साहेब अम्बेडकर के संविधान के साथ-साथ समानता और समरसता पर भी गंभीर संकट आ खड़ा हुआ है। एक दल विशेष के लोग संविधान की धज्जियाँ उड़ाते हुए जहाँ लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं, वहीं लोगों को जाति, धर्म और समुदाय में बांटकर अम्बेडकर जी के समानता और समरसता के मार्ग को भी समाप्त कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देशानुसार बाबा साहेब अम्बेडकर के आदर्शों और सिद्धांतों को आगे बढाने का संकल्प लेते हुए उनके 130 वें जन्मदिन पर कांग्रेस ने सभी जिला मुख्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने सभी जिला इकाइयों से आग्रह किया है कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की जयंती को कोविड-19 के दिशानिर्देशों एवं संक्रमण के रोकथाम के लिये स्थानीय प्रशासन द्वारा लिये निर्णयों का पालन सुनिश्चित करते हुये कार्यक्रम आयोजित करें।
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राजेश अग्रवाल- हंसमुख, मृदुभाषी लेकिन समय-समय पर कटाक्ष कर आईना भी दिखाने वाले प्रदीप आर्य pradeep arya भाई का आज दोपहर करीब तीन बजे कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया। खबर सुनकर व्यथित हूं। करीब तीन दशक का साथी रहा। हमने साथ-साथ लोकस्वर से काम शुरू किया और करीब 10 साल देशबन्धु में साथ रहे। रिपोर्टिंग और सम्पादन में निपुण होते हुए भी उनका एकमात्र लगाव कार्टून की ओर रहा। 90 के दशक में जब उन्होंने कार्टून बनाना शुरू किया तो जाहिर है, धार की कमी थी। मेरी आलोचना के शिकार हुआ करते थे। कई मौके आये जब किसी विषय पर बनाये गये कार्टून को बार-बार सुधारने कहा, फिर पेज पर जगह दी जा सकी। अपनी आलोचना का कभी बुरा नहीं माना और हमेशा खुद को परिष्कृत करते रहे। उन्हें तनख्वाह रिपोर्टिंग और डेस्क की मिलती थी पर पहचान कार्टून की वजह से थी। इन दिनों न केवल स्थानीय विषयों पर बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर उनके कार्टून देखकर मैं हैरान होता रहा। कोरोना संक्रमण पर तो उन्होंने कई शानदार कार्टून बनाये। कुछ दिन पहले ही तेज धार, गहरी चोट वाले कार्टून तैयार करने पर मैंने उसे बधाई दी थी। सब साथी देशबन्धु छोड़कर अपनी-अपनी अलग राह निकल गये लेकिन उन्होंने वहां करीब 30 साल काम किया। बीते साल ही उन्होंने इस अख़बार से विदाई ली थी। कहा था- मायूसी के साथ छोड़ा, वजह की बात रहने दें। खैर, उनके मित्र दूसरे अख़बारों में बैठे हुए हैं। जो कभी साथ काम करते थे। इन दिनों रोजाना लोकस्वर में उनका कार्टून छप रहा था। सम्पादकीय पन्ने पर अब आपको उनके रेखाचित्र नहीं दिखेंगे। करीबी दोस्तों को पता है कि वे युवावस्था से ही आंख की बीमारी से जूझते रहे। बड़ी, फिर और बड़ी लैंस का चश्मा लगता रहा। वे काम करते-करते हर घंटे, आधे घंटे में चश्मा उतारकर आंखों से निकले पानी को पोंछते थे। आंखों की हिफाजत के लिये कई बार उन्हें चेन्नई, चंडीगढ़ जाकर भर्ती होना पड़ा। पर इस शारीरिक पीड़ा को उन्होंने कभी रोड़ा नहीं माना। खुशमिजाजी कम नहीं हुई। आंखें कमजोर थी मगर दृष्टि बड़ी तीखी थी। इसका प्रतिबिम्ब उनके कार्टून में दिखाई देता है। अपनी स्कूटर में अक्सर प्रदीप को घुमाने ले जाने वाले सहकर्मी, हमारे व्यंग्य कार मित्र अतुल खरे कह रहे थे कि खबर सुनकर स्तब्ध हूं। लग रहा है जैसे मेरे जिस्म का एक हिस्सा मुझसे अलग हो गया। विडम्बना ही कहूंगा कि मेरे घर से सिर्फ 50 कदम के भीतर वह आरबी अस्पताल है जहां प्रदीप ने अंतिम सांसें लीं, मगर न मैं उसका चेहरा देख पाया, न कांधा दे सका। मना किया गया। आपदा ही कुछ ऐसी है। प्रदीप भाई के परिवार को साहस, संबल मिले। हम सदा साथ हैं। दैनिक अखबारों में नियमित छपने वाले बिलासपुर के पहले कार्टूनिस्ट को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। प्रदीप के साथ बरसों काम किये वरिष्ठ पत्रकार राजेश अग्रवाल की फेसबुक वाल से।
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Vinod Sirohi- कभी कभी कहानी बिल्कुल बदल जाती है। मुख्तार नाम का अपराधी हत्यारा और अपहरणकर्ता रहा है। वाराणसी पोस्टिंग के वक्त पुलिस लाइन में हमारा आफिस था उसके सामने वो विडो रहती थी जिसके पति हेडकांस्टेबल की हत्या पुलिस लाइन में मुख्तार ने की। ऐसा लोग बताते थे। इस अपराधी ने दो डिप्टी जेलर और तीन पुलिस वाले की हत्या कराई है। कोयला व्यापारी रूंगटा का अपहरण फिरौती के लिए और हत्या की। आज इसकी पत्नी अपने पति की जिंदगी की खैर मांगती है। पंजाब के मुख्यमं… से सेटिंग कर यह व्यक्ति पंजाब में बिल में घुस गया था। इन पूर्वांचल के अपराधियों के लिए आदमी गाजर मूली की तरह है। यह एक फौजी से एलएमजी खरीद रहा था। इंटरसेप्शन से भांडा फूटा। एसटीएफ के डिप्टी एसपी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने मुख्तार को मुलजिम बनाया तो उन पर मुख्तार को बचाने का दबाव हुआ। लेकिन न झुकते हुए त्यागपत्र दे दिया। उन पर उल्टा केस किया गया और जेल भेजा गया। आज वो केस वापस हुआ है। आज शैलेन्द्र कुमार सिंह पर मुकदमा वापस हुआ। मैंने आज तक इस तरह की मांग नहीं की मगर पहली बार मेरी मांग है कि शैलेन्द्र जी को नौकरी में प्रोन्नति सहित लाया जाए। बात सिर्फ शैलेन्द्र सिंह की नहीं इस राह पर चलने की भी है। किसी जाति धर्म या क्षेत्र के नाम पर आप किसी अपराधी को सपोर्ट नहीं कर सकते। लेकिन धर्म और जाति पर था सपोर्ट। ऐसा नहीं हुआ होता तो मुख्तार को राजनीतिक पार्टियां गले नहीं लगाती । जिन्होंने अलग-अलग समय पर ऐसा किया अगर कानून व्यवस्था की बात करते हैं तो लोग आज विश्वास नहीं करते , कथन और कर्म दोनों को देखा जाता है। अपने अच्छा करने के सौभाग्य अवसर को खुदके दुर्भाग्य में परिवर्तित कर लिया निम्नस्तरीय अपराधियों को जनप्रतिनिधि तक बनाकर। ऐसे अपराधियों का बहुत बड़ा स्तेमाल होता था बूथ कैप्चरिंग में मगर कुछ लोगों की पूर्व योजनाएं इसलिए दम तोड़ गयीं क्योंकि EVM मशीन चुनाव आयोग ले आया तो अपराधियों का असर सीमित हो गया। हरेक को अपने गिरेबान में आज भी देखना चाहिए और पूर्व वक्त में भी। अपराधी को जाति धर्म वर्ग के आधार पर समर्थन नहीं होना चाहिए। इस कालिख में सब दोषी रोने वाले हंसने वाले अगर आप अपराधी को अपने रिश्ते के नजरिये से देखते हैं। जो अपने को आज विक्टिम समझें वो भी और जो अपने को विक्टिम समझते थे वो भी अपना आंकलन करें। उस निम्न स्तरीय बचकानी सोच में मैं साझी नहीं। मेरा शैलेन्द्र जी से नाता नहीं रिश्ता नहीं और परिचय नहीं। लखनऊ में था 2008 में तब किसी मामले में इन्हें दुष्प्रचारित करने का एक अवसर आया था। मेरा कोई परिचय नहीं था। मैंने साफ तौर पर इंकार कर दिया। मैंने हाल में इनका नंबर वाराणसी से लेकर बातचीत की थी। ये आजकल आर्गेनिक खेती कर रहे हैं लखनऊ में। कई लोग निर्णय के नुकसान पर प्रवचन देते हैं। ऐसे लोगों को देश पर शहादत भी बचकानी और औचित्यहीन लगती है। यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी विनोद सिरोही की एफबी वॉल से.
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उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां एक बार फिर संदिग्ध परिस्थितियों में एक बाघ की मौत हो गई। यह जानकारी मंगलवार को क्षेत्र संचालक विन्सेंट रहीम ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि 12 अप्रैल को सुबह 8.30 बजे गोबरा ताल पेट्रोलिंग कैंप के गशती श्रमिक को जनाड नदी में गोबराताल बीट के कक्ष क्रमांक 336 में बडखेरा बीट की सीमा में झाड़ियों के पास एक नर बाघ का शव दिखाई दिया। जिसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। बीट गार्ड और परिक्षेत्र अधिकारी मानपुर मौके पर पहुंचे और सूचना सभी अधिकारियों को दी और क्षेत्र को सील किया गया। डॉग स्क्वाड को बुलाकर आसपास के क्षेत्र का परीक्षण कराया गया। मेटल डिटेक्टर से भी शव का परिक्षण कराया गया। क्षेत्र संचालक विंसेंट रहीम, प्रभारी उप संचालक स्वरूपदीक्षित, एसडीओ मानपुर अभिषेक तिवारी और एनटीसीए के प्रतिनिधियों सत्येंद्र तिवारी और सी एम खरे की उपस्थिति में वन्य जीव सहायक शल्यज्ञ डॉक्टर नितिन गुप्ता एवं मानपुर की पशु चिकित्सक डॉ द्वारा शव का परिक्षण कराया गया। परिक्षण में पाया गया कि शव दो दिन से अधिक पुराना हैं जो गल चुका था। टीम ने जांच के लिए सैंपल ले लिए हैं। शव के शरीर पर कोई घाव या आपसी लड़ाई के चिन्ह नहीं मिले। प्रथम दृष्टया मृत्यु का कोई स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं हुआ। नर बाघ की आयु लगभग 10 वर्ष होने का अनुमान लगाया गया । शव को समस्त अवयवों सहित जलाकर पूर्णतः नष्ट किया गया।
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इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कोरोना का कहर जारी है। यहां 15 फरवरी के बाद से कोरोना के नये मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इंदौर में बीते 24 घंटों में कोरोना के 1552 नये मामले सामने आए हैं, जबकि कोरोना से छह लोगों की मौत भी हुई है। इसके बाद यहां संक्रमित मरीजों की कुल संख्या बढकऱ 80 हजार 986 और मृतकों की संख्या 1011 हो गई है। इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस सैत्या ने मंगलवार को बताया कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा सोमवार देर रात 5206 सेम्पलों की जांच रिपोर्ट जारी की गई। इनमें 1552 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए, जबकि शेष लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई। इन नये मामलों के साथ जिले में अब संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 80 हजार 986 हो गई है। वहीं, इंदौर में बीते 24 घंटों में कोरोना से छह मरीजों की मौत की पुष्टि हुई है। अब यहां मृतकों की संख्या 1011 हो गई है। हालांकि, यहां बीते 24 घंटे में 213 मरीज स्वस्थ हुए हैं। यहां अब तक 71 हजार 519 मरीज कोरोना को मात देकर अपने घर पहुंच गए हैं, लेकिन नये मामले अधिक संख्या में मिलने से यहां सक्रिय मरीज बढकऱ 8384 हो गए हैं, जिनका विभिन्न अस्पतालों और घरेलू एकांतवास में उपचार जारी है। बता दें कि इंदौर में फरवरी के शुरुआत में नये मामलों की संख्या 50 से नीचे पहुंच गई थी, लेकिन इसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ते हुए अब 800 के पार पहुंच गई है। इससे एक दिन पहले यहां रिकॉर्ड 898 नये संक्रमित मिले थे। लेकिन सोमवार को नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए यहां रिकार्ड 1552 मामले सामने आने के बाद प्रशासन में हडक़ंप मच गया हैं।
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अभिनेता अर्जुन कपूर के साथ अपने रिलेशनशिप को लेकर चर्चा में रहने वाली अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा की दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में मलाइका पिच कलर कि ड्रेस में बहुत सुन्दर लग रही हैं। इसके साथ ही वह एक बहुत ही ख़ूबसूरत डायमंड रिंग पहने हुए नजर आ रही हैं। खास बात यह है कि इन तस्वीरों को खुद मलाइका ने अपने इंस्टाग्राम पर फैंस के साथ साझा किया है। मलाइका की इन तस्वीरों को देख कर ज्यादातर फैंस कयास लगा रहे हैं कि मलाइका ने गुपचुप तरीके से बॉयफ्रेंड अर्जुन कपूर संग सगाई कर ली है। वैसे पता चला है कि मलाइका की ये तस्वीरें उनकी सगाई की नहीं, बल्कि ओरनाज़ ज्वेलरी के फोटोशूट की है। मलाइका ने इन तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा-' ये अंगूठी कितनी प्यारी है। मोहब्बत को भी इससे मोहब्बत है। यहां से होती है खुशियों की शुरुआत। अगर आपकी इंगेजमेंट होने वाली है तो ओरनाज़ के पेज को जरूर देखें। उनकी इंगेजमेंट रिंग्स बहुत खूबसूरत हैं। आप अपनी सगाई की अंगूठी अपने हिसाब से तैयार भी करवा सकते हैं। क्या यह अमेजिंग नहीं है?' मलाइका के इस पोस्ट पर फैंस जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
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अभिनेत्री आलिया भट्ट हाल ही में कोरोना संक्रमित पाई गई थीं, अब उन्होंने दो अप्रैल को अपनी इंस्टा स्टोरी पर पोस्ट शेयर कर फैंस को अपने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी दी।। कोरोना संक्रमित होने के बाद से वह क्वारंटीन में थीं और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रही थीं। अब अभिनेत्री की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है और उन्होंने कोरोना की जंग जीत ली है। इसकी जानकारी खुद अभिनेत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर दी। आलिया ने इंस्टाग्राम पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा-' यह वो समय है, जिसमें नेगेटिव होना अच्छी बात है।' आलिया के इस पोस्ट को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं और साथ ही बधाई देने के साथ-साथ, उन्हें सुरक्षित और अपना धयान रखने की सलाह भी दे रहे हैं। आलिया के वर्कफ्रंट की बात करें तो वह जल्द ही अयान मुखर्जी की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' में रणबीर कपूर और अमिताभ बच्चन के साथ लीड रोल में नजर आयेंगी। इसके अलावा वह एसएस राजमौली की फिल्म 'आरआरआर' और संजय लीला भंसाली की फिल्म 'गंगूबाई काठीवाड़ा' में भी मुख्य भूमिका में दिखाई देंगी।
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अनिल निगम देश में कोरोना महामारी के बढ़ते ग्राफ ने एकबार फिर लोगों को डराना शुरू कर दिया है। विभिन्न राज्यों के महानगरों और नगरों में नाइट कर्फ्यू एवं लॉकडाउन के चलते मजदूरों में दहशत का माहौल बन रहा है। वे अपने घरों की ओर पलायन करने लगे हैं। पिछले वर्ष लगाए गए लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पांच-सात साल पीछे चली गई थी। उसका खामियाजा देश आजतक भुगत रहा है। आज हमारी स्थिति तब ज्यादा खराब हो रही, जबकि हमारे पास लड़ने का अनुभव और वैक्सीन दोनों हैं। बावजूद इसके हम बदतर स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यों के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि महामारी का समाधान लॉकडाउन नहीं है, फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब स्थिति बेकाबू होने लगेगी तो इसका अंतिम समाधान लॉकडाउन ही है। और अगर ऐसा होता है तो देश की अर्थव्यवस्था पुन: चौपट हो जाएगी। सवाल यह नहीं है कि संपूर्ण देश में लॉकडाउन होगा अथवा नहीं। अहम प्रश्न यह है कि इसबार संक्रमण की लहर सरपट क्यों दौड़ रही है? क्या कोरोना संक्रमण की दर बढ़ने के लिए केवल नया स्ट्रेन जिम्मेदार है? संक्रमण बढ़ने के लिए और कौन से कारक जिम्मेदार हैं? यह तय है कि अगर हम अब भी नहीं चेते तो भारत में सिर्फ संक्रमण और मौतों का आंकड़ा ही नहीं बढ़ेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को एकबार फिर बहुत बड़ा पलीता लग जाएगा। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने अपने हालिया शोध में कहा है कि वायरस का नया वैरिएंट अथवा स्ट्रेन आ चुका है। इसके मामले दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में पाए गए हैं। ब्रिटेन और अफ्रीका से आए नए स्ट्रेन का फैलाव बहुत तेजी से हो रहा है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि देश में सक्रिय वायरस में म्युटेशन के चलते लगातार उसमें बदलाव चल रहा है। इसके अलावा पूर्व में कोरोना से संक्रमित हो चुके 30 फीसदी लोगों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज समाप्त हो चुकी है, इसलिए एकबार संक्रमित हो चुके इन लोगों को दोबारा कोरोना हो सकता है। यही नहीं, कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी लोगों को कोरोना की चपेट में तेजी से ले रहा। जॉन हॉपकिंस मेडिसिन के विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए लोगों का बर्ताव जिम्मेदार है। पिछले वर्ष के लॉकडाउन ने भारत में कोविड-19 महामारी की रफ्तार धीमी कर दी थी। लोगों ने भी कोरोना प्रोटोकॉल को अपनाते हुए मास्क पहने, दो गज की दूरी बनाई और नियमित तौर पर हाथों को सफाई करते रहे। इसके चलते हम कोरोना से निपटने में कारगर रहे। लेकिन यह भी सच है कि वैक्सीन आने और कोरोना संक्रमण के आंकड़ों के कम होने के बाद लोगों ने मास्क से दूरी बना ली और फिजीकल डिस्टैंसिंग को ताक पर रख दिया। शादी-विवाह और अन्य सामाजिक समारोहों में असीमित संख्या और मानकों के पालन में लापरवाही के चलते स्थिति खराब होने लगी। ऐसा नहीं है कि इसके लिए सिर्फ आम आदमी ही जिम्मेदार है। पहले किसान आंदोलनों में बिना मास्क के आंदोलनकारी और बाद में विभिन्न राज्यों में चुनाव के दौरान होने वाली रैलियों को देखकर ऐसा लगा ही नहीं कि किसी नेता या जनता को कोरोना का भय है। इस समय देशभर में स्थिति खराब हो रही है लेकिन बाजार, मंदिर और चुनावी रैलियों में देखकर नहीं लगता कि लोगों को इस महामारी की गंभीरता के बारे में कुछ समझ आ रहा है। पिछले साल जब देश में लॉकडाउन किया गया तो यातायात अचानक बंद होने के चलते सर्वाधिक परेशानी प्रवासी मजदूरों को झेलनी पड़ी थी। मजदूरों को जब खाने-पीने की परेशानी हुई तो वे पैदल अपने घरों के लिए निकल पड़े थे। लेकिन जब फैक्टरी शुरू हुई तो मजदूर काफी मशक्कत के बाद शहरों को वापस लौटे थे। अब एकबार फिर कोरोना के मामले बढ़ने पर सख्ती शुरू हुई तो प्रवासी मजदूरों ने लॉकडाउन के भय से पलायन शुरू कर दिया है। जैसे-जैसे प्रवासी मजदूर अपने घरों को जा रहे हैं, उद्यमियों के माथे पर बल पड़ना शुरू हो गए हैं। निस्संदेह, अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए सरकार देश में फिर से लॉकडाउन की स्थिति में नहीं है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन करने से परहेज कर रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि अगर महामारी का संक्रमण ऐसे ही तेजी से दौड़ता रहा तो सरकारों के पास लॉकडाउन के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा। यह बात भी सोलह आने खरी है कि यदि देश में एक-दो महीने का लॉकडाउन करना पड़ा तो देश की अर्थव्यवस्था एकबार फिर पांच से सात साल पीछे चली जाएगी। (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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डॉ. वेदप्रताप वैदिक अन्तरराष्ट्रीय राजनीति का खेल कितना मजेदार है, इसका पता हमें चीन और अमेरिका के ताजा रवैयों से पता चल रहा है। चीन हमसे कह रहा है कि हम अमेरिका से सावधान रहें और अमेरिका हमसे कह रहा है कि हम चीन पर जरा भी भरोसा न करें। लेकिन मेरी सोच है कि भारत को चाहिए कि वह चीन और अमेरिका, दोनों से सावधान रहे। आँख मींचकर किसी पर भी भरोसा न करे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार 'ग्लोबल हेरल्ड' ने भारत सरकार को अमेरिकी दादागीरी के खिलाफ चेताया है। उसने कहा है कि अमेरिकी सातवें बेड़े का जो जंगी जहाज 7 अप्रैल को भारत के 'अनन्य आर्थिक क्षेत्र' में घुस आया है, यह अमेरिका की सरासर दादागीरी का प्रमाण है। जो काम पहले उसने दक्षिण चीनी समुद्र में किया, वह अब हिंद महासागर में भी कर रहा है। उसने अपनी दादागीरी के नशे में अपने दोस्त भारत को भी नहीं बख्शा। चीन की शिकायत यह है कि भारत ने अमेरिका के प्रति नरमी क्यों दिखाई ? उसने इस अमेरिकी मर्यादा-भंग का डटकर विरोध क्यों नहीं किया ? चीन का कहना है कि अमेरिका सिर्फ अपने स्वार्थों का दोस्त है। स्वार्थ की खातिर वह किसी भी दोस्त को दगा दे सकता है। उधर अमेरिकी सरकार के गुप्तचर विभाग ने अपनी ताजा रपट में भारत के लिए चीन और पाकिस्तान को बड़ा खतरा बताया है। उसका कहना है कि चीन आजकल सीमा-विवाद को लेकर भारत से बात जरूर कर रहा है लेकिन चीन की विस्तारवादी नीति से ताइवान, हांगकांग, द.कोरिया और जापान आदि सभी तंग हैं। वह पाकिस्तान को भी उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। भारत की मोदी सरकार पाकिस्तानी कारस्तानियों को शायद बर्दाश्त नहीं करेगी। यदि किसी आतंकवादी ने कोई बड़ा हत्याकांड कर दिया तो दोनों परमााणुसंपन्न पड़ोसी देश युद्ध की मुद्रा धारण कर सकते हैं। चीन की कोशिश है कि वह भारत के पड़ोसी देशों में असुरक्षा की भावना को बढ़ा-चढ़ाकर बताए और वहां वह अपना वर्चस्व जमाए। वह पाकिस्तानी फौज की पीठ तो ठोकता ही रहता है, आजकल उसने म्यांमार की फौज के भी हौसले बुलंद कर रखे हैं। उसने हाल ही में ईरान के साथ 400 बिलियन डाॅलर का समझौता किया है और वह अफगान-संकट में भी सक्रिय भूमिका अदा कर रहा है जबकि वहां भारत मूकदर्शक है। अब अमेरिका ने घोषणा की है कि वह 1 मई की बजाय 20 सितंबर 2021 को अपनी फौजें अफगानिस्तान से हटाएगा। ऐसी हालत में भारत के विदेश मंत्रालय को अधिक सावधान और सक्रिय होने की जरूरत है। हमारे विदेश मंत्री डाॅ. जयशंकर पढ़े-लिखे विदेश मंत्री और अनुभवी कूटनीतिज्ञ अफसर रहे हैं। विदेश नीति के मामले में जयशंकर यदि कोई मौलिक पहल करेंगे तो भाजपा नेतृत्व उनके आड़े नहीं आएगा। (लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं।)
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