एमपी का हर जिला होगा रेशमी
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रेशम उद्योग में लाभ और इसकी बढ़ती माँग को देखते हुए मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में रेशम-केन्द्र का विस्तार किया जायेगा। कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री  अंतर सिंह आर्य ने यह बात आज होशंगाबाद के मालाखेड़ी और बाबई के गूजरवाड़ा में स्थित रेशम-केन्द्रों का निरीक्षण करते हुए कही। श्री आर्य ने बताया कि ककून की दर 275 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 350 रुपये प्रति किलो कर दी गयी है।

श्री आर्य ने मालाखेड़ी के रेशम-केन्द्र में प्रशिक्षण ले रहे रायसेन, रतलाम, देवास, उज्जैन, आगर-मालवा और राजगढ़ के किसानों से भी चर्चा की। उन्होंने रेशम कृमि-पालक किसानों से कहा कि प्रशिक्षण के बाद उन्हें व्यवस्थित ढंग से काम करने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी।

 

उन्होंने  कहा कि रेशम उद्योग से किसान अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से कहा कि वे स्वयं 25-25 अन्य किसान को प्रशिक्षण देकर उनके लिये भी अतिरिक्त आमदनी के नये द्वार खोलें। इसके लिये शासन उनको सुविधा देगा। श्री आर्य ने माँग के अनुपात में 50 किसान के बीच रेशम कृमि-पालन के लिये एक सेंटर स्वीकृत करने के निर्देश दिये।

आर्य ने रेशम उत्पादन और उपलब्धि पर प्रेजेंटेशन भी देखा। श्री आर्य को बताया गया कि धागाकरण कार्य में होशंगाबाद, मटकुली, रेशापाठा की 340 महिला कार्यरत हैं। गत वर्ष टसर, रेशम, मूंगा आदि की 677 लाख की बिक्री हुई। श्री आर्य ने मलबरी धागाकरण, धागा बैंक और परिसर में स्थित शो-रूम को भी देखा।

श्री आर्य ने बाबई के ग्राम गूजरवाड़ा में 40 एकड़ क्षेत्र में स्थित रेशम-केन्द्र का भी निरीक्षण किया। यहाँ ऐसे स्व-सहायता समूह, जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें 5-5 एकड़ जमीन देकर टसर एवं मलबरी का उत्पादन करवाया जा रहा है। यहाँ 60 महिला कार्यरत हैं। श्री आर्य ने रेशम कृमि-पालन की तकनीकों का भी अवलोकन किया। मंत्री  आर्य ने यहाँ कार्यरत महिला स्व-सहायता समूहों से ने एक स्वर में कहा कि हम यहाँ काम कर बहुत खुश हैं। हमें साल में 50 हजार रुपये तक मिल जाते हैं।

Dakhal News 17 September 2016

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