Dakhal News
19 May 2024
जैन संत विद्यासागर जी ने दिया देश के नेताओं को संदेश
रवीन्द्र जैन
राजधानी भोपाल में चातुर्मास कर रहे जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने देश के नेताओं को एक बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि किसी दूसरे राष्ट्र को देखकर कोई भी राष्ट्र विकसित नहीं हो सकता। इसलिए भारत को विकासशील राष्ट्र कहना बंद करो। भारत पहले से ही विकसित राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि हम अपने मन के नौकर बन गए हैं और यही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है। आचार्यश्री दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में प्रवचन दे रहे थे।
सुबह की सभा में पद्मनाभ दिगम्बर जैन मंदिर समाज की और से आचार्यश्री की श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजन की गई। इस अवसर पर मंदिर समिति की और से हबीबगंज मंदिर निर्माण के लिए दान राशि भी भेंट की गई। जापान से आए संकल्प जैन और सुशीला जैन ने भी हबीबगंज जैन मंदिर में एक प्रतिमा विराजमान करने का संकल्प लिया। पूजन के बाद अपने आर्शीवचन में आचार्यश्री ने कहा कि भारत अब 70 साल का हो चुका है। एक तरह से परिपक्व राष्ट्र हो चुका है। हमारे नेता आज भी भारत को विकासशील राष्ट्र कहते हैं। हम 70 साल से यही सुनते आ रहे हैं। कहा जाता है कि अमेरिका, जापान, रसिया, फ्रांस, जर्मनी विकसित हो चुके हैं और भारत विकासशील है। दरअसल हम इसलिए विकासशील हैं कि हम दूसरे राष्ट्रों को देखकर विकास की अवधारणा बना रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विकसित राष्ट्र है। हमने इस नीति से बाहर आना होगा।
आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा कि यदि शांति चाहिए तो चिंता और चिंतन से मुक्त हो जाओ जो चीजे अनादिकाल से है उन्हें समाप्त किया जा सकता है। जैसे राग,द्वेष अनादिकाल से है। हम इन्हें समाप्त कर सकते हैं।* लेकिन इनके बारे में ज्यादा चिंता और चिंतन करने से सिर दर्द के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य का सारा पुरुषार्थ सिर्फ पेट के लिए नहीं है। वह मन के वश में है। एक तरह से मन का नौकर बन गया है और मन के पास पेट नहीं पेटी है जो कभी भरती नहीं है। मनुष्य मन की पेटी को भरने के लिए तमाम यतन करता है। मन की इच्छाओं को पूरा करने वह आशीर्वाद मांगने हमारे पास भी आता है। हम कहते हैं मन को मारने का पुरुषार्थ करो तो शांति स्वत: मिल जाएगी।
Dakhal News
11 August 2016
All Rights Reserved © 2024 Dakhal News.
Created By: Medha Innovation & Development
|