अमित शाह के राजनीतिक आखेट में स्वर्ण-मृगों का शिकार
अमित शाह

उमेश त्रिवेदी 

दक्षिण भारत के सुपर स्टार रजनीकांत के राजनीति में आने की अटकलों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस सुपर-स्टार को भाजपा से जोड़ने की राजनीतिक संभावनाओं को खंगालना शुरू कर दिया है। भाजपा का अध्यक्ष पद संभालने के बाद अमित शाह देश में राजनीतिक आखेट के एक ऐसे चतुर धनुर्धर के रूप में उभरे है, जिसका सब लोग लोहा मानते हैं।  चुनावी महासमर में राजनीतिक आखेट उनकी व्यूह-रचनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। वर्तमान में अमित शाह राष्ट्रपति-चुनाव के अलावा गुजरात के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर स्वर्ण-मृगों की तलाश में राजनीतिक-आखेट पर निकल पड़े हैं। 

    राजनीतिक शतरंज पर अमित शाह की चालों को समझना विपक्षियों के लिए मुश्किल है। वो एक साथ कई मोर्चों को ध्यान में ऱख कर आगे बढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति-चुनाव और गुजरात चुनाव के अलावा ममता बनर्जी का बंगाल उनके टारगेट पर है और तमिलनाडू में भाजपा की जमीन को पुख्ता करना उनकी प्राथमिकताओं में शुमार है। उत्तर प्रदेश की जंगी जीत के बाद अमित शाह के रवैये में रणनीतिक-नरमी और लचीलापन नजर आ रहा है। वो  कांग्रेस को भी एकदम खारिज नहीं करते हैं। गुजरात में, भले ही टूटी-फूटी हो या निर्बल, भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से ही होना है। राष्ट्रपति चुनाव में भी सबसे बड़ी बाधा महागठबंधन के लिए प्रयासरत कांग्रेस ही है। राजनीतिक -सफलताओं के आकलन के बाद अमित शाह आश्वयस्त हैं कि भाजपा जितना मजबूत होगी, कांग्रेस उतनी ही बिखरेगी। इस थीसिस के बाद शाह के रुख में 360 डिग्री बदलाव आया है। वो समझते हैं कि क्षेत्रीय पार्टी के क्षत्रपों से राजनीतिक दादागिरी मुनासिब नहीं है। इसीलिए क्षेत्रीय दलों से उनके तालमेल की कसौटियां भिन्न हैं। 

शायद इसीलिए जब रजनीकांत के राजनीति में आने की बात चली तो उन्होने नपी-तुली स्वागत की रस्म-अदायगी के बाद रस्सी को लंबा छोड़ दिया है। पिछले सप्ताह इंडियन-एक्सप्रेस में यह खबर छपी थी कि रजनीकांत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने वाले हैं। भाजपा ने उन्हें मोदी से मुलाकात करने का निमंत्रण दिया है। एक करीबी के हवाले रजनीकांत ने पिछले शुक्रवार को राजनीति मे आने के संकेत दिए थे। अमित शाह ने सधे शब्दों मे कहा था कि राजनीति में आने के बाद भाजपा में आने का फैसला खुद रजनीकांत को करना है। पिछले सप्ताह रजनीकांत ने अपने प्रशंसको से कहा था कि वो जंग के लिए तैयार रहें। उनके मुरीदो ने इस राजनीति मे जाने के संकेत के रूप में देखा था। तमिलनाडू में कई फिल्मी कलाकार राजनीति में अपने हाथ आजमा चुके हैं और उन्होने बुलन्दियां हांसिल की है। उल्लेखनीय है कि जयललिता के निधन के वक्त भी यह खबर सुर्खियों में आई थी कि रजनीकांत राजनीति में आ सकते हैं।  

      भाजपा के सशक्तीकरण के अमित शाह के प्रयासों का सिलसिला तमिलनाडू तक सीमित नहीं हैं। राष्ट्पति चुनाव के मद्देनजर वो बिहार के राजनीतिक-सरोवर में भी लगातार पत्थर फेंक कर लहरें पैदा करते रहे हैं और गुजरात में कांग्रेस के गलियारों को भी खाली नही छोड़ा है। विपक्ष की नब्ज को अमित शाह भलीभांति समझते हैं। वो जानते हैं कि नीतीश कुमार बिहार में लालू यादव की कमजोर नस हैं और गुजरात में शंकरसिंह वाघेला कांग्रेस की कमजोर रग है। इसीलिए जंहा लालू यादव, पी चिदम्बरम् अरविंद केजरीवाल, मायावती और  ममता बनर्जी  भाजपा की अग्नि-वर्षा में झुलस रहे हैं, वहीं नीतीश कुमार और शंकरसिंह वाघेला इस हमले से मुक्त हैं। अमित शाह के   ताजा टीवी साक्षात्कार से पता चलता है कि वाघेला और नीतीश कुमार उनके लक्षित राजनीतिक-शत्रुओं की सूची में शुमार नही हैं। वाघेला के बारे में अमित शाह का यह कथन गौरतलब है कि - ’सुना है कि वाघेलाजी कांग्रेस में खुश नहीं है’ और ’नीतीश कुमार ने अभी तक भाजपा से कोई संपर्क नही किया है ।’ टीवी कार्यक्रम में उन्होने स्पष्ट संकेत दिए है कि दोनो नेताओं के लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं। यानी अमित शाह राजनीतिक- आखेट जारी है...।[ लेखक उमेश त्रिवेदी सुबह सवेरे के प्रधान संपादक है।]

Dakhal News 23 May 2017

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