विकास पर जनता जनार्दन की मुहर
धर्मेंद्र प्रधान

धर्मेंद्र प्रधान

हालिया चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत मोदी सरकार के विकास कार्यों पर जनता-जनार्दन की मुहर है।

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम भले ही राजनीतिक विश्लेषकों के लिए अप्रत्याशित रहे हों, लेकिन इस चुनाव ने भारत में राजनीति के परंपरागत तौर-तरीकों को नए सिरे से परिभाषित करने का काम किया है। जाति-समीकरणों की बुनियाद पर टिके सियासी दल और उनकी स्वार्थपरक राजनीति न सिर्फ ध्वस्त हुई है, बल्कि पहली बार विकास की आकांक्षा से युक्त समाज ने सकारात्मक वोट कर मौजूदा सरकार को ही दोबारा जनादेश दिया। 2015 में एक्ट ईस्ट पॉलिसी को लेकर दिया गया पीएम मोदी का बयान सिर्फ औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह सरकार और उसके तंत्र के लिए पूर्वी भारत में विकास की गाथा लिखने का 'मंत्र था, जिसके आधार पर पांच साल में मोदी सरकार ने विकास के मोर्चे पर देश के पूर्वी हिस्से के लिए कमाल काम कर दिखाया। हालिया चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत वास्तव में विकास कार्यों पर जनता-जनार्दन की अभिव्यक्ति है। प्रधानमंत्री ने स्वयं इसे ईमानदारी के लिए व्याकुल नागरिकों की आशा-आकांक्षा की विजय बताया। यह विजय एक-दो सफल सियासी रणनीतियों का नतीजा नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के विकास की उन समावेशी नीतियों का परिणाम है जिसमें देश के सभी हिस्सों और खासकर पूर्वी छोर को आजादी के बाद पहली बार बराबर का हक मिला। सरकार के साथ यह भाजपा के लाखों कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए अथक परिश्रम की पराकाष्ठा की भी विजय है। सरकार और संगठन समान ध्येय के बावजूद अपनी-अपनी मर्यादाओं से युक्त होते हैैं, किंतु प्रधानमंत्री मोदी के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी कार्यशैली से यह सिद्ध कर दिया कि अब राजनीति 'वंशवाद, 'जातिवाद और 'तुष्टीकरण से नहीं, बल्कि 'विकासवाद की बुनियाद पर आगे बढ़ेगी। अब दौर 'पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस का है, यानी जो परिणाम देगा, जनता उसे ही शासन करने का मौका देगी।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में गूंज रहे इस विकासवादी स्वर को समझने के लिए 2019 की इस विजयगाथा को समझना होगा। पूर्वी भारत देश की एक तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। तरक्की के शिखर को स्पर्श करने के लिए जरूरी सभी प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों की उपलब्धता के बावजूद पिछड़ेपन का जितना दंश इस क्षेत्र ने झेला, शायद ही किसी भूभाग ने झेला हो। 2014 में मोदी सरकार ने सर्वप्रथम पिछली सरकारों द्वारा पूर्वोत्तर के विकास के नाम पर शुरू किए गए अधूरे कार्यों को संपूर्णता तक पहुंचाने का प्रयास किया। असम में 21 सालों से लंबित देश का सबसे लंबा डबलडेकर बोगी बिल रेल-सह-रोड ब्रिज इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है। भारत-म्यांमार-थाईलैंड सुपर हाईवे प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'एक्ट ईस्ट नीति का ही नतीजा है। 2017 के बजट में मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 13,500 करोड़ रुपए रखे और 2018 में 43 परियोजनाओं पर 9,000 करोड़ रुपए की राशि नियोजित की गई।

पूर्वोत्तर में जीवन की मूलभूत सुविधाएं पहुंचाकर वहां लोगों के जीवन-स्तर को सुधारने का श्रेय मोदी सरकार को जाता है। लाखों लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिल चुका है। दुर्गम गांवों में बिजली पहुंचाई जा रही है। साथ ही करीब 30 लाख परिवारों को आयुष्मान भारत योजना के तहत सालाना पांच लाख रुपए तक मुफ्त स्वास्थ्य बीमा भी दिया गया।

पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ पूर्वी भारत को दक्षिण-पूर्वी एशिया का एनर्जी गेटवे बनाने पर भी मोदी सरकार ने प्रमुखता से काम किया है। पूर्वोत्तर ग्रिड अब न सिर्फ पूर्वी भारत, बल्कि देश के शेष हिस्से की ऊर्जा जरूरतों को भी पूरी करेगी। असम को दी गई तेल रिफाइनरी और गैस पाइपलाइन की सौगात हो या फिर प्रधानमंत्री 'ऊर्जा गंगा परियोजना से पूर्वोत्तर के राज्यों को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ा जाना, समग्र रूप से यह पूर्वोत्तर के विकास में 'हीरा (अर्थात हाईवे, इंटरनेट और रेलवे) जड़ने जैसा है।

मोदी सरकार ने जो समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया, वह केंद्र-राज्य संबंधों को नई ऊंचाई देने वाला है। उत्तर प्रदेश के बलिया में मई 2016 में जब पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया, तब राज्य में सपा सरकार थी। सियासी हिंसा के लिए कुख्यात पश्चिम बंगाल के साथ भी केंद्र सरकार ने योजनाओं में कभी भेदभाव नहीं किया। यहां दुर्गापुर में रेलवे के 294 किमी लंबे रेल खंड का विद्युतीकरण, हिजली-नारायणगढ़ के बीच तीसरी रेल लाइन और जलपाईगुड़ी में 1938 करोड़ रुपए की योजनाओं की शुरुआत की। यही वजह है कि बंगाल जैसे राज्य में विपरीत हालात में भी भाजपा जनता का विश्वास जीतने में कामयाब हुई।

पश्चिम बंगाल की तरह भाजपा को ओडिशा, झारखंड और असम जैसे राज्यों में भी खूब जन-समर्थन मिला। ओडिशा में केंद्र द्वारा कौशल विकास, जन-धन, उज्ज्वला, सौभाग्य, प्रधानमंत्री आवास योजना को सफलतापूर्वक लागू करने का नतीजा यह रहा कि वहां भाजपा अपना वोट प्रतिशत 38 प्रतिशत तक पहुंचाने के साथ ही आठ सीटें पर जीतने में सफल हुई। यदि अरुणाचल, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्यों की बात करें तो यहां पहले दिल्ली के नेता तभी देखे जाते थे, जब लोकसभा चुनाव हुआ करते थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी हर साल पूर्वोत्तर के किसी न किसी राज्य के दौरे पर गए और अपनी सरकार की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। सरकार के लगभग हर मंत्रालय ने विकास के 'पूर्वोदय के लिए पूर्वी भारत को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया। पिछले पांच साल में शायद ही ऐसा कोई महीना रहा हो जब किसी केंद्रीय मंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों में खुद जाकर केंद्र की योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट न ली हो। इससे बरसों तक खुद को अलग-थलग महसूस करने वाले लोगों को भी दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में रहने वाले दूसरे लोगों की तरह से भारतीय नागरिक होने का एहसास होने लगा।

झारखंड, बिहार के साथ पश्चिम बंगाल, ओडिशा व पूर्वोत्तर के राज्यों की 88 में से 44 सीटों पर राजग की कामयाबी देश की तरक्की में 'पूर्वोदय की भूमिका को लेकर किए गए उसके संकल्प को साबित करती है। भारत भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं भाषायी विविधताओं का देश है। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं पूर्वी भारत की संस्कृति के वैश्विक ब्रांड एंबेसडर बने। वह जिस राज्य में गए, उसकी बोली, भाषा के साथ उसके पहनावे को अपनाकर सांस्कृतिक समन्वय का संदेश दिया। इस जीत के संदेश को भारतीय सियासी व्यवस्था के साथ ही विश्व को भी समझना होगा। पूर्वी भारत विश्व के लिए आर्थिक एवं सांस्कृतिक संपन्न्ता का एक ऐसा केंद्र बिंदु बन रहा है, जो पड़ोसी देशों के साथ ही पूरे विश्व की शांति और समृद्धि की आकांक्षाओं की पूर्ति करेगा।(लेखक केंद्रीय मंत्री हैं)

Dakhal News 2 June 2019

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.