संत और समाज ही कर सकते हैं नदियों का संरक्षण
narmda yatra

 

 

“नमामि देवि नर्मदे”- सेवा यात्रा 111 वें दिन  नरसिंहपुर जिले के रमपुरा ग्राम पहुँची। कड़ी धूप में भी बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने गर्मजोशी से यात्रा का स्वागत किया। जन-समूह में ललाट पर चंदन एवं रोली का तिलक लगाये पुरूष एवं कलश लेकर चल रही बालिकाएँ एवं महिलाओं को देखकर प्रतीत हो रहा था जैसे कोई भव्य मंगल उत्सव हो। जन-संवाद में संतों ने ग्रामीणों को नदी एवं प्रकृति संरक्षण का संकल्प दिलवाया तथा समझाइश दी कि नदी संरक्षण के लिए यही सही समय है, अगर अभी प्रयास नहीं किए तो पछताने का समय नहीं मिलेगा। नर्मदा के बिगड़े स्वरूप को पुनर्जीवित करने के लिए दोनों तट पर सघन पौध-रोपण करना होगा। इसी के साथ जल-संरक्षण, नशा-मुक्ति, बेटी बचाओ का भी संकल्प दिलवाया गया।

साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि कड़ी धूप में जन-समूह की उपस्थिति नर्मदा के प्रति लोगों की असीम आस्था एवं भक्ति को दिखाती है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बेटी बचाओ अभियान की तरह ही शिव की बेटी नर्मदा को बचाने के लिए नमामि देवि नर्मदे- सेवा यात्रा प्रारंभ की गई है। इसकी सफलता समाज की भागीदारी से ही संभव है। संत, समाज एवं सरकार के सहयोग से ही यह संकल्प सफल होगा। संकल्प को सार्थक करने के लिए युद्ध स्तर पर चहुँमुखी प्रयास करने होंगे। उन्होंने आव्हान किया कि प्रत्येक व्यक्ति जन्म-दिवस पर पौध-रोपण कर उसका पोषण करें। हमें जीती- जागती विरासत नर्मदा को आने वाली पीढ़ी को सम्पन्न स्वरूप में सौंपना चाहिये। नर्मदा ही हमारा अस्तित्व है और इसका संरक्षण ही हमारा संरक्षण है।

संत चैतन्य बापू ने नर्मदाष्टक का गायन किया। संत श्री बालकदास महाराज ने नर्मदा के धार्मिक, पौराणिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक महत्व को बताया। नर्मदा मानव एवं जीव- जंतुओं के साथ- साथ क्षिप्रा एवं साबरमती सहित अन्य सहायक नदियों की जीवनदायिनी भी है। उन्होंने उज्जैन महाकुंभ को याद करते हुए कहा कि नर्मदा के कारण ही क्षिप्रा में निर्बाध शाही स्नान हुए।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती लता वानखेड़े ने कहा कि श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रारंभ किया गया यह अभियान स्वतंत्र भारत का अनूठा अभियान है। नदी संरक्षण के लिए ऐसा महा-अभियान न तो इतिहास में हुआ और न ही भविष्य में कभी होगा। विधायक श्री जालम सिंह पटेल ने कहा कि नशा सामाजिक, आर्थिक एवं पारिवारिक पतन का कारण है, इसलिये हर प्रकार के नशे को त्यागें।

स्वागतम् लक्ष्मी कार्यक्रम में जन-प्रतिनिधि एवं संतों ने नवजात बेटी का नामकरण कर माँ नर्मदा के हजार नामों में से एक ‘नमामि’ रखा। उसे उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया। जन-संवाद में अतिथियों ने यात्रा के ध्वज, कलश और कन्याओं का पूजन किया।

Dakhal News 8 April 2017

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