लोकसभा की बदली तस्वीर
Changed picture of Lok Sabha

लोक सभा चुनाव परिणाम का असर 24 विभागों से संबंधित संसदीय स्थायी समितियों पर भी पड़ेगा। इन समितियों में अब तक भाजपा सदस्यों की संख्या अधिक रही, लेकिन पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार सदस्यों की संख्या घटी है। वहीं इंडिया गठबंधन के सांसदों की संख्या बढ़ी है। इससे समितियों में भाजपा का प्रभुत्व घटेगा17वीं लोक सभा के अंत में भाजपा से जुड़े सांसद 24 में से 16 संसदीय स्थायी समितियों का नेतृत्व कर रहे थे। इनमें गृह, वित्त, विदेश मामले और रक्षा विभाग से संबंधित समितियां भी शामिल हैं। राजग सहयोगी शिव सेना (शिंदे गुट) और जनता दल (यू) के सदस्य एक-एक समिति का जिम्मा संभाल रहे थे। कांग्रेस और उसकी सहयोगी द्रमुक दो-दो समितियों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे वाईएसआर कांग्रेस के सांसद भी दो संसदीय स्थायी समिति को दिशा दे रहे थे। पिछली सरकार में भाजपा के लोक सभा में 303 तीन सांसद जीत कर आए थे, जबकि राज्य सभा में भी उसके 90 सांसद थे। इसलिए इस संसदीय स्थायी समितियों में उसका बोलबाला था कुल 24 विभागों से संबंधित इन संसदीय स्थायी समितियों में से 16 की निगरानी अब तक लोक सभा अध्यक्ष द्वारा की जा रही थी, जबकि शेष 8 की देखरेख राज्य सभा के अध्यक्ष कर रहे थे। अब चूंकि इंडिया गठबंधन के सांसदों की संख्या सदन में बढ़ गई है, इसका सीधा असर इन समितियों पर भी पड़ेगा जिन 24 समितियों में बदलाव की संभावना है, उनमें प्राक्कलन समिति, लोक लेखा समिति (पीएसी) और सार्वजनिक उपक्रम समिति जैसी तीन वित्तीय समितियां भी हैं। वर्ष 1967 तक सत्ताधारी पार्टी के पास पीएसी का नेतृत्व रहता था उसके बाद से इसका नेतृत्व विपक्ष के सांसद करते आ रहे हैं। 17वीं लोक सभा में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इस समिति की अध्यक्षता की थी अन्य दो समितियों की अध्यक्षता भाजपा के सांसद कर रहे थे। पीएसी में भाजपा और इसकी सहयोगी पार्टियां बहुमत में थीं इनके अलावा एक दर्जन संसदीय पैनल और हैं। जैसे दोनों सदनों के लिए कार्य मंत्रणा समिति, विशेषाधिकार समिति और लाभ के पदों पर संयुक्त समिति। लोक सभा में सांसदों की संख्या में बदलाव के साथ ही अब इन समितियों की स्थिति भी बदल जाएगी

 

Dakhal News 15 June 2024

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