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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘ दिल्ली वर्किंग जर्नलिस्ट संशोधन अधिनियम को मंजूरी दे दी है। यह मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू किए जाने को सुनिश्चित करता है और कानून का पालन नहीं किए जाने की स्थिति में दंडनीय प्रावधान भी करता है।
इस कानून का पालन नहीं किए जाने पर एक साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
दिल्ली विधानसभा ने ‘ वर्किंग जनर्लिस्ट अधिनियम ’ में संशोधन के लिए दिसंबर 2015 में यह विधेयक पारित किया था। इस कदम का उद्देश्य मौजूदा कानून में बदलावों को प्रभावी करना है।
श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि देश में मजीठिया वेतन बोर्ड को प्रभावी ढंग से लागू करने को सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन करने वाला दिल्ली पहला राज्य बन गया है।
यह कानून दिल्ली आधारित मीडिया संगठनों पर लागू होगा। इस कानून के मुताबिक अनुबंध ( कॉंट्रेक्ट ) पर रखे गए पत्रकारों से श्रमजीवी पत्रकार ( वर्किंग जनर्लिस्ट ) जैसा व्यवहार किया जाएगा।
दिल्ली सरकार की एक अधिसूचना में कहा गया है कि किसी कर्मचारी को बकाया राशि का भुगतान नहीं करने की स्थिति में नियोक्ता को दंडित किया जाएगा।
कानून , न्याय और विधायी मामलों के विभाग ने सात मई को यह अधिसूचना जारी की है।
नये कानून के मुताबिक इसका उल्लंघन करने वाले पर 5,000 रूपया से 10,000 रूपया तक जुर्माना और उसे एक साल तक की सजा हो सकती हैं।
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