सब करें विचार तभी तो होगा आरोग्य पर अधिकार
bhopal, Consider everything, only then , right to health
सियाराम पांडेय 'शांत'
व्यक्ति के जीवन में जिस तरह सोलह संस्कार होते हैं, सोलह श्रृंगार होते हैं, उसी तरह उसकी जिंदगी में सोलह तरह के सुख और सोलह तरह के दुख होते हैं। निरोगी शरीर को जीवन का पहला सुख कहा गया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आरोग्य को अगर सबका अधिकार बता रहे हैं तो यह उचित ही है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आरोग्यता प्राप्त करना हर किसी का अधिकार है। फर्रूखाबाद जिले के विख्यात बौद्ध पर्यटक तीर्थस्थल संकिसा में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आयोजित मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेले का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के 3400 स्थानों पर जन आरोग्य मेलों का शुभारंभ किया गया। उत्तर प्रदेश का हर आदमी निरोगी रहे, इसके लिए सरकार यथासंभव प्रयास कर भी रही है। सरकार की अपनी सीमा है लेकिन अगर हर व्यक्ति को जागरूक किया जा सके तो उसे रोगों के प्रभाव से बचाया जा सकता है। स्वास्थ्य विज्ञानी भी मानते हैं कि 80 प्रतिशत बीमारियां मन की होती है। 20 प्रतिशत बीमारी ही तन की होती है। जिनका मनोबल मजबूत होता है, पहली बात तो वे बीमार नहीं होते और कदाचित होते भी हैं तो जल्द ही ठीक भी हो जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया है कि प्रदेश के हर नागरिक को कोरोना का टीका लगेगा लेकिन चरणबद्ध ढंग से। कुछ लोग ड्राई रन की राजनीतिक आलोचना कर सकते हैं लेकिन ऐहतियात के नजरिए से यह एक अच्छा प्रयोग है। कोई भी अभियान शुरू करने से पहले व्यवस्था बिगाड़ने वाले हर छिद्र को बंद कर देना चाहिए। साथ ही हर कील-कांटे दुरुस्त कर लेना चाहिए। प्रदेश के लोगों का जीवन आरोग्यमय हो, इसके लिए सर्वप्रथम सरकार द्वारा योगदिवस का आयोजन किया गया था। नसीहत दी गई थी कि योग करें और निरोग रहें। इसके बाद अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के मुकम्मल प्रयास भी हुए। अगर सरकार जन आरोग्य मेलों का आयोजन कर रही है तो इसके मूल में जनहित का भाव ही प्रमुख अभीष्ठ है। मेलों के दौरान चिकित्सक दवाई देंगे, सामान्य बीमारियों की जांच एवं उपचार करेंगे तो इससे दो लाभ होंगे। एक यह कि लोग बड़ी बीमारियों से बचेंगे। दूसरा, सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य योजनाओं से वे अवगत हो सकेंगे। उन्हें आयुष्मान भारत योजना के सम्बन्ध में जानकारी मिलेगी। इसके तहत गोल्डन कार्ड दिए जाएंगे। यह एक अच्छी पहल है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री की मानें तो टीबी के उपचार की व्यवस्था की जाएगी। बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को लगने वाले टीके की जानकारी दी जाएगी। इसमें शक नहीं कि आरोग्य मेलों से लाखों की संख्या में लाभार्थियों को लाभ प्राप्त हुआ है।
प्रदेश में पहले भी पूर्व सरकारों में स्वास्थ्य मेले लगते रहे हैं लेकिन वह किस तरह लगते थे और वहां जांच -उपचार के नाम पर क्या कुछ होता था, यह किसी से भी छिपा नहीं है। योगी सरकार में उत्तर प्रदेश में लगने वाले स्वास्थ्य मेलों से औपचारिकता समाप्त हुई थी और लोगों का उनपर विश्वास भी जमने लगा लेकिन कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य मेलों के आयोजन पर रोक की जमीन तैयार कर दी थी। अब अगर उत्तर प्रदेश में नए सिरे से स्वास्थ्य मेलों का अयोजन शुरू हुआ है तो इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए उसका संतुष्ट होना जरूरी है। इसलिए कारोबार, रोजगार में बढ़ोतरी होते रहना बहुत जरूरी है। शौचालय अगर आरोग्य का आधार है तो नारी गरिमा का प्रतीक भी है। बकौल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दो करोड़ 61 लाख लाभार्थियों को शौचालय का लाभ मिला है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह की एक महिला को सामुदायिक शौचालय के रखरखाव के साथ जोड़ा जा रहा है। इस कार्य के लिए महिला को 6 हजार रुपए का मानदेय दिया जा रहा है।
सुरक्षा का संकट हो तब भी व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं रह सकता। न तो व्यापार कामयाब हो सकता है और न व्यक्ति निरापद ढंग से अपने काम कर सकता है। सरकार ने आराजक तत्वों पर नकेल कसकर प्रदेश को मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने का काम किया है। भय व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है। वह किसी भी बीमारी से बड़ी बीमारी है। माफियाओं के घरों पर चलते बुलडोजर आम जन को सुरक्षा की गारंटी तो देते ही हैं। सरकार जब सबके साथ, सबके विकास और सबके विश्वास की बात करती है तो पता चलता है कि वह यह सब बिना किसी मतभेद के कर रही है। उसका दावा है कि शासन की हर एक योजना का लाभ पात्र लाभार्थी तक पहुंचेगा।
'एक जनपद, एक उत्पाद' योजना के तहत युवाओं और परम्परागत उद्यमियों को जोड़कर,उन्हें स्वरोजगार के लिए बैंक से लोन दिलवाकर, युवाओं को रोजगार देने के लिए रोजगार मेलों का आयोजन कर सरकार घर में माया यानी दूसरे सुख का भी बंदोबस्त कर रही है। कृषि संरचना को सुदृढ़ करने, कोल्ड स्टोरेज और भण्डारण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के पीछे सरकार की योजना किसानों को मजबूती देने और मानसिक,आर्थिक संबल प्रदान करने की है। महिलाएं भी स्वयंसेवी समूह बनाकर कृषि क्षेत्र में योगदान करें, ऐसा सरकार का प्रयास है। जनसहभागिता से कृषि क्षेत्र में सुधार को द्रुतगति प्रदान करने की दिशा में सरकार न केवल सोच रही है बल्कि उस पर अमल भी कर रही है।
प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टार्टअप योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना, 'एक जनपद-एक उत्पाद' सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन के जरिए सरकार की मंशा व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने की है। सरकार की योजना सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक समरसता लाने की है। वह जीवन के हर पहलू पर ध्यान दे रही है लेकिन यह काम अकेले सरकार का ही नहीं है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20.48 लाख अयोग्य लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है। यह जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में दी है। पंजाब, असम, केरल और महाराष्ट्र के ज्यादातर लाभार्थी इस कोटि के हैं जिन्होंने अयोग्य होते हुए भी किसान सम्मान निधि हासिल की है। इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए। इससे जरूररतमंदों का नुकसान होता है। 
गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि 'कोउ न काहू सुख-दुख कर दाता। निजकृत कर्म भोग सब ताता।' इसलिए जबतक स्वास्थ्य को लेकर चाहे वह तन का हो, मन का हो या कि धन का हो, जन-जन जागरूक और गंभीर नहीं होगा तबतक अकेले सरकार के प्रयास नाकाफी साबित होंगे। देश सर्वोपरि की भावना से जिस दिन लोग काम करने लगेंगे, बहुत सारी समस्याओं का सहज समाधान हो जाएगा।
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
Dakhal News 15 January 2021

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