पेशेवर ‘ब्रेकर्स’ के साथ भारत दमखम दिखा सकता है
India can show its strength

साधना शंकर 

ब्रेक डांस के बारे में सोचें और दिमाग में कई फिल्में आ जाएंगी। एक्रोबेट दिखाते हुए, तालमेल से भरे तेज डांस मूव और पीछे से तेज आवाज...। पेरिस ओलिम्पिक समाप्त हो चुके हैं। लेकिन इस बार एक ही नई खेल विधा का आधिकारिक रूप से पदार्पण हुआ, वो थी ‘ब्रेकिंग।’

नृत्य की ये विधा दुनियाभर में प्रतिस्पर्धी खेल बनकर इतिहास कायम कर रही है। टोक्यो ओलिंपिक में हमने तीन नए खेल देखे थे- बाइक मोटरक्रॉस या बीएमएक्स, 3v3 बास्केटबॉल और स्केटबोर्डिंग।

बीते आठ सालों में ओलिंपिक में शामिल हुए चारों नए खेल शहरी हैं और युवा पीढ़ी से ताल्लुक है। ओलिम्पिक कमेटी विविधता लाने के लिए खेलों का विस्तार कर रही है ताकि युवाओं के साथ जुड़ सके और उन्हें आकर्षित कर सकें।

ब्रेकिंग विधा 1970 के दशक में न्यूयॉर्क के ब्रोंक्स क्षेत्र में उभरी, जो मुख्य रूप से अफ्रीकी-अमेरिकी इलाका था। यह सामाजिक नृत्य पर आधारित एक सांस्कृतिक गतिविधि थी और सामुदायिक आयोजनों में इसकी शुरुआत हुई थी।

इसमें सहजता मुख्य थी, और पृष्ठभूमि में हिप-हॉप ध्वनि, लुभावने जोरदार मूव के साथ हर नर्तक एक-दूसरे से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करता। ज्यों-ज्यों ये विधा आगे बढ़ी, इसने अलग-अलग समुदायों की विरासत के साथ अगल-अलग स्रोतों से डांस मूव और तालमेल को साथ जोड़ा, इसमें मार्शल आर्ट्स, जिमनास्टिक आदि थे। समूह एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने लगे और 1990 के दशक से ‘बैटल ऑफ द ईयर’ और ‘फ्रीस्टाइल सेशन’ जैसी अंतरराष्ट्रीय ब्रेकिंग स्पर्धा शुरू हो गईं।

‘ब्रेकिंग’ के लिए सिर्फ स्वस्थ शरीर और उपकरण के तौर पर संगीत चाहिए होता है। ओलिम्पिक खेल के तौर पर इसकी मान्यता से दुनियाभर में नए अवसर खुल चुके हैं। किसी पेशेवर उपकरण की जरूरत नहीं होने से यह सभी के लिए सुलभ और पहुंच में होगी और विभिन्न आर्थिक वर्ग के लोग इसकी तरफ आकर्षित होंगे।

यह नृत्य खेल, खेलों की आमतौर पर छवि जैसे भागना, कूदना, तैरना या गुलाटियां मारने को भी बदलकर रख देगा। यह खेल के मैदान में संगीत, अलग-अलग तरह की टेक्नीक और नए-नए डांस मूव लेकर आएगा। ब्रेकिंग जहां एथलेटिक भी है, तो इसमें नया गढ़ने की गुंजाइश भी है, जिससे यह खेल देखने में रुचिकर और रोमांचक भी लगता है।

पेरिस में ब्रेकिंग स्पर्धा में 16 देशों ने हिस्सा लिया था। इसे तकनीक, संगीतमयता, डांस मूव की रेंज और मौलिकता जैसे मानदंडों पर आंका गया। वहीं तुलनात्मक प्रणाली पर आंका गया, जहां हर खिलाड़ी की तुलना प्रत्येक दौर में उनके प्रतिद्वंद्वी से की गई। जिस ब्रेकर को जज के सबसे ज्यादा अंक मिले और जिसने ज्यादा राउंड जीते, उसे मेडल मिला। इस बार स्वर्ण पदक विजेता जापान की कलाकार एमी रहीं।

अब बात भारत की। भारत के पास भी पेशेवर ब्रेकर्स हैं और भारतीय ब्रेकिंग स्पर्धाएं भी हैं। प्रसिद्ध रेड बुल बीसी वन 2024 साइफर इंडिया पिछले महीने ही आयोजित हुई थी। ओलंपिक में ब्रेकिंग की शुरुआत युवाओं के लिए आशा व आकांक्षा का विषय है। आशा करते हैं कि भारतीय बी-बॉयज और बी-गर्ल्स (ब्रेक डांसर्स) 2028 में लॉस एंजेलिस में होने वाले ओलिम्पिक में देश के लिए पदक लाएंगे।

Dakhal News 13 August 2024

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