भोपाल। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्भया दुष्कर्म मामले में नाबालगि दोषी को भी फांसी पर देने की वकालत की है। इसके साथ ही उन्होंने वकील इंदिरा जयसिंह पर निशाना साधते हुए उनके द्वारा दिये गये बयान को अपराधियों के हौसले बढ़ाने वाला बताया है।
उन्होंने रविवार को ट्वीट के माध्यम से कहा है कि निर्भया बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध में शामिल वो नरपिशाच सिर्फ नाबालिग होने की वजह से छूट गया, मेरे हिसाब से उसको भी फाँसी की सजा होनी चाहिए। मेरा भारतीय संसद से निवेदन है कि जल्द से जल्द कानून में बदलाव करें, ताकि ऐसे नराधम समाज में खुले न घूमने पाएं।
शिवराज ने अपने दूसरे ट्वीट में नर्भया मामले में दोषियों की फांसी को लेकर वकील इंदिरा जयसिंह द्वारा दिए गए बयान को लेकर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से पूछा है कि इंदिराजी, वकील कब से बिन मांगी सलाह देने लगे? ऐसी मानसिकता के चलते ही अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं। मानवाधिकार मानवों के होते हैं, दानवों के लिए नहीं। कभी आपने इन बेटियों के बारे में सोचा? क्या आपको पता भी है कि ऐसी कितनी निर्भया आज भी न्याय की प्रतीक्षा कर रही हैं?
उन्होंने अपने तीसरे ट्वीट में लिखा है कि इंदिराजी का सोनिया जी का तारीफ करना तो बनता ही है। मुझे इसमें जरा भी अचरज नहीं है। मैं निर्भया की मां की हिम्मत को प्रणाम करता हूं, जो अपनी बेटी के न्याय के लिए निरंतर लड़ती रहीं। पूरा देश आप के साथ है। मुझे उस दिन की प्रतीक्षा है जब सारे नराधम फांसी के फंदे पर लटका दिए जाएंगे।
शिवराज ने कपिल सिब्बल को दी बधाई
वहीं, शिवराज ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल को सीएए का समर्थन करने पर बधाई है। उन्होंने रविवार को ट्वीट के माध्यम से कहा है कि आखिर सच को कभी न कभी सामने आना ही था। मैं कपिल सिब्बल जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने सच का साथ दिया। मुझे लगता है कि कैप्टन अमरिन्दर जी और मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को और कांग्रेस शासित राज्यों को सिब्बल जी से बात करनी चाहिए और सीएए की बारीकियों को समझना चाहिए।
शिवराज ने अपने अगले ट्वीट में लिखा है कि अगर कांग्रेस नहीं चाहती है कि सीएए लागू हो तो राहुल गांधी जी और सोनिया जी को ये बात साफ कर देनी चाहिए की आखिर वे जो शरणार्थी पड़ोसी देशों में अपने धर्म की वजह से प्रताडि़त होकर भारत में रह रहे हैं, उनका क्या करना चाहिए? क्या उनको वापस पाकिस्तान भेज देना चाहिए?