Dakhal News
19 September 2024भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, मन का बैचेन होना उसका स्वभाव है। हमारे मन को लगता है कि अगर वह अलग-अलग बातों के बारे में सोचता रहेगा तो हमें आने वाली हर मुश्किल और मुसीबत से बचा लेगा। पर ऐसा होता नहीं है। हम अपने जीवन का काफी अधिक समय सोच-विचार करके परेशान होने में निकाल देते हैं। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मन का यह स्वभाव बदलना मुश्किल जरूर है, असंभव नहीं।
अच्छा अब आप एक बात बताइए, क्या आप कौए को कह सकते हैं कि वो कांव-कांव की आवाज ना करे। या फिर क्या आप किसी मेंढक को कह सकते हैं कि वह पानी देखते ही ऊंची छलांग ना मारे? हमारे मन का भी कुछ ऐसा ही है। जीवन में कुछ भी होता है, अच्छा या बुरा, हमारा मन उस पर कांव-कांव-कांव करने लगता है। ‘कांव-कांव’ से मेरा मतलब है चिंता करना, व्याकुल होना। कोई बुरी बात होती भी नहीं है और मन परेशानी की ऊंची-ऊंची लपटें लेने लगता है। कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि हममें से कई लोग सिर्फ परेशान होने के लिए जीते हैं। सारी परेशानी, पीड़ा, दुविधा अक्सर हमारी मन की बनाई हुई कहानियां होती हैं।
भगवान श्रीकृष्ण हमें हमारे मन को शांत और स्थिर करने के लिए दो उपाय देते हैं- पहला, ध्यान लगाना या मेडिटेट करना। दूसरा, वैराग्य भाव सीखना। अब ध्यान या मेडिटेशन शब्द सुनते ही आप में से कई लोग कहेंगे कि आप आंख बंद कर सांसें अंदर-बाहर नहीं ले सकते। यहां हम सब गलती कर बैठते हैं। मेडिटेशन या ध्यान का मतलब सिर्फ आंख बंद कर बैठना नहीं होता। मेडिटेशन का मतलब होता है अपना पूरा ध्यान किसी चीज पर लगाना और उसे हटने नहीं देना। अगर आप रोटी बना रहे हैं तो सिर्फ उस बात पर ध्यान दीजिए। अगर आप पिक्चर देख रहे हैं तो अपना पूरा ध्यान पिक्चर पर लगाएं। यह मत सोचिए कि पिक्चर देखकर आप अपना कितना वक्त बर्बाद कर रहे हैं। जब आप जीवन के हर छोटे-बड़े काम को पूरे ध्यान से करते हैं तो आपका जीवन ही एक मेडिटेशन बन जाता है। ऐसे जीवन में शांति, स्थिरता, साहस और सफलता का होना अनिवार्य है।
वैराग्य भाव दूसरा उपाय। वैराग्य का अर्थ यह नहीं कि आप सब कुछ छोड़ कर जंगल में जाकर बैठ जाएं। वैराग्य का सच्चा अर्थ है कि आप जो काम कर रहे हैं उसका क्या नतीजा या रिजल्ट निकलेगा उसकी चिंता ना करें। जैसे अगर आपने कोई इंटरव्यू दिया। आप यह कर सकते हैं कि पूरे मन से तैयारी करें और अपना बेस्ट दे कर आ जाएं। वह नौकरी मिलना या ना मिलना आपके हाथ में नहीं है। इस नतीजे के पीछे अलग-अलग चीजें हैं जो आपके बिल्कुल कंट्रोल में नहीं। तो जिस चीज के बारे में आप कुछ कर नहीं सकते, उसके बारे में चिंता भी ना करें। यही वैराग्य का सच्चा मतलब होता है। और यही है भगवान श्री कृष्ण का दूसरा उपाय मन को चिंता की लपटों से बचाने का।
याद रखिए, आप पूरे के पूरे इंसान हैं। समझदारी संयम और कुशलता से भरे इंसान। आपका मन जब भी कौए की तरह अलग-अलग बातों पर आपको परेशान करने लगे, तब अपने मन को भी प्यार से समझाइए और शांत कर लीजिए। बस अपने ऊपर विश्वास रखिए कि आप कभी अपना बुरा नहीं होने देंगे
Dakhal News
26 August 2024
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.
Created By: Medha Innovation & Development
|