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लॉ स्टूडेंट ऐश्वर्या शांडिल्य की तरफ से सड़क दुर्घटना में हुई दो व्यक्तियों की मौत का हवाला देते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। चीफ जस्टिस के निर्देश पर उक्त याचिका सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानांतरित की गई थी। हेलमेट नहीं लगाने के कारण सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने कहा कि सड़क पर हेलमेट लगाए दो पहिया वाहन चालक नजर नहीं आते हैं। मोटर व्हीकल एक्ट का परिपालन नहीं किए जाने पर युगलपीठ ने सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। याचिका में कहा गया था कि दुर्घटना के समय दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगाए होते तो उनकी मौत नहीं होती। अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से सिर में चोट आने के कारण दो पहिया वाहन सवारों की मौत होती है।
याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम तथा हाईकोर्ट ने दो पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता के संबंध में आदेश जारी किए हैं। मोटर व्हीकल एक्ट में भी हेलमेट लगाकर वाहन चलाने का प्रावधान है। जिसका प्रदेश में पालन नहीं किया जाता है। हेलमेट की अनिवार्यता का सख्ती से पालन किया जाए जो सड़क दुर्घटना में मौतों के ग्राफ में कमी आएगी।
याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जबलपुर द्वारा हलफनामे के साथ स्टेटस रिपोर्ट रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें बताया गया कि अक्टूबर में हेलमेट नहीं पहनने पर शहरी क्षेत्र में एक लाख 830 तथा ग्रामीण क्षेत्र में 54 हजार 969 व्यक्तियों के खिलाफ चालानी कार्रवाई की गई है। इसके अलावा ओव्हर लोडिंग, चार पहिया वाहन में सीट बेल्ट नहीं लगाने, पार्किंग सहित अन्य नियमों का पालन नहीं करने पर अक्टूबर में कुल 1 लाख 98 हजार 286 कार्रवाई की गई है। दो पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की अनिर्वायता के संबंध में सभी जिले को पीटीआरआई ने पत्र जारी किए हैं।
युगलपीठ ने रिपोर्ट पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कागजी कार्रवाई नहीं बल्कि मैदानी कार्रवाई दिखनी चाहिए। मोटर व्हीकल एक्ट का परिपालन सुनिश्चित तौर पर किया जाना चाहिए। पूरे प्रदेश से संबंधित मामले में एएसपी स्तर का अधिकारी हलफनामे के साथ रिपोर्ट पेश कर रहा है। प्रदेश स्तर के अधिकारी को हलफनामा के साथ रिपोर्ट पेश करना चाहिए। युगलपीठ ने प्रदेश सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए अगली सुनवाई 2 जनवरी को निर्धारित की है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने पैरवी की।
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