क्रिया करो, प्रतिक्रिया की ओर मत देखो
vidhyasagar maharaj

 

श्रद्धा और भक्ति से मनाया गया पाश्र्वनाथ मोक्ष कल्याण

 

रवीन्द्र जैन 

भोपाल में चातुर्मास कर रहे जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने मंगलवार को जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ को याद करते हुए कहा कि संसारी प्राणी यदि मोक्ष चाहता है तो क्रिया (पुरुषार्थ) करें, प्रतिक्रिया की ओर देखना बंद कर दें। पाश्र्वनाथ भगवान ने भी ऐसा ही किया था। कमठ एक सप्ताह तक उन पर उपसर्ग करता रहा लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आचार्यश्री के ससंघ सानिध्य में मंगलवार को भोपाल में पाश्र्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर हैदराबाद और राजस्थान से बड़ी संख्या में लोग भोपाल पहुंचे थे। *मंगलवार को आचार्यश्री की आहारचर्या राकेश जैन ओएसडी के चौके में संपन्न हुई।

 

आचार्यश्री ने कहा कि पाश्र्वनाथ भगवान की केवल ज्ञान में कमठ के जीव की भूमिका रही है। कमठ साधना में लीन भगवान पाश्र्वनाथ पर एक सप्ताह तक उपसर्ग करता रहा। बड़ी-बड़ी चट्टाने उठाकर फेंकी, तमाम उपद्रव किए लेकिन पाश्र्वनाथ भगवान ने कोई जवाब नहीं दिया। क्योंकि वे लाजवाब थे। यदि जवाब देते तो कमठ को आनंद आता। जवाब नहीं दिया इसलिए पाश्र्वनाथ भगवान का समोशरण सजा। खास बात यह है कि भगवान के समोशरण में उपसर्ग करने वाला कमठ और उपसर्ग दूर करने वाला यक्ष दोनों उपस्थित थे। लेकिन किसी की दृष्टि उनके ऊपर प्रतिशोध के रूप में नहीं थी। क्योंकि समोशरण में न कोई मित्र होता है न कोई शत्रु। यह भेद विज्ञान के जाने बगैर मोक्ष का मार्ग संभव नहीं है। जिस प्रकार सूर्य के ऊपर से घटाएं छटती हैं और प्रकाश सामने आता है वैसे ही केवल ज्ञान हो जाने पर वीतरागता प्रकट होती है। 

 

आचार्यश्री ने कहा कि कमठ के उपसर्ग की घटना सभी के जीवन में प्रेरणादायक है। यदि अनंतकालीन यात्रा और जन्म मृत्यु के बंधन से छुटकारा पाना है तो प्रतिक्रिया से बचो। पुरुषार्थ करो। उन्होंने कहा कि हम भी यह भावना करते हैं कि हमे भी समोशरण में बैठने का अवसर मिले। भगवान की दिव्य ध्वनि सुनने का सौभाग्य मिले और प्रभू जैसा बन जाने का परम सौभाग्य मिले। वे घडिय़ां कितनी आनंददायी होंगी। आचार्यश्री ने कहा कि अतीत को भूलो और भविष्य को सीमित करो तभी संसार से अवकाश संभव है।

 

निर्वाण लाड़ू चढ़ाया

आचार्यश्री के सानिध्य में भगवान पाश्र्वनाथ का निर्वाण लाड़ू चढ़ाया गया। निर्वाण लाढ़ू चढ़ाने का सौभाग्य प्रभात चक्रवती, हैदराबाद से पधारे भक्तजनों, टीकमगढ़ के सतभैया परिवार, अशोक पाटनी आरके मार्बल, सम्मेद शिखर यात्रा दल भोपाल को प्राप्त हुआ। श्रीमती सुशीला अशोक पाटनी ने आचार्यश्री को शास्त्र भेंट किया। इस अवसर पर अजमेर से पधारे वीरेन्द्र जैन नेताजी और उनके साथियों ने आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। 

 

Dakhal News 9 August 2016

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