भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मिंटो हॉल में आयोजित राष्ट्रीय जल सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए जल-पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में जल अधिकार को लेकर जो मसौदा बना है यहां उपस्थित 25 प्रदेशों के प्रतिनिधि अपने-अपने राज्यों में इस प्रारूप को लागू कराने के लिए अपने-अपने मुख्यमंत्रियों से चर्चा करें।
मंगलवार को उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी रचनात्मकता एवं नयेपन के लिए जाने जाते हैं, इसलिए हमने इस सम्मेलन में 25 प्रदेशों में पानी पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया। कहा कि मुख्यमंत्री जो जल अधिकार सम्बन्धित बिल ला रहे हैं उसे कैसे अन्य प्रदेश की सरकारें आगे लेकर जा सकती हैं। इस पर गंभीर विचार होना चाहिए। मप्र सरकार ने पिछले एक साल से अपने राज्य की जनता को पानी के साथ जोड़ने के लिए उनमें जो मालिकाना भाव पैदा किया है और इसमें उनको पूरी तरह शामिल किया है। ऐसा सभी राज्यों में होना चाहिए।
जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार अब इस स्थिति में है कि ऐसा कानून इस राज्य में बनाए जो हर गांव एवं शहर के आदमी को पीने का पानी मुहैया करा सके। इसके साथ यह भी सच है कि केवल कानून बनाने से कुछ नहीं होगा। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर है कि समाज अपनी तरफ से आगे आये, जल संरक्षण को अपना काम माने।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री कमल नाथ भी उपस्थित थे । सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से पानी और पर्यावरण से जुड़े विषय-विशेषज्ञ मध्यप्रदेश 'जल का अधिकार' अधिनियम लागू करने के संदर्भ में विस्तृत चर्चा करने यहां आए हैं। इस सम्मेलन का प्रारंभ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने सुबह 10.30 बजे किया। सम्मेलन में भाग लेने के लिए विशेष तौर से झारखण्ड के पूर्व मंत्री सरयू राय, कर्नाटक के पूर्व मंत्री बी.आर. पाटिल, तेलगंगा जल बोर्ड के अध्यक्ष प्रकाश राव, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि और कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आए हुए हैं।