
Dakhal News

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को जगतगुरू शंकराचार्य जी के प्रकटोत्सव पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने अपने निवास कार्यालय स्थित सभागार में आचार्य शंकर के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के 'कालडी़ ग्राम' में हुआ था। वे अद्वैत वेदान्त के प्रणेता, संस्कृत के विद्वान, उपनिषद व्याख्याता और धर्म प्रचारक थे। उन्होंने लगभग पूरे भारत की यात्रा की। उनके जीवन का अधिकांश भाग उत्तर भारत में बीता। आदिशंकराचार्य ने भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में श्रृंगेरी शारदा पीठ, उड़ीसा के पुरी में गोवर्धन मठ, गुजरात के द्वारका में शारदा मठ और उत्तराखण्ड के बद्रिकाश्रम में ज्योतिर्मठ की स्थापना की। शंकराचार्य जी का संसार के उच्चतम दार्शनिकों में महत्वपूर्ण स्थान है।
मुख्यमंत्री चौहान ने प्रकटोत्सव पर अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि "आचार्य शंकर ने मध्यप्रदेश से ही अद्वैत सिद्धांत का प्रतिपादन किया और भारतवर्ष का भ्रमण कर पूरे राष्ट्र को आलोकित किया।" उनके प्रयासों से ही वेदों और उपनिषदों की वाणी पूरे भारत में पुनः गूँजी। समाज में नए जीवन का संचार हुआ तथा मध्यप्रदेश में एक अभिनव युग का सूत्रपात हुआ। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक उनकी सांस्कृतिक एकता यात्रा का मध्य बिंदु स्वाभाविक रूप से मध्यप्रदेश रहा है। मध्यप्रदेश सरकार ने खंडवा जिले में ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना का निर्णय लिया है। जहां आदि शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊँची बहु धातु की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह प्रकल्प आचार्य शंकर के संपूर्ण जीवन-दर्शन से परिचित कराते हुए, भावी पीढ़ी के चरित्र-निर्माण, पर्यावरण-संरक्षण, सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, विश्व-कल्याण और वसुधैव कुटुंबकम के एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरेगा।
Dakhal News
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By:
![]() |