Dakhal News
14 January 2025पं. विजयशंकर मेहता
कहते हैं दुनिया में 75% से अधिक लोग ऐसे हैं, जो दिन भर में दो बार झूठ बोल जाते हैं। अनेक लोग ऐसे हैं जो झूठ बोलना नहीं चाहते पर मुंह से निकल जाता है। दरअसल झूठ को समझना हो, तो पहले सत्य को जानना पड़ेगा।
अब सत्य की क्या परिभाषा है? एक का सत्य, दूसरे का असत्य हो सकता है। पिता का सत्य ये है कि बच्चे शाम को समय पर घर आएं। बच्चों का सत्य ये है कि यही तो उम्र है घूमने की। सत्य की सीधी-सी परिभाषा है कि जब हम मन, वचन, कर्म में एक हो जाते हैं, तब सत्य उतरता है, और इसका ठीक उल्टा झूठ है।
श्री राम भरत को समझाते हुए, दुष्ट लोगों की व्याख्या कर रहे थे। और उसमें उन्होंने कहा, ‘झूठइ लेना झूठइ देना, झूठइ भोजन झूठ चबेना।’ उनका झूठा ही लेना और झूठा ही देना होता है। वो भोजन भी झूठ का करते हैं, और झूठइ चबेना, यानी झूठ की आड़ में बड़ी-बड़ी डींगें मारते हैं।
श्रीराम झूठे लोगों को पसंद नहीं करते हैं। अब हमें तय करना है कि यदि हम श्रीराम के भक्त हैं, तो हमें जिन-जिन बातों से खुद को बचाना है, उसमें से एक झूठ भी है। कुछ झूठ तो हम ऐसे बोलते हैं, शायद कोई मशीन नहीं पकड़ पाए। लेकिन दो लोग तो हमारे झूठ को जानते हैं, एक हम और एक हमारा भगवान।
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27 August 2024
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