कविता -तुम अखंड निर्लज और मुर्दा हो ...
kavita by anurag upadhyay

 

 

* पेशे से पत्रकार ,लेखक- कवि अनुराग उपाध्याय समाज के हर विषय पर अपनी कलम चलाते हैं।  साफ़ साफ़ और बिना लाग लपेट के सच बयान कर देना उनके लेखन की सबसे बड़ी खूबी है। कालाहांडी की घटना ने देश के संवेदनशील लोगों को झकझोर दिया है। ऐसे में पत्रकार वो भी कवि कैसे खामोश रह सकता है। 

 

संपादक 

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तुम अखंड निर्लज और मुर्दा  हो  ...

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अनुराग उपाध्याय

कलाहान्डी ने उजागर कर दिआ  तुम्हारा काला चेहरा...

 

साबित कर दिया कि निर्लज्जों की टोली के माहनायकों,

 

यह देश तुम्हारे नहीं भगवान भरोसे है...

 

दाना मांझी ने अपनी पत्नी नहीं तुम्हारे सिस्टम की लाश ढोई ...

 

उसने चादर में पत्नी नहीं ,

 

देश की अंतरात्मा और ;

 

मरी सड़ी सरकार को लपेट कर ढोया...

 

तुम्हारे उज्जल चेहरे ,धवल वस्त्र 

 

अब सड़े गटर जैसे बजबजाते नजर आ रहे हैं...

 

सत्तर साल की बूढ़ी आजादी कोस रही है...

 

पूछ रही है सवाल देश के हुक्मरानो से...

 

इसीलिए आजादी मिली थी,

 

तुम शहजादों और अमीरजादों की चप्पलें चाटते रहो...

 

बंद करो देश बदल रहा है जैसे नारे ...

 

अगर यह बदलाव है तो कुलीनों यह तुम्हें मुबारक ...

 

दाना मांझी और उसकी पत्नी अमंग दोई को सलाम,

 

यह साबित करने के लिए की

 

तुम अखंड निर्लज  और मुर्दा  हो  ...

 

 

Dakhal News 28 August 2016

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