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एमपी में बीस साल बाद बदलेगी नगरीय निकाय चुनाव प्रणाली
छह दिन से महापौर और अध्यक्ष के चुनाव प्रणाली को लेकर चली आ रही ऊहापोह की स्थिति अब खत्म हो गई | मुख्यमंत्री कमलनाथ के राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात करने के बाद उन्होंने दशहरा के दिन नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश 2019 की फाइल पर हस्ताक्षर करके निकाय चुनाव प्रणाली में बदलाव को मंजूरी दे दी |
राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसके तहत अब महापौर पार्षदों में से चुना जाएगा यानी चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा | बुधवार को नगरीय विकास एवं आवास विभाग अध्यादेश की अधिसूचना जारी की | निकाय चुनाव व्यवस्था में करीब बीस साल बाद बदलाव होने जा रहा है | सन 1999 से प्रत्यक्ष प्रणाली के माध्यम से नगर निगम में महापौर, नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है | दिग्विजय सिंह के किये इस बदलाव को कमलनाथ सरकार ने पलट दिया है | कैबिनेट ने अनुमति लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने राज्यपाल को चुनाव प्रणाली में संशोधन का अध्यादेश मंजूरी के लिए भेजा था | भाजपा के तमाम विरोध के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा के ट्वीट कर राज्यपाल को राजधर्म का पालन करने की सलाह दी तो मामले के उलझने के आसार बढ़ गए थे | इसका आभास होते ही सरकार हरकत में आई और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कमान संभाली उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात की और यह भरोसा दिलाया कि सरकार जिन लोगों ने राजभवन की गरिमा के खिलाफ सार्वजनिक चर्चा का विषय बनाकर राज्यपाल पर दबाव बनाने का प्रयास किया, उससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है | वह उनके निजी विचार हैं | सरकार के पक्ष से संतुष्ट होने के बाद राज्यपाल ने मंगलवार को अध्यादेश को अनुमोदन दे दिया | राजभवन की ओर से अधिकृत तौर पर बताया गया कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को स्पष्ट किया है कि सरकार संवैधानिक मर्यादाओं को लेकर प्रतिबद्ध है | राजभवन की ओर से कहा गया कि राज्यपाल का दृढ़ अभिमत है कि संवैधानिक पदों के विवेकाधिकार पर टीका टिप्पणी करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है |
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