देश की ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें प्रतिबद्ध हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित सम्राट अशोक शिलालेख अब भी उपेक्षा का शिकार है। यह ऐतिहासिक धरोहर बदहाली के दौर से गुजर रही है, जिसे सुधारने के लिए प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
दखल न्यूज़ की टीम ने जब सम्राट अशोक शिलालेख स्थल का दौरा किया, तो वहां की हालत ने प्रशासन के दावों की पोल खोल दी। कैमरे में कैद हुई तस्वीरों से साफ था कि इस ऐतिहासिक स्थल पर पर्यटन सुविधाओं का नामो-निशान नहीं था। यहां ना तो रास्ते की सही व्यवस्था है, ना पीने के पानी की कोई सुविधा, और ना ही ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण और पर्यटन के दृष्टिकोण से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह स्थल, जो कि केंद्रीय संरक्षित स्मारक है, आज भी विकास की बाट जोह रहा है।
स्थानीय नागरिकों, शिक्षकों और संत महात्माओं से इस मुद्दे पर बातचीत की गई, और उन्होंने प्रशासन की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए। उनका कहना था कि मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण सम्राट अशोक शिलालेख की ऐतिहासिक महत्ता को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है।
अब यह देखना होगा कि दखल न्यूज़ की इस खबर के बाद कागजों में दौड़ रहे "गुजर्रा शिलालेख विकास" के दावों के तहत वास्तविक सुधार कब धरातल पर दिखेंगे। क्या प्रशासन इस ऐतिहासिक स्थल को वह सम्मान और सुविधाएं देगा, जिसकी यह पूरी तरह से हकदार है?