सरकार ! मासूम से रेप का जिम्मेदार कौन?
raep

महेश दीक्षित 

पूरे प्रदेश में शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ मुहिम छेडऩे के लिए मध्यप्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह और पुलिस के मुखिया ऋषि कुमार शुक्ला की पीठ थपथपाई जानी चाहिए, लेकिन भोपाल के बरखेड़ी इलाके में 31 अगस्त 2016 को ढाई साल की मासूम बच्ची के साथ, दरिंदे भेडि़ए ने जो किया, उसके लिए क्या कहें? इस घटना का जिम्मेदार कौन है, गृहमंत्री या फिर पुलिस के मुखिया? मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की इस घटना से शिवराज सरकार और मप्र पुलिस की छवि तो कलंकित हुई ही, उसके इलाज और दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखने को लेकर, स्वास्थ्य महकमा और दो थानों की पुलिस ने जो कुत्ता-फजीती की, उसने साबित कर दिया इस प्रदेश की सरकार के नुमाइंदे और पुलिस के जिम्मेदार अपनी संवेदनशीलता खो चुके हैं। शायद यही वजह है कि सरकार और पुलिस, दूध का धुला होने और अपनी छवि चमकाने के लाख दावे करे, जनता, पुलिस पर भरोसा करने के लिए कतई तैयार नहीं है। पुलिस, जनता का भरोसा खो चुकी है। भरोसा खोए भी क्यों न। प्रदेश में बलात्कार की घटनाओं को देखें, तो जिस समय भोपाल में एक बच्ची दरिंदगी का शिकार बनी, तो उसी दिन अशोकनगर में एक पुलिसकर्मी ने स्कूल की छात्रा को हवस का शिकार बना डाला। एक दिन पहले यानी 30 अगस्त को हरदा में दो युवकों ने नाबालिग आदिवासी छात्रा से दुष्कर्म किया। 29 अगस्त को रीवा में रेप के बाद बच्ची का शव मिलने से सनसनी मच गई। 28 अगस्त को ग्वालियर के रामश्री किड्स स्कूल में तीन साल की मासूम के साथ रेप का खुलासा हुआ ।

 

यह कितनी शर्मनाक बात है कि एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भर की बच्चियों के मामा बनकर लाड़ली लक्ष्मी, कन्या विद्या धन और कन्यादान योजना के जरिए प्रदेश की गरीब बच्चियों की लाज, सम्मान और उन्नति के प्रयास कर रहे हैं। उनके इन प्रयासों को पूरे देश में सराहना मिल रही है। दूसरे प्रदेश भी उनके इन प्रयासों का अनुसरण कर रहे हैं, मगर उनके अपने मध्यप्रदेश में मासूम और नाबालिग बच्चियां हर दिन दरिंदे भेडिय़ों के वहशी इरादों का शिकार हो रही हैं। इसमें तीन साल से लेकर 12 साल की बच्चियां सबसे ज्यादा शिकार हो रही है। नेशनल क्राइम रिपोर्टस ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार दुष्कर्म के मामले में मध्यप्रदेश देश में नंबर-एक पर है। रिपोर्टर्स के आंकड़े कहते हैं कि मप्र में वर्ष 2015 में 26 हजार 678 महिलाओं से जुड़े अपराध हुए। जबकि दुष्कर्म के 4391 मामले दर्ज हुए। तथा 2014 में भी मप्र में दुष्कर्म के सर्वाधिक 5076 मामले दर्ज हुए थे। इनमें अगर भोपाल और इंदौर की बात की जाए तो स्थिति चिंताजनक है। पिछले साल भोपाल (223), इंदौर (261), जबलपुर (194) और ग्वालियर (158) दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए। भोपाल और इंदौर में इस दौरान ज्यादती के मामले अधिक तेजी से बढ़े हैं। लगभग यही स्थिति जुआ और सट्टे के मामले में है। 

 

जब शिवराज सरकार दावा कर रही है कि, मध्यप्रदेश तेजी से चहुमुखी विकास कर रहा है, तो उसे यह स्वीकार करने में शर्म क्यों आती है कि मप्र का चारित्रिक ग्राफ भी तेजी से गिरा है। चाहे वह सरकार के नुमाइंदे जनप्रतिनिधि हों, या फिर प्रशासन के जिम्मेदार छोटे-बड़े अफसर जनता के प्रति जवाबदेह होने के बजाय भ्रष्ट और असंवेदनशील होने का सबूत दे रहे हैं। मध्य प्रदेश में रेप के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, वह विकास के ग्राफ को कलंकित कर रहे हैं। गृहमंत्री और प्रदेश पुलिस के मुखिया को आगे आकर इन मामलों की जिम्मेदारी लेनी ही होगी, ताकि मध्य प्रदेश में हंसते-खेलते बचपन को यूं ही न रौंदा जा सके।

Dakhal News 3 September 2016

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.