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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 70 संविधान के भाग 5 में शामिल है, जो राष्ट्रपति के कार्यों के निर्वहन से संबंधित है। यह अनुच्छेद विशेष रूप से आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति द्वारा किए जाने वाले कृत्यों का वर्णन करता है।
अनुच्छेद 70 का उद्देश्य
अनुच्छेद 70 के अनुसार, संसद ऐसे प्रावधान कर सकती है जो राष्ट्रपति के कार्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक समझे जाएं। इसका मतलब है कि यदि कोई आकस्मिक स्थिति उत्पन्न होती है, तो संसद राष्ट्रपति के कार्यों को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए नियम और प्रक्रियाएं निर्धारित कर सकती है।
संसदीय प्रक्रिया का विवरण
इस अनुच्छेद में सांसदों के बीच संसदीय प्रक्रिया और कार्यवाही से संबंधित नियमों का भी उल्लेख किया गया है। इसमें संसद के सत्र, उपस्थिति की आवश्यकता, विधियों का पालन, और आंतरिक विवादों के समाधान के तरीके शामिल हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मसौदा अनुच्छेद 57 (जो अब अनुच्छेद 70 के रूप में जाना जाता है) पर 29 दिसंबर 1948 को बहस हुई। इस मसौदे ने राष्ट्रपति को उनके कार्यों के निर्वहन के लिए अवशिष्ट शक्तियाँ प्रदान कीं। हालांकि, इस विषय पर कोई ठोस विवाद नहीं हुआ। एक सदस्य ने राष्ट्रपति के लिए अवशिष्ट शक्तियों की आवश्यकता पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि संसद को इस पर अधिकार होना चाहिए।
मसौदा समिति के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि उपराष्ट्रपति की भूमिका संविधान में विशेष रूप से बताई गई है और इसके लिए संशोधन की आवश्यकता नहीं है। अंततः, 29 दिसंबर 1948 को विधानसभा ने बिना किसी संशोधन के इस मसौदा अनुच्छेद को अपनाया।
निष्कर्ष
इस प्रकार, अनुच्छेद 70 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो राष्ट्रपति के कार्यों के निर्वहन को सुनिश्चित करता है और संसद को आवश्यक प्रावधान करने का अधिकार देता है। यह संवैधानिक प्रक्रिया की स्थिरता और प्रभावशीलता को बनाए रखने में मदद करता है।
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